न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। दुनिया कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है। इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या में तेजी से बढ़त हो रही है। साथ ही मरने वालों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है।
लॉकडाउन 4.0 में भारत सरकार ने गाइडलाइन में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर न निकलने की सलाह दी है। आपने अभी तक ऐसे कई मामले देखे- सुने होंगे, जिसमें गर्भवती महिलाओं को भी कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया।
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इसके बाद गर्भ के बच्चे को भी कोरोना अपनी चपेट में ले लेता है। या तो बच्चा कम वजन का होता है या उसके कुछ ऑर्गन डैमेज होते हैं। कोरोना गर्भ में पल रहे बच्चे पर किस तरह अटैक करता है, ये जानने के लिए साइंटिस्ट ने 16 गर्भवती महिलाओं पर रिसर्च की है। इस रिसर्च में कई अहम सवालों के जवाब सामने आये है, जिसे आपको जानना जरुरी है।
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इलियोनिस के नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने 16 गर्भवती महिलाओं पर कोरोना वायरस को लेकर रिसर्च किया। सभी महिलाएं कोरोना पॉजिटिव थीं। सभी कोरोना के असिम्पटोमैटिक शिकार थीं।
रिसर्च में साइंटिस्ट्स ने पाया कि कैसे कोरोना ने 15 गर्भवती महिलाओं की बॉडी में खून के थक्के जमा दिए। जिसकी वजह से उनके बॉडी के इम्पोर्टेन्ट ऑर्गन्स डैमेज हो गए थे। कोरोना मां और गर्भ के बच्चे के बीच वाइटल विटामिन्स कैर्री करने वाले प्लासेंटा पर अटैक करता है। इसकी वजह से बच्चों का जन्म काफी कमजोर होता है, या उनकी मौत हो जाती है।
रिसर्च में शामिल 15 महिलाओं ने दिए गए डेट्स पर बच्चों को जन्म दिया। वहीं एक महिला के गर्भ में ही बच्चों की मौत हो गई। लेकिन रिसर्चर्स को ये नहीं पता कि बच्चे की मौत वायरस के कारण हुई थी या नहीं?
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इस स्टडी में एक बात जो सामने आई, वो ये कि कोरोना गर्भनाल को अटैक करता है। वो महिला और अजन्में बच्चे के बीच खून की सप्लाई खत्म कर देता है। रिसर्च में शामिल 15 महिलाओं के गर्भनाल डैमेज्ड थे। उनके वाइटल ऑर्गन्स में खराबी थी। इसकी वजह से अजन्में बच्चे तक ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स नहीं पहुंच पा रहे थे।
प्लासेंटा में खून के बहाव में आई कमी के कारण गर्भ में बच्चे पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं। उनका वजन नहीं बढ़ पाता। साथ ही गर्भ में ही उसके शरीर के कुछ ऑर्गन्स फेल हो जाते हैं। कुछ मामलों में बच्चा ऑक्सीजन की कमी बर्दास्त नहीं कर पाता। इस कारण उसकी मौत गर्भ में ही हो जाती है।
कुल मिलाकर इस रिसर्च में ये बात साफ हो गई कि गर्भवती महिलाओं को कोरोना में काफी ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ये ना सिर्फ बच्चे पर बुरा असर डालता है, बल्कि मां के लिए भी काफी खतरनाक है।
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