जुबिली न्यूज डेस्क
इस बात के आदेश तो हालांकि पहले ही हो चुके थे , लेकिन नियुक्तियाँ इक्का दुक्का ही हो रही थी । पहली बार केंद्र ने एक साथ 9 गैर आईएएस अफसरों को केन्द्रीय सचिवालय में नियुक्त कर दिया है। ये अब तक का सबसे बड़ा फेरबदल है।
इतिहास में पहली बार यह हुआ है कि यूपीएससी ने बिना परीक्षा पास किये ही सरकार के विभिन्न विभागों में संयुक्त रूप से नौ प्रोफेशनल्स, जिनमें ज्यादातर निजी क्षेत्र के हैं, को संयुक्त सचिव बनाया गया है जो भारत में सरकारी सेवाओं में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी लेटरल एंट्री है।
सरकारी थिंक टैंक “नीति आयोग” की रिपोर्ट में कहा गया था कि निश्चित अवधि के लिए कांटेक्ट पर “लेटरल एंट्री” के जरिए विशेषज्ञों को सिस्टम में शामिल किया जाए ।
पिछले साल जून में लेटरल इन्ट्रीमोड