Monday - 28 October 2024 - 4:24 PM

युवा उद्यमियों के लिए क्या है DPIFF के CEO अभिषेक मिश्रा की राय, पढ़ें बातचीत के अंश…

चारू खरे

दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल मनोरंजन जगत का एक जाना-माना पुरस्कार समारोह है. डीपीआईएफएफ, ऐसे लोगों को पहचान दिलाता है जो अपने-अपने क्षेत्र में अव्वल होते हैं। यह उत्सव रचनात्मकता को पहचान दिलाने के लिए आयोजित किया जाता है।

डीपीआईएफएफ भारत के अलग-अलग क्षेत्रों से व्यक्तिगत कला पर अपना पूरा ध्यान देता है और उनकी प्रतिभा को आगे लाने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित करता है।

इसके जरिये आयोजित कार्यक्रम की सफलता का पूरा श्रेय भारत के सबसे युवा उद्यमियों में से एक ‘अभिषेक मिश्रा’ को जाता है. जी हां, अभिषेक सिर्फ डीपीआईएफएफ (DPIFF) ही नहीं बल्कि अन्य दो और बड़े और लोकप्रिय ब्रैंड के साथ जुड़े हैं.

वह ‘ओए इवेंट और ‘नॉर्थ इंडिया फैशन वीक’ की कमान भी संभाल रहे हैं. इसके अलावा अभिषेक मिश्रा, सीबीएफसी (CBFC) में सलाहकार बोर्ड के सदस्य के तौर पर भी अपनी सेवा दे रहे हैं.

हाल ही में डीपीआईएफएफ कार्यक्रम का आयोजन मुंबई में हुआ था. इसमें मलाइका अरोड़ा, गुरु रंधावा, रितेश देशमुख, बोमेन ईरानी जैसे अन्य कई बॉलीवुड के बड़े नामी-गिरामी लोग शामिल हुए थे. अभिषेक मिश्रा आज के उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं जो अपने हुनर और मेहनत से कोई बिज़नेस शुरू करके जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं.

अभिषेक मिश्रा और उनके काम के लक्ष्य को समझने के लिए हम ने उनसे कुछ ख़ास बातचीत की. पेश हैं बातचीत के कुछ मुख्य अंश

सवाल : DPIFF का लक्ष्य क्या है ?
अभिषेक : डीपीआईएफएफ का मुख्य लक्ष्य ‘ कलाकारों की प्रतिभाओं को सम्मानित करना व उनकी सराहना के लिए उनको मंच प्रदान करना है. यह भारत के उभरते कलाकारों और दुनिया भर में भारतीय निर्मित फिल्मों को बढ़ावा देने की दिशा में काम करता है। इसके जरिए भारतीय सिनेमा के आकांक्षी, युवा, स्वतंत्र और पेशेवर फिल्म निर्माताओं को आगे बढ़ने के लिए उत्साह मिलता है.

सवाल : पुरस्कार विजेताओं का चयन किस प्रकार किया जाता है ?
अभिषेक : दादा साहेब फाल्के के पोते चंद्रशेखर पुसलकर जूरी के अध्यक्ष हैं. इसका निर्णय वरिष्ठ फिल्म निर्माता और सीबीएफसी (CBFC) के अन्य सदस्य मिलकर करते हैं.

सवाल : नॉमिनीस चुनने से पहले आप किन बातों का ध्यान रखते हैं ?
अभिषेक : दरअसल, जूरी इसका चयन, किसी भी फिल्म की ओवरऑल परफॉरमेंस देखने के बाद तय करती है. हमारा मकसद किसी फिल्म के ब्लॉकबास्टर होने से नहीं बल्कि फिल्म ने दर्शकों पर कितना प्रभाव डाला है, इससे होता है. आप ऐसा समझ सकती हैं कि फिल्म का क्या उद्देश्य, महत्व और प्रभाव है, यह सबसे मुख्य चीज होती है.

सवाल : इतने सक्सेसफुल इवेंट्स को लेकर आपके अपने क्या अनुभव रहे हैं ?
अभिषेक : (हँसते हुए ) जी ! बेशक जब आप कुछ करने की चाह रखते हैं और वह अच्छे तरीके से हो जाता है, तो आप गौरवांतित महसूस करते हैं. ऐसा ही मुझे भी आज महसूस होता है. यह वर्ष और बीते हर इवेंट मेरे और हमारी टीम के लिए काफी बढ़िया रहे हैं.

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इस तरह के प्रतिष्ठित पुरस्कार समारोह को लीड करना मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात है. हम दिन-बा-दिन इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. इस यात्रा में जिसने भी हमारा साथ दिया, उन सभी का मैं शुक्रगुजार रहूंगा।

सवाल : आपका आने वाला अगला बड़ा इवेंट कौनसा है ?
अभिषेक : दादासाहेब फाल्के अवार्ड्स साउथ, हमारा आगामी इवेंट है, जो कि 20 सितंबर, 2020 को बैंगलोर में आयोजित किया जाएगा। इसके जरिये साउथ फिल्म जगत को उनकी प्रतिभा और रचनात्मकता के लिए सराहा व सम्मानित किया जाएगा।

सवाल : कोई ऐसा संदेश, जो आप देश के युवा उद्यमियों को देना चाहेंगे ?
अभिषेक : जी बिलकुल ! मेरा देश के युवा उद्यमियों से यही कहना है कि वह जो भी काम कर रहे हैं, उसे पूरी मेहनत, लगन और ईमानदारी से करें। किसी भी काम को पूरा किये बिना आराम की कल्पना न करें और अगर आराम करें भी तो रुके न. जीवन निरंतर आगे बढ़ने का नाम है, तो थोड़ा या ज़्यादा पर आगे बढ़ते रहें।

(चारु खरे की अभिषेक मिश्रा से फोन पर हुई बातचीत के आधार पर )

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