सुयश सिंह
लॉकडाउन में लोगों के पास देखने के लिये कुछ नहीं बचा था। माँग थी मिर्जापुर का सेकंड सीजन आना चाहिये, लेकिन अनुष्का शर्मा के बैनर तले बनी वेब सीरीज पाताललोक ने युवाओं की चाहत पूरी कर दी।
इस सीरीज की कहानी बुंदेलखंड के चित्रकूट के इर्द-गिर्द ही घूमती है किरदारों में भी हम पहुँचेंगे। लेकिन सबसे पहले लोंगो को भाया क्या उसकी बात करते है। ददुआ और ठोकिया की कहानी किसने नहीं सुनी और कहीं न कहीं वो कहानियाँ युवाओं के जहन में आज भी ताजा है उनका किन कारणों से हथियार उठाना और पटेल समुदाय का पूरे चित्रकूट व पाठा क्षेत्र में दबदबा जिसे इस सीरीज में गुर्जरों का नाम दिया गया एक समय था।
जब ददुआ और ठोकिया गाँवो में भगवानों की तरह पूजे जाते थे जो इस सीरीज में मौलिकता के साथ बनाये रखा गया है समय बदलने के साथ चीजें जरूर बदली लेकिन आज भी बुंदेलखंड के लोगों के दिलों में वो कहानियां जिंदा है चाहे वो बैकग्राउंड में रह कर नेताओ का सपोर्ट हो या फ़िर सड़कों को बनवाने के लिये अपने लोंगो को टेंडर,सीरीज के चित्रकूट के कुछ हिस्सों में लोगों को ऐतराज हो सकता है,जहाँ लेकिन फ़िल्म और रियल कहानी में थोड़ा अन्तर तो होता है।
हाथीराम चौधरी का पाताललोक
सीरीज की कहानी हाथीराम चौधरी के पाताललोक की आइडियोलॉजी के अनुसार बुनी गयी है। हाथीराम चौधरी दिल्ली पुलिस में तैनात है इस किरदार को निभाया है। जयदीप अहलावत ने,अनुष्का शर्मा ने इस सीरीज को प्रॉड्यूस किया है जिसकी तुलना सेक्रेड गेम से हो रही है।
कहानी शुरू होने के साथ ही बाँध के रखती है एक न्यूज चैनल के जर्नलिस्ट को मारने की साजिश में चार युवकों को गिरफ़्तार किया जाता है,इस केस की जाँच एक पुलिस को सौंपी जाती है लेकिन बाद में सीबीआई इस केस को नया एंगल दे देती है।
वही जिस चैनल के जर्नलिस्ट को ये चारों युवक मारने आते है उस चैनल की टीआरपी बेहद गिर चुकी होती है वहीं लोगों को इस सीरीज का चित्रकूट कनेक्शन पसंद आया है वहाँ के दोनलिया का काल्पनिक पात्र पाठा के दुर्दान्त अपराध की याद दिलाता है और हाँ ये पहली ऐसी सीरीज आयी है जिसकी कहानी एक सीजन में ही पूरी हो गयी है अगर नहीं देखी तो देखिए ख़ासतौर से बुंदेलखंड के लोंगो के लिये तो देखने लायक है ही…..