Monday - 28 October 2024 - 12:32 PM

गिरती अर्थव्यवस्था के लिए कोरोना वायरस को दोष देना कितना जायज

न्‍यूज डेस्‍क

कोरोना वायरस के भारत में पहुंचने से पहले ही देश की अर्थव्यवस्था की हालत चिंताजनक थी। बीते साल 4.7 फ़ीसदी रही। यह छह सालों में विकास दर का सबसे निचला स्तर था। साल 2019 में भारत में बेरोज़गारी 45 सालों के सबसे अधिकतम स्तर पर थी और पिछले साल के अंत में देश के आठ प्रमुख क्षेत्रों से औद्योगिक उत्पादन 5.2 फ़ीसदी तक गिर गया। यह बीते 14 वर्षों में सबसे खराब स्थिति थी। कम शब्दों में कहें तो भारत की आर्थिक स्थिति पहले से ही ख़राब हालत में थी। इसलिए कमजोर इकोनॉमी के लिए मोदी सरकार पूरी तरह से कोरोना वायरस को दोषी ठहराए ये सही नहीं होगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि अब कोरोना वायरस के प्रभाव की वजह से जहां एक ओर लोगों के स्वास्थ्य पर संकट छाया है तो दूसरी ओर पहले से कमज़ोर अर्थव्यवस्था को और बड़ा झटका मिल सकता है।

शुक्रवार को सरकार ने पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही और समूचे वर्ष के जो आंकड़े जारी किये हैं, उससे साफ है कि हम बेहद कमजोर इकोनॉमी के साथ कोरोना वायरस काल में प्रवेश किये हैं। जनवरी-मार्च (2020) की तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर महज 3.1 फीसद रही है और पूरे वर्ष 2019-20 के दौरान आर्थिक विकास की दर 4.2 फीसद रही है। जबकि इसके पिछले वर्ष 2018-19 में 6.1 की वृद्धि दर हासिल की गई थी।

ये भी पढ़े: मुद्दे हैं फिर भी मोदी को टक्कर क्यों नहीं दे पा रहा है विपक्ष

ये भी पढ़े: वोटर होते तो श्रमिकों की जरूर मदद करती राज्‍य सरकारें

आर्थिक विकास की यह दर पिछले 11 वर्षो का सबसे न्यूनतम स्तर है। साथ ही ये आंकड़े यह भी बताते हैं कि पिछले आठ तिमाहियों से आर्थिक विकास दर घटती जा रही है और इसके अप्रैल-जून की तिमाही व वर्ष 2020-21 में और नीचे जाने के आसार बन रहे हैं। यह स्थिति ना सिर्फ वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के सपने को दूर कर देगा बल्कि देश से गरीबी व बेरोजगारी को जल्दी से दूर करने की कोशिशों पर भी गहरा कुठाराघात करेगा।

केंद्र सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019-20 की अंतिम तिमाही में कृषि, खनन और सरकारी प्रशासन व संबंधित सेवाओं के अलावा अन्य किसी भी सेक्टर (मैन्यूफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, बिजली-गैस-जलापूर्ति, वित्तीय सेवाएं आदि) की स्थिति सुधरी नहीं है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में 1.4 फीसद की गिरावट हुई है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 2.1 फीसद की वृद्धि हुई थी।

बडे़ पैमाने पर रोजगार देने वाले कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 2.2 फीसद की गिरावट हुई जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 6 फीसद की वृद्धि हुई थी। सर्विस सेक्टर में होटल-रेस्टोरेंट-ट्रांसपोर्ट-संचार जैसे सेवाओं की वृद्धि दर 6.9 फीसद से गिर कर 2.6 फीसद रह गई है। वित्तीय सेवा सेक्टर की वृद्धि दर 8.7 फीसद से घट कर 2.4 फीसद पर आ गई है। उक्त चारों सेक्टर में सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर मिलते हैं और पूरी इकोनॉमी में इनका हिस्सा लगातार बढ़ रहा है।

