- लॉकडाउन के बीच महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध में हुई वृद्धि
- साइबर ठगों ने अपना जाल और मजबूत कर रखा है
- महिलाओं के साथ मारपीट, दुर्व्यवहार, अश्लील वीडियो, धमकी, गाली-गलौज और फिरौती की मांग से लेकर ब्लैकमेलिंग तक शामिल है
सैय्यद मोहम्मद अब्बास
लॉकडाउन में अपराध कम हुआ इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। यूपी पुलिस के आंकड़े भी इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं। यूपी पुलिस ने अप्रैल माह में एक आंकड़ा पेश करते हुए ये बताया था कि यूपी में लॉकडाउन के दौरान 89 प्रतिशत अपराधों में कमी आई है लेकिन अब हालात थोड़े उलट है खासतौर पर महिलाओं को लेकर। हाल में ठेके खुलने के बाद अपराध में एकाएक रफ्तार पकड़ ली थी।
लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में कमी आने की बात सामने आई जरूर है लेकिन सोशल मीडिया पर महिलाओं को अब पहले से ज्यादा शिकार बनाया जा रहा है। एक अखबार के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान करीब 41,800 ज्यादा शिकायतें दर्ज की गईं। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि महिलाओं ने यह शिकायते साइबर स्पेस में ज्यादा दर्ज करायी है।
साइबर सेल से जुड़े लोग बताते हैं लॉकडाउन के दौरान सैकड़ों महिलाओं की शिकायत मिलती रहती है और कहा जाता है कि सोशल मीडिया के सहारे ये अपरध होते हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम के आलावा अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से महिलाओं को मनचलें अपना शिकार बनाते हैं। कभी अश्लील पोस्ट करके या फिर अंजान नम्बर से काल करके परेशान करने के मामले इसमें शामिल है।
अगर कहा जाये कि मनचलों का नया ठिकाना सोशल मीडिया बन गया है, ये बिल्लकुल सही होगा। महिलाओं को सोशल मीडिया या फिर फोन के माध्यम से टारगेट करते नजर आ रहे हैं।
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इसके आलावा लॉकडाउन के दौरान साइबर ठगों ने अपना जाल और मजबूत कर रखा है। किसी क भी फेसबुक अकाउंट हैक हो सकता है अथवा किसी को किसी भी समय वित्तीय नुकसान भी इनके माध्यम से पहुंचना अब आसान हो गया है इतना ही नहीं हाइटेक तकनीक के माध्यम से साइबर अपराध में एकाएक तेजी आ गई है।
क्या कहना है लोगों का
पूर्व महिला डिप्टी एसपी श्रीमती मिथिलेश सिंह ने भी माना कि लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया के सहारे कुछ लोग महिलाओं को परेशान कर रहे हैं। उनके अनुसार पुलिस प्रशासन को चाहिए कि साइबर क्राइम सेल को मजबूत बनाये जाने की जरूरत है। उन्होंने इस पूरे मामले पर अपनी बात रखते हुए कहा कि तरक्की इस दौर में साइबर क्राइम ने अपनी अलग जगह बना ली है।
इसे रोकने और साइबर अपराधियों को पहचान अब पुलिस के लिए चुनौती बन रहा है। उन्होंने कहा कि पहले साइबर क्राइम के मामलों केवल बैंक से संबंधित ठगी के सामने आते थे लेकिन वक्त के हिसाब से साइबर क्राइम के दायरे भी बढ़ गए है और टेक्नोलाजी के सहारे बड़े-बड़े अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है। इस वजह से साइबर अपराध का ग्राफ भी बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार कुछ ऐसी करना होगा जो इसको रोका जा सके। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में इंटरनेट सबकी जरूरत बन गया है लेकिन कुछ लोग इसी इंटरनेट का गलत फायदा उठा रहे हैं। अगर साइबर क्राइम को रोकना है तो इंटरनेट को लेकर कुछ ठोस योजना बनानी होगी। उन्होंने कहा कि मां-बाप को अपने बच्चों की गतिविधियोंं पर ध्यान देना होगा।
वहीं पूर्व पुलिस आधिकारी सुधीर शर्मा बताते हैं लॉकडाउन की वजह से महिला थाने तक नहीं पहुंच पा रही है और इस वजह से एफआईआर दर्ज नहीं हो पा रही है। इसके आलावा सोशल मीडिया पर आसानी से अपराधी महिलाओं को अपना शिकार बन रहा हैं। ऐसे में साइबर सेल को मजबूती से काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को हेल्पलाइन नम्बर पर अपनी शिकायतें दर्ज करानी चाहिए। उन्होंने जुबिली पोस्ट के माध्यम से कहा है कि महिलाओं को ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करानी चाहिए।
क्या कहते हैं आंकड़े
राष्ट्रीय महिला आयोग ने काफी चिंता जतायी थी और कहा था कि लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े हैं। उनके अनुसार इस दौरान यौन शोषण, घरेलू हिंसा और मारपीट की घटनाओं में काफी तेजी पकड़ी है।
महिला आयोग ने आंकड़ा जारी करते हुए कहा था कि साइबर क्राइम में 54 शिकायतें ऑनलाइन दर्ज हुईं, जबकि मार्च में 37 शिकायतें सामने आई थीं और वहीं फरवरी में 21 शिकायतें ही दर्ज की गई थीं। लॉकडाउन के बीच ऑनलाइन शिकायतों में काफी वृद्धि हुई है।
दूसरी ओर बात अगर यूपी की जाये तो अभी हाल में एक अखबार ने साइबर अपराधों पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की और बताया था कि 23 फरवरी से 24 मार्च के बीच महिलाओं से छेड़छाड़ की शिकायत 2 लाख 18 हजार मामले सामने आए थे जबकि 25 मार्च से 25 अप्रैल के बीच यही आंकड़े बदल गए और 2,59,800 शिकायतें दर्ज की गईं है।
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कुल मिलाकर कोरोना काल में साइबर अपराधों को रोकना पुलिस के लिए अब चुनौती बनता नजर आ रहा है। इतना ही नहीं कोरोना काल में सबकुछ ऑनलाइन होने से भी थोड़ा साइबर अपराध खतरा बढ़ गया है।