Monday - 28 October 2024 - 11:57 AM

जन आकांक्षाओं के अनुरूप हो लाकडाउन 4.0

कृष्णमोहन झा

कोरोना वायरस के संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए लागू किए गए लाक डाउन की अवधि तीसरी बार बढ़ाने की केंद्र सरकार की मंशा का पता तो देशवासियों को उसी दिन चल गया था, जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संदेश में 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी।

प्रधानमंत्री ने कहा था कि लाक डाउन 4.0 का रूप रंग बदला हुआ होगा। लाक डाउन के चौथे चरण के ऱुपरंग को आकर्षक बनाने के लिए राज्य सरकारों से सुझाव मांगे गए हैं। अब देखना यह है कि राज्य सरकारों से मिलने वाले सुझावों के आधार पर ही केंद्र सरकार लाक डाउन 4.0 का रूप रंग तय करती है अथवा उसे और आकर्षक बनाने के लिए लिए अपनी ओर से भी कुछ जोड़ती है।

लेकिन इतना तो तय है कि लाक डाउन के चौथे चरण की भूमिका तैयार हो चुकी है बस उसकी औपचारिक घोषणा बाकी है और देश की जनता उसकी उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रही है। जनता को भी लाक डाउन के तीन चरणों के फायदों ने लाक डाउन 4.0 की अनिवार्यता काअहसास करा दिया है इसलिए वह भी अभी लाक डाउन को जारी रखने के पक्ष में है।

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दरअसल, लोगों ने भी इतने दिनों तक लाक डाउन का पालन करते हुए अपनी दिनचर्या में भी बदलाव कर लिया है। कोरोना संक्रमण के बढते हुए मामलों के कारण कई राज्य सरकारें लाक डाउन को 31मई तक जारी रखने के पक्ष में हैं। कोरोना संक्रमण के निरंतर बढते दायरे के कारण लाक डाउन की अवधि एक बार फिर बढ़ाने की अनिवार्यता से शायद ही कोई इंकार करे परंतु लाक डाउन को वर्तमान स्वरूप में अनिश्चित काल तक जारी भी नहीं रखा जा सकता।

इस हकीकत से केंद्र के साथ-साथ सभी राज्य सरकारें भी भलीभांति वाकिफ हैं। इसीलिए राज्य सरकारें अब ऐसी रण नीति बनाने में जुटी हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कामकाज को धीरे-धीरे पहले की भांति गति प्रदान की जाए। प्रधान मंत्री मोदी ने ने पहले भी लाक डाउन को जारी रखने का फैसला करने के पूर्व विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से विचार विमर्श किया था और उसके आधार पर लाक डाउन की अवधि बढ़ाने का फैसला किया था।

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प्रधानमंत्री के द्वारा इस बार लाक डाउन को नए रंग रूप में लागूकिए जाने के संकेत दिए जा चुके हैं। इसलिए इस संबंध में राज्य सरकारों के सुझावों को विशेष महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रधानमंत्री ने हाल में ही राष्ट्रके नाम दिए गए अपने संदेश में 20लाख करोड रु का जो आर्थिक पैकेज घोषित किया है वह कोरोना संकट काल में देश की आर्थिक गतिविधियों को फिर से गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

परंतु कोरोना संकट से पीडित समाज के विभिन्न वर्गों को इसका अपेक्षित लाभ तभी मिल सकेगा जबकि देश के अंदर लाक डाउन से बाहर आने के लिए आवश्यक परिस्थितियां निर्मित हो सकें। इसका मतलब यही है कि कोरोना वायरस के निरंतर बढते दायरे को सीमित करने के लिए अब और अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।

नए आर्थिक पैकेज से उद्योग धंधों में कामकाज को गति मिलेगी। सरकारी और गैर सरकारी दफ्तरों में भी लाक डाउन के चौथे चरण में कार्य संस्कृति में बदलाव आना तय है। इसमें कोई संदेह नहीं कि अधिकांश राज्य लाक डाउन 4.0 के पक्ष में हैं परंतु यह मानना भी गलत नहीं होगा कि ऐसे राजय स्वयं भी लाकडाउन के चौथे चरण में रियायतों को बढ़ाने के पक्ष में हैं।

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यह भी हो सकता है कि लाक डाउन के चौथे चरण में कोरोना पीडितों की संख्या के आधार पर जिलों के विभाजन की वर्तमान प्रणाली के बदले रेड, आरेंज ग्रीन जोन को नए तरीके से परिभाषित किया जाए। दरअसल रियायतों को बढाए बिना और कार्य संस्कृति में बदलाव लाए बिना आर्थिक पैकेज से अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं किए जा सकते।

लाक डाउन के कारण बेरोजगार हो गए गरीब प्रवासी मजदूरों का हजारों की संख्या में जो पलायन हो रहा है। उसमें सफर के दौरान उनके साथ जो कुछ दुखद घटित हो रहा है उस पर विराम तभी लग सकता है जबकि उन्हें गृह राज्य तक पहुंचाने की उचित व्यवस्था केंद्र अथवा संबंधित राज्य सरकारों के द्वारा कर दी जाए।

अब इस विषय में गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है कि अगर श्रमिक एक्सप्रेस के द्वारा सभी प्रवासी मजदूरों को निशुल्क उनके मूल निवास स्थान तक पहुंचाने की व्यवस्था सरकार ने कर दी है तो वे कड़ी धूप में सैकड़ों मीलोंका कठिन सफल करने के लिए क्यों विवश हैं। लाक डाउन 4.0 में ऐसी कुछ व्यवस्था अवश्य ही की जाना चाहिए जिसमें प्रवासी मजदूरों को उम्मीद की कोई किरण दिखाई दे।

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हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जो लाक डाउन हमने लोगों को जान लेवा कोरोना वायरस के प्राण घातक संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए लागू किया वह कहीं इन गरीब प्रवासी मजदूरों के लिए अभिशाप तो नहीं बन रहा है। लाक डाउन के रूप रंग में सकारात्मक बदलाव के लिए केंद्र सरकार तक विभिन्न राज्य सरकारों के ब्लूप्रिंट पहुँच चुके हैं और अब केन्द्र सरकार को यह तय करना है कि लाक डाउन के अगले चरण का स्वरूप जन आकांक्षाओं के अनुरूप हो।

(लेखक डिजियाना मीडिया समूह के राजनीतिक संपादक है)

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