ये भी पढ़े: कोरोना LIVE: 1 लाख 65 हजार से ज्यादा संक्रमित, 4706 लोगों की मौत

ये भी पढ़े: लाक डाउन 5.0 की विवशता को स्वीकार करें हम

बेहतर स्थिति सिर्फ कृषि की रही है जिसकी विकास दर जनवरी-मार्च, 2019 में दर्ज 1.6 फीसद से बेहतर हो कर जनवरी-मार्च, 2020 में 5.9 फीसद रह गई है। इन आंकड़ों को जारी करने के साथ ही यह भी बताया गया है कि कोविड-19 की वजह से सभी आंकड़ों को अभी नहीं जुटाया जा सका है, इसलिए इसमें आगे संशोधन किया जाएगा।

इकोनॉमी की दिशा व दशा से जुड़ी यह रिपोर्ट मौजूदा अर्थ नीति को लेकर कुछ गंभीर सवाल उठाती है। मसलन, वर्ष 2019-20 के लिए सरकार व आरबीआइ ने 7 फीसद की विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा था। जुलाई, 2019 में पूर्ण बजट पेश करने के दो महीने बाद ही सितंबर, 2019 में वित्त मंत्री ने मंदी को दूर करने के लिए कई ऐलान किये। कारपोरेट टैक्स को घटाने का ऐतिहासिक कदम भी उठाया गया और सैकड़ों उत्पादों पर जीएसटी दरों को कम किया गया।

ये भी पढ़े: नागरिक सुरक्षा विभाग में चल रहा वसूली का कारोबार ?

ये भी पढ़े: तालाबंदी में छूट देने से भारतीय हैं नाखुश: सर्वे

ढांचागत सेक्टर में भारी भरकम निवेश का ऐलान किया गया। लेकिन तिमाही दर तिमाही विकास दर में गिरावट बताती है कि इन कदमों का खास असर नहीं हुआ। सरकार किस तरह से इकोनॉमी का डाटा जुटा रही है, इस पर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं। अब जबकि कोविड-19 की वजह से तकरीबन दो महीनों से इकोनॉमी का अधिकांश हिस्सा बंद है तो अर्थव्यवस्था की रफ्तार और सुस्त हो सकती है। किसी भी सरकारी एजेंसी ने वर्ष 2020-21 के लिए अभी तक आर्थिक विकास दर का कोई लक्ष्य तय नहीं पाई है।

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने 10 फीसद नोमिनल ग्रोथ रेट की बात कही थी। जो मौजूदा हालात में बड़ा लक्ष्य कहा जा सकता है क्योंकि शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक महज 6.8 फीसद रही है। शुक्रवार को वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी एक आंकड़ा बताता है कि आठ प्रमुख उद्योगों में अप्रैल, 2020 के दौरान 38 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। बहरहाल, भारत इस बात पर संतोष कर सकता है कि उसकी इकोनॉमी की स्थिति अभी तक चीन से बेहतर बनी हुई है। जनवरी-मार्च, 20 में चीन की इकोनॉमी में 6.8 फीसद की गिरावट हुई थी।

बताते चले कि भारत में असंगठित क्षेत्र देश की करीब 94 फ़ीसदी आबादी को रोज़गार देता है और अर्थव्यवस्था में इसका योगदान 45 फ़ीसदी है। लॉकडाउन की वजह से असंगठित क्षेत्र पर बुरी मार पड़ी है क्योंकि रातोंरात हज़ारों लोगों का रोज़गार छिन गया। इसीलिए सरकार की ओर से जो पहले राहत पैकेज की घोषणा की गई वो ग़रीबों पर आर्थिक बोझ कम करने के उद्देश्य से हुई।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की। कहा जा रहा है कि इससे भारत के गरीब 80 करोड़ लोगों को आर्थिक बोझ से राहत मिलेगी और उनकी रोज़ीरोटी चल सकेगी। खातों में पैसे डालकर और खाद्य सुरक्षा का बंदोबस्त करके सरकार गरीबों, दैनिक मज़दूरी करने वालों, किसानों और मूलभूत सुविधाओं से वंचित लोगों की मदद कर रही है। लेकिन इन घोषणा को ज़मीनी स्तर पर लागू करना सबसे बड़ी चुनौती है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com