- सरकार को मां की तरह व्यवहार करना होगा
- भारत के बारे में सोचिए, रेटिंग के बारे में नहीं : राहुल
न्यूज डेस्क
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ने शनिवार को प्रवासी मजदूरों को लेकर केंद्र सरकार पर वार किया। उन्होंने सरकार की ओर से घोषित किए गए 20 लाख करोड़ के आर्थिक राहत पैकेज पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सरकार से मजदूरों की मदद की करने की अपील की।
राहुल ने कहा कि उन्हें सरकार के पैकेज से काफी निराशा हुई है। उन्होंने कहा कि सड़क पर चलने वाले प्रवासी मजदूरों को कर्ज नहीं पैसे की जरूरत है। बच्चा जब रोता है तो मां उसे लोन नहीं देती, उसे चुप कराने का उपाय निकालती है, उसे ट्रीट देती है। सरकार को साहूकार नहीं, मां की तरह व्यवहार करना होगा।
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राहुल गांधी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार, विपक्ष और मीडिया सभी को मिलकर काम करना चाहिए। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि पीएम को विदेश को देखकर नहीं, बल्कि देश को देखकर फैसला लेना होगा।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार की मदद को किसानों, व्यापारियों और प्रवासी मजदूरों के लिए नाकाफी बताया। उन्होंने कहा कि सरकार की मदद कर्ज का पैकेट नहीं होना चाहिए। किसान, प्रवासी मजदूरों की जेब में सीधा पैसा जाना चाहिए।
राजकोषीय घाटे और भारत की रेटिंग पर राहुल ने कहा कि कहा जा रहा है कि राजकोषीय घाटा बढऩे की वजह से एजेंसियों की नजर में भारत की रेटिंग कम हो जाएगी। मेरा मानना है कि पहले भारत के बारे में सोचिए, रेटिंग के बारे में नहीं। भारत के सभी लोग अगर ठीक रहेंगे तो एक बार फिर से मिलकर काम करेंगे और रेटिंग अपने आप ठीक हो जाएगा।
राहुल ने सरकार को सलाह भी दिया। उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से सरकार को तीन टर्म शॉट, मिड और लॉन्ग टर्म में काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा, शॉर्ट टर्म में डिमांड बढ़ाइए। इसके तहत आप हिंदुस्तान के छोटे और मंझोले व्यापारियों को बचाइए। इन्हें रोजगार दीजिए। आर्थिक मदद कीजिए। स्वास्थ्य के हिसाब से आप उन लोगों का ख्याल रखिए जिन्हें सबसे ज्यादा खतरा है।
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वहीं मिड टर्म में छोटे और मझोले व्यापार को मदद कीजिए। हिंदुस्तान को 40 प्रतिशत रोजगार इन्हीं लोगों से मिलता है इसलिए इनकी आर्थिक मदद भी करनी चाहिए। बिहार जैसे प्रदेशों में ही रोजगार बढ़ाने पर ही ध्यान दीजिए।
लॉकडाउन हटाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि लॉकडाउन को हमें धीरे-धीरे समझदारी से खत्म करना होगा। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन सारी समस्याओं का समाधान नहीं है। हमें बुजुर्गों, बच्चों सभी का ख्याल रखते हुए धीरे-धीरे लॉकडाउन उठाने के बारे में सोचना होगा, जिससे कि किसी को कोई खतरा ना हो।
राहुल गांधी अगर प्रधानमंत्री होते तो वो क्या करते? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नहीं हूं, पर एक विपक्ष के नेता के तौर पर यही कहूंगा कि जब कोई भी आदमी अपना घर छोड़कर दूसरे राज्य में सिर्फ काम की तलाश में जाता है। इसलिए सरकार को रोजगार के मुद्दे पर एक राष्ट्रीय रणनीति बनानी चाहिए।
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