न्यूज डेस्क
कहते हैं सियासत में कुछ भी हो सकता है। उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े सियासी घराने सपा में लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है। कोरोना संकट के दौर में चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश के बीच कई मुलाकातें हो चुकी हैं। ऐसे में एक बार फिर सियासी चर्चा गरम है कि क्या शिवपाल यादव की सपा में घर वापसी होगी या नहीं?
गौरतलब है कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर समाजवादी पार्टी और यादव कुनबे में एका के संकेत मिल रहे हैं। चुनाव से पहले चाचा शिवपाल और अखिलेश यादव साथ आ सकते हैं।
दरअसल, इटावा में होने वाले लोहिया ट्रस्ट के भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव को दिया है, जिसके बाद शिवपाल यादव ने कहा कि अगर कद के हिसाब से उन्हें पार्टी में पद मिलता है, तो सभी दरवाजे खुले हैं. इसके बाद एक बार फिर सियासी चर्चा गरम है कि क्या शिवपाल यादव की सपा में वापसी होगी या फिर दोनों गठबंधन कर चुनाव लड़ेंगे।
ये भी पढ़े: अखिलेश के रिश्ते आये काम तो इसलिए बच गए चाचा शिवपाल
ये भी पढ़े: अनलॉक-1 : जाने किन राज्यों ने लगाई पाबंदी
बता दें कि वर्ष 2018 में समाजवादी पार्टी से अलग होकर शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन किया। इतना ही नहीं शिवपाल ने लोकसभा चुनाव में सपा के खिलाफ प्रत्याशी भी उतारे थे। वे खुद रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय के खिलाफ मैदान में उतरे थे। इसके बाद से अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच दूरियां बढ़ती चली गईं, लेकिन लॉकडाउन में एक बार फिर दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ी हैं।
कहा जा रहा है कि दोनों के बीच कई बार मुलाक़ात भी हुई है। पिछले दिनों जब सपा संरक्षक मुलायम सिंह मेदांता हॉस्पिटल में एडमिट हुए तो वहां भी शिवपाल पहुंचे थे। इस दौरान भी दोनों के बीच मुलाक़ात की बात कही जा रही थी।
ये भी पढ़े: देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या हुई 1,81,827
ये भी पढ़े:मोदी सरकार 2.0 : क्या है राजनेताओं की राय
शनिवार को लोहिया ट्रस्ट की बैठक में मुलायम सिंह यादव के साथ अखिलेश यादव और शिवपाल भी सम्मिलित हुए। कार्यसमिति की मीटिंग में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि लोहिया ट्रस्ट द्वारा इटावा में निर्मित भव्य लोहिया भवन का उदघाटन मुलायम सिंह यादव द्वारा किया जाएगा।
इसी के साथ ही सपा द्वारा सदस्यता खत्म होने की चिट्ठी वापस लेने के बाद लोहिया भवन के उद्घाटन का मौका चाचा-भतीजे के लिए महत्वपूर्ण हो जाएगा। माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवाद पार्टी दोनों इटावा के लोहिया भवन के उद्घाटन को भव्यता देंगे और दोनों पार्टियों के लिए नई इबारत लिखेंगे।
बता दें शिवपाल यादव कई बार समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की बात कह चुके हैं। हालांकि, मुलायम सिंह यादव की ख्वाहिश है कि दोनों एक हो जाएं। अब देखना होगा कि साल 2022 से पहले शिवपाल की सपा में वापसी होती है या फिर गठबंधन।
ये भी पढ़े: श्रमिक स्पेशल बनी ‘श्रमिक ताबूत’ !
ये भी पढ़े: ये खास काढ़ा बन गया है UP 112 की फुर्ती का राज
बताते चले कि लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार और बसपा अध्यक्ष मायावती के गठबंधन तोड़ने के बाद से अखिलेश यादव के सामने अपनी पार्टी को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है। एक-एक कर सपा नेता साथ छोड़ते जा रहे हैं। पिछले दिनों कई राज्यसभा सदस्यों ने सपा का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। ऐसे में अखिलेश दोबारा से पार्टी को मजबूत करने में लग गए हैं. यही वजह है कि अखिलेश और शिवपाल के बीच जमी कड़वाहट की बर्फ पिघलती नजर आ रही है।
बता दें कि 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम कुनबे में वर्चस्व की जंग छिड़ गई थी। इसके बाद अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी पर अपना एकछत्र राज कायम कर लिया था। अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच गहरी खाई हो गई थी। हालांकि मुलायम सिंह यादव सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने दोनों नेताओं के बीच सुलह की कई कोशिशें कीं, लेकिन सफलता नहीं मिली।
लोकसभा चुनाव से ऐन पहले शिवपाल यादव ने अपने समर्थकों के साथ समाजवादी मोर्चे का गठन किया और फिर कुछ दिनों के बाद उन्होंने अपने मोर्चे को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) में तब्दील कर दिया। लोकसभा चुनावों 2019 में शिवपाल यादव ने भाई रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के खिलाफ फिरोजाबाद सीट से ताल ठोकी थी और दोनों चुनाव हार गए थे। लोकसभा चुनाव के बाद शिवपाल और अखिलेश के सामने राजनीतिक वजूद को बचाए रखने की चुनौती है। ऐसे में अब दोनों नेताओं के बीच सुलह समझौते के लिए मुलाकात का दौर शुरू हो चुका है और अब देखना है कि शिवपाल यादव की घर वापसी होती या फिर नहीं?