स्पेशल डेस्क
मुझको यारों माफ़ करना…मैं नशे में हूं… अब तो मुमकिन है बहकना… मैं नशे में हूं मुझको यारों माफ़ करना…मैं नशे में हूं… कल की यादे मिट रही है… दर्द भी है कम… कम है दिल का अब तड़पना भी… ये मशहूर गाना फिल्म ‘ मैं नशे में हूं’ का है और इस गाने को मुकेश ने गाया है। मौजूदा हालात में ये गाना एकदम फिट बैठ रहा है।
कोरोना काल में सरकार ने अब शराब की दुकानों को खोल दी है। शराब की दुकानों पर लगने वाली लम्बी-लम्बी लाइन भी इस बात का सबूत है कि नशे के लिए लोग कितने आतुर है।
इस वजह से एकाएक सूबे में अपरधिक घटनाओं में भी बढ़ौतरी हो गई। आलम तो यह है कि शासन दबी जुब़ान में कह रहा है 40 दिन की मेहनत पर कहीं पानी ना फिर जाए।
सोशल डिस्टेंस को तार-तार किया जा रहा है
दरअसल देश में कोरोना से बचने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है और इस वजह से देश के अधिकांश इलाकों में शिक्षण संस्थान, धार्मिक स्थल, सिनेमाघर, मॉल और रेल और हवाई सेवाएं इत्यादि पूरी तरह से बंद है लेकिन 45 दिन बाद तालाबंदी 3.0 की कुछ रियायतें अब मुसीबत बन गई है। खासकर शराब की दुकानों को खोलना अब भारी पड़ता नजर आ रहा है।
सरकार ने राजस्व वसूली के चक्कर में शराब की दुकानों को खोल दिया है। कोरोना काल में लॉकडाउन लगा है और इस दौरान अपराधों पर लगाम लग गई थी और सूबे में अमनचैन कायम था लेकिन 45 दिन बाद सरकार ने शराब की दुकानों को कुछ रियायतों के साथ खोल क्या दिया कि लोगों पर शराब हासिल करने का भूत सवार हो गया है।
शराब के लिए जिस तरह से सडक़ों पर भारी भीड़ जमा हुई वो कही न कही कोरोना को और बढ़ा सकता है। जाम का सुरूर लोगों में ऐसा दिखा कि दो गज की दूरी को लोगों ने ताक पर रख दिया है।
नतीजा यह रहा कि लोगों पर जैसे ही नशा चढ़ा वैसी ही अपराध की घटनायें भी अचानक से दोगुनी हो गई है। इसके साथ ही अब पुलिस के लिए भी इन अपराधों को काबू करना चुनौती साबित हो रहा है।
यूपी पुलिस के आंकड़े बता रहे हैं कि शराब की दुकान खुलते ही अपराधों में तेजी आ गई है। आलम तो यह है कि 112 पर शिकायतें रूकने का नाम नहीं ले रही है। बीते 44 दिनों में अपराधिक घटनाओं पर काफी गिरावट आई थी।
इसके पीछे लॉकडाउन का बहुत बड़ा हाथ बताया जा रहा है। दरअसल लोग घरों पर रहते थे और शराब से भी दूर थे। सरकार ने सोमवार को शराब की दुकानों को खोल दिया था और जिसके बाद अचानक से सार्वजनिक जगहों पर झगड़ा, घरेलू हिंसा व मारपीट की घटनाये अचानक से बढ़ गई है।
क्या कहते हैं आंकड़े
- 112 के आंकड़ों पर नजर दौड़ायी जाये तो चौंकाने वाली बाते सामने आ रही है
- लॉकडाउन : 24 मार्च को सार्वजनिक झगड़ों को लेकर 344 शिकायतें सामने आई थी
- इसके बाद यही आंकड़ा एकदम घट गया और करीब 186 मामले सामने आए है
- इतना ही नहीं 28 मार्च को पूरे यूपी में केवल 77 शिकायतें दर्ज हुई थी
- यह चौंकाने वाला इसलिए क्योंकि आम दिनों में ज्यादा मामले सामने आते रहे हैं
शराब की दुकानों के खुलने के बाद बदल गया आंकड़ा
सरकार ने जब सोमवार को शराब की ठेके खोलने का आदेश जारी किया तो अपराधों के आंकड़ों में एकाएक उछाल आ गया है। सार्वजनिक जगहों पर झगड़े की शिकायते अचानक से दोगुनी हो गई है। 465 शिकायते सोमवार को दर्ज की गई जबकि घरेलू हिंसा के मामले 165 से बढक़र 337 जा पहुंचे है। हालांकि पुलिस इन शिकायतों पर लगातार एक्शन ले रही है।
पूर्व पुलिस आधिकारी सुधीर शर्मा ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि पूरा देश कोरोना से लड़ रहा है। कोरोना संक्रमण काल में लॉकडाउऩ के दौरान 40 दिन तक जिस तरह हमने कोरोना से जंग लड़ी, पूरी दुनिया उसकी तारीफ कर रही है लेकिन शराब की दुकानों ने एक बार फिर हमारे लिए संकट पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह सडक़ों पर भीड़ बढ़ी है, जिस तरह शराब की दुकानों पर सोशल डिस्टेंस लोग मान नहीं रहे हैं उससे आने वाले समय में नई परेशानी हो सकती है, क्योंकि कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है, डर है कि 40 दिन की मेहनत पर कहीं पानी ना फिर जाए।
प्रदेश के प्रमुख सचिव (आबकारी) संजय भूसरेड्डी (Sanjay Bhusreddy) ने कहा कि प्रदेश में शराब की बिक्री शुरू हो गई है. तीन-चार दिन सीमित मात्रा में ही लोग शराब खरीद सकेंगे. एक व्यक्ति एक बार में केवल एक बोतल, दो अद्धा, तीन पव्वा, दो बीयर की बोतलें और तीन बीयर की केन खरीद सकता है उन्होंने दुकानदारों की भी जमकर क्लास ली और ओवररेटिंग रोकने का सख्त आदेश दिया। उनके अचानक किए गए निरीक्षण से खलबली मच गई ।उन्होंने कहा कि ओवररेटिंग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
दुकानों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का पालन करवाने के लिए ग्राहकों के लिए घेरे बनाए गए हैं और किसी भी तरह के हंगामे से बचने के लिए पुलिस फोर्स की तैनाती भी की गई है।
सुबह से ही शराब की दुकानों पर उमड़ी भीड़ ने फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ ही तमाम गाइडलाइन का उल्लंघन किया तो मुख्य सचिव भूसरेड्डी के साथ आबकारी आयुक्त पी़ गुरुप्रसाद (P. Guruprasad) को भी मैदान में उतरना पड़ा।