Monday - 28 October 2024 - 12:25 PM

पीके के भरोसे पंजाब जीतना चाह रहे हैं कैप्टन, पर किशोर नहीं दिखा रहे दिलचस्पी

न्यूज डेस्क

कोरोना महामारी, तालाबंदी और टिड्डी हमले  के बीच राजनीतिक दल अपने भविष्य को लेकर सक्रिय है। इसीलिए इस महामारी के बीच जहां बीजेपी वजुर्वल रैली और प्रेस काफ्रेंस कर जश्न मना रही है तो वहीं बिहार में राजनीतिक संग्राम छिड़ा हुआ है। इस महामारी के बीच पंजाब से खबर है कि मुख्यमंत्री अमरिंदर एक बार फिर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के भरोसे पंजाब जीतने का सपना देख रहे हैं, पर इसमें एक अड़चन आ रही है।

दरअसल प्रशांत किशोर के पास समय नहीं है इसलिए वह कैप्टन के साथ काम कर पाने में असमर्थ हैं। वह इन दिनों पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में व्यस्त हैं। उनके पास समय नहीं है।

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2017 के पंजाब चुनावों में कांग्रेस के अभियान को सफलतापूर्वक रणनीति बनाने के लिए किशोर को काफी हद तक श्रेय दिया जाता है, जिन्होंने 117 सीटों वाली विधानसभा में 77 सीटों के साथ पार्टी को सत्ता में पहुंचा दिया।

हालांकि राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि पीके जानबूझकर दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने सहयोगी विधायकों से इस बारे में विचार विमर्श किया था।

वहीं किशोर के करीबी सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह पंजाब में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। प्रशांत किशोर और सीएम ने हाल ही में इस मुद्दे पर 5-6 बार बात की है। अभी तक, उन्होंने नहीं कहा है। किशोर ने अमरिंदर से कहा कि उनकी क्षेत्रीय पार्टी नहीं है और किशोर फिर से कांग्रेस के लिए रणनीति तैयार करने में दिलचस्पी नहीं हैं। इसको लेकर सीएम ने उनसे कहा कि वह मैडम (AICC अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी) से बात करेंगे। ”

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सूत्रों के मुताबिक, “प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में बहुत व्यस्त हैं। वह पंजाब के लिए उत्सुक नहीं है। उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया है। वह संपर्क में भी नहीं थे। उन्होंने किसी को फोन भी नहीं किया। हम देखेगें कि क्या होगा।”

जबकि कुछ दिनों पहले, सीएम अमरिंदर के राजनीतिक सचिव, कैप्टन संदीप संधू ने विधायकों को इस बात पर चर्चा करने के लिए बुलाया कि क्या वे इस बार फिर से चुनाव में प्रशांत किशोर को अपने साथ जोडऩा चाहते हैं। फोन कॉल ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया क्योंकि पिछली बार जब अमरिंदर ने किशोर को साइन किया था तो किसी से भी कोई चर्चा नहीं की थी। विधायकों को किशोर की भारतीय राजनीतिक कार्रवाई समिति (ढ्ढ-क्क्रष्ट) टीम के रसद के लिए भुगतान करना था और उन्होंने आपत्तियां उठाई थीं।

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