- लास्ट एक्जाम 4u ‘लॉकडाउन 4’
- डिसिप्लिन 4u ‘लॉकडाउन 4’
- लॉकडाउन चार में बस अनुशासनहीता ही लॉक रहेगी
- अनुशासनहीता को घर में कैद रखकर जिंदगी को पटरी पर लाने देगा लॉकडाउन 4
नवेद शिकोह
कोरोना से लड़ाई लम्बी चलेगी। जान और माल के खतरों से बचने के लिए कोई भी देश एक-दो महीनें से ज्यादा घरों में कैद नहीं रह सकता। सबको वायरस से तो बचना ही है, भुखमरी से भी बचना है। आर्थिक पहिये को इतने दिन नहीं रोका जा सकता कि वो जाम हो जाये।
हालांकि अभी ना भारत के स्तर पर और न वैश्विक स्तर पर पूरी तरह से कोविड 19 पर काबू नहीं पाया गया है। लेकिन जिन्दगी को पटरी पर लाना भी जरुरी है। इसलिए अन्य देशों की तरह भारत भी लॉकडाउन की बंदिशों को बेहद हलका करके जिन्दगी और आम दिनचर्या को धीरे-धीरे पटरी पर लाना चाह रहा है।
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लॉकडाउन फोर भी लागू होना है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ये स्पष्ट कर दिया है। लेकिन ये नाममात्र का लॉकडाउन होगा और अनुशासनहीता को जरुर लॉक रखेगा। सरकारी गाइड लाइन का सख्ती से पालन करवायेगा। सोशल डिसटेंसिंग को लागू रखेगा। मौत हो, शादी हो धार्मिक, राजनीति या सामाजिक कार्यक्रम हो, कहीं भीड़ इकट्ठा करने की इजाजत नहीं मिलेगी।
तीसरे लॉकडाउन को आखिरी समझये। चौथा लॉकडाउन आपको मात्र अनुशासन और एहतियातों से बांधे रखेगा। अपके आनुशासन की डोर प्रशासन के हाथ मे रहे, अनुशासनहीनता कर कोई सोशल डिसटेंसिंग नहीं तोड़े, इस अहम बातों के लिए किसी हद तक सामान्य जन-जीवन को लॉकडाउन चार का नाम दिया गया है।
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हालांकि पूरी तरह से सामान्य दिनचर्या अभी भी इसलिए नजर नहीं आयेगी क्योंकि तमाम पाबंदिया अभी भी लागू रहेंगी। शैक्षणिक संस्थान और धार्मिक आयोजनों की बहाली के लिए अभी भी कोई स्पष्ट गाइड लाइन नहीं तैयार की गई है। कुछ एहतियातों और पाबंदियों के साथ पब्लिक मॉल और सैलून इत्यादि भी लॉकडाउन फोर में बहाल हो सकते हैं।
मोबाइल, पंखे, कूलर, एसी, नजर के चश्में इत्यादि जैसी तमाम जरुरत के सामान की दुकानों और निर्माण इत्यदि को शुरु करने की इजाजत मिलने की पूरी संभावना है। सरकारी कार्यालय खुल ही चुके है। प्राइविट सेक्टर के कार्यालयों को खोलने की छूट तीसरे लॉकडाउन में मिल ही चुकी थी। फैक्ट्रियों और कल कारखानों को शुरु करना और मजदूरों की काम पर वापसी की रणनीति बड़ी चुनौती बन रही है।
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वक्त के साथ लॉकडाउन की सख्तियां कम करने का मुख्य उद्देश्य ये है कि अर्थव्यवस्था का पहिया जाम ना हो, धीरे-धीरे पुनः चले।
कोविड 19 महामारी है। ये बड़ी समस्या है। जान और माल का दुश्मन कोरोना वायरस भूख से भी मार सकता है। बीमारी से बचने के उपाय के साथ सरकारों ने अब भूख से बचने के उपायों पर काम शुरु कर दिया है।
हालांकि चुनौतियां बहुत हैं। एक तरफ कुआं है और एक तरफ खाई। वायरस से जिन्दगी बचाने के लिए लॉकडाउन जरूरी है और भुखमरी से बचने के लिए लॉकडाउन को खत्म करना जरूरी है। इसलिए सरकार ने कुएं और खाई के बीच बचाव का रास्ता खोजा है। एकदम से लॉकडाउन खत्म करने की घोषणा से भगदड़ सा हानिकारक माहौल पैदा ना हो इसलिए लॉकडाउन अपने शाब्दिक अर्थ से अलग होगा।
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इसका असर संपूर्ण बंदी के रूप में नहीं बल्कि अनुशासनहीता को ये बंधक बनाये रहेगा। सामान्य दिनचर्या और काम काज सरकारी गाइड लाइन खासकर सोशल डिसटेंसिंग के अनुशासन से जुड़ी रहेगी।
ख़ैर माना ये जा रहा है कि 17 मई के बाद कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने के बजाय घटने लगे और आहिस्ता आहिस्ता सब कुछ ठीक होने लगे तो लॉकडाउन 4 लास्ट एक्जाम 4u साबित होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)