Friday - 25 October 2024 - 10:13 PM

पीएम मोदी का यह सपना तो पूरा हो गया

जुबिली न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली. प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी अपने भाषणों में कई बार यह बात कह चुके हैं कि हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज़ में बैठेगा. प्रधानमन्त्री का यह भाषण सभी के लिए एक सपने की तरह से था लेकिन मुम्बई की एक एनजीओ और दिल्ली के एक किसान ने आज इन सपनों को पंख लगा दिए.

अपने घर लौटने की जद्दोजहद में लगे मजदूरों को बसें और ट्रेनें तक मयस्सर नहीं हो रही हैं और वह हज़ारों किलोमीटर का पैदल सफ़र करने को मजबूर हैं. दिल्ली के तिगीपुर में मशरूम की खेती करने वाले किसान पप्पन सिंह ने मजदूरों को दिल्ली से पटना के हवाई टिकट खरीदकर दिए और उन्हें एयरपोर्ट पहुंचा दिया.

जिन मजदूरों के लिए हवाई यात्रा एक सपने की तरह थी वह हवाई चप्पलें पहने हुए एयरपोर्ट में घुसे तो इतनी शानदार जगह पर पाँव रखते हुए भी सिहर गए. विमान अधिकारियों ने टिकट चेक करने के बाद इन मजदूरों को जहाज़ के भीतर पहुंचा दिया.

मजदूरों को लेकर जहाज़ जब तेज़ी से दौड़कर हवा में उठा तो ज़्यादातर मजदूरों ने डर के मारे अपनी आँखें बंद कर लीं. मजदूरों के लिए जहाज़ का टिकट खरीदने वाले पप्पन सिंह ने बताया कि उन्होंने दिल्ली से पटना का हवाई टिकट देने के बजाय सभी को पटना से समस्तीपुर जाने के लिए भी तीन-तीन हज़ार रुपये दिए ताकि यह बेबस लोग अपने घरों पर पहुँच जाएँ.

दिल्ली हवाई अड्डे में घुस रहे इन मजदूरों को देखने के बाद इनके बहुत से रिश्तेदार और दोस्त आश्चर्यचकित रह गए. घर पहुँचने के बाद उनसे मिलने वालों का तांता लग गया. इन गरीबों ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह अचानक से सेलीब्रिटी बन जायेंगे.

यह भी पढ़ें : संकट काल में कटेगी यूपी के सरकारी कर्मचारियों की भी तनख्वाह

यह भी पढ़ें : संकटकाल में योगी सरकार का तीसरे यूटर्न की वजह बने प्रवासी मजदूर

यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने कहा- अवसाद के वजह से मजदूर पैदल जा रहे हैं घर

यह भी पढ़ें : पुलवामा जैसे हमले की एक और साजिश नाकाम

ठीक इसी तरह से आज मुम्बई से 177 मजदूरों को लेकर एक चार्टर विमान झारखंड के रांची स्थित बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के लिए उड़ा. इन मजदूरों को नेशनल लॉ कालेज बंगलुरु के एलुमनाई और एक एनजीओ ने हवाई जहाज़ के ज़रिये उनके घर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई.

अपने परिवारों के साथ रांची पहुंचे मजदूरों की खुशी देखने के लायक थी. इन मजदूरों में कोई ऑटो चलाने का काम करता है, कोई बिल्डिंग बनाने का काम करता है. तो कोई मुम्बई की सड़कों पर ऑटो चलाता है. लॉक डाउन के बाद आमदनी खत्म हो गई और सारा पैसा धीरे-धीरे खत्म हो गया और भूखों मरने की नौबत आ गई.

बुरे हालात में जब बस और ट्रेन का सफ़र भी सपने की तरह था तब अचानक से उन्हें हवाई जहाज़ का टिकट मिला और कुछ ही घंटों में वह अपने घर पहुँच गए.

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com