- दो दिन में सीमा पर जुटे 13 हजार प्रवासी मजदूर
- ये मजदूर यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के हैं कामगार
न्यूज डेस्क
देश में अफरा-तफरी का माहौल है। देश के कामगर मजदूर सड़कों पर हैं। एक माह से अधिक समय से ये अपने घर पहुंचने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि सरकार इन्हें इनकी मंजिल तक तो पहुंचा नहीं पा रही है बल्कि अड़चने लगा रही है। पुलिस का डंडे से ये आहत हैं। इनकी मनोदशा समझने की कोई कोशिश नहीं कर रहा है।
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की अंतरराज्यीय सीमा पर बिजासन घाट वर्तमान में रणक्षेत्र में तब्दील हो गई है। यहां 10 मई से हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर पहुंच रहे हैं। ये अपने घर जाने के लिए साधन का इंतजार कर रहे हैं। पुलिस पैदल जाने नहीं दे रही है और मध्य प्रदेश सरकार कोई साधन भेज नहीं रही है। पुलिस इन्हें इंतजार करने को कहती है लेकिन ये इंतजार नहीं कर पा रहे हैं। इसका नतीजा है कि ये पुलिस से भिड़ जा रहे हैं। थके, हारे गुस्साए प्रवासी मजदूर पुलिस पर ईंट-पत्थर भी फेंकने से नहीं चूक रहे हैं।
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इनकी विवशता कोई नहीं समझ रहा है। भीड़ में बच्चे-बूढे और जवान सभी हैं। यहां जितने लोग हैं सभी हर पल जद्दोजहद कर रहे हैं। इनके चेहरे पर हताशा, निराशा और गुस्सा झलक रही है।
किसी को यूपी आना है तो किसी मध्य प्रदेश। किसी को झारखंड जाना है तो किसी ओडिशा। किसी को बिहार जाना है तो किसी को पश्चिम बंगाल। ये रोजी-रोटी की तलाश में महानगर में आए हुए थे। तालाबंदी के बाद कामकाज छिन जाने पर अपने-अपने घरों को वापस जाना चाहते हैं।
10 मई से महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों को बसों से बिजासन घाट पहुंचाना शुरू किया है, तब से यह जगह रणक्षेत्र के रूप में तब्दील हो चुका है। लोग बसों में चढऩे के लिए मारामरी कर रहे हैं।
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महाराष्ट्र सरकार के परिवहन विभाग के मुताबिक अब तक करीब 1.36 लाख प्रवासी मजदूरों को राज्य की अलग-अलग सीमाओं पर सरकारी बसों से पहुंचाया जा चुका है। इनमें से 70 फीसदी को एमपी बॉर्डर भेजा गया है। पिछले दो दिनों में ही बिजासन घाट पर 13 हजार प्रवासी मजदूरों को पहुंचाया गया है।
14 मई को यहां मजदूरों की पुलिस से झड़प हुई थी। इन लोगों ने रोड को जाम कर दिया था। पुलिस पर ईंट-पत्थर पर फेंका था।
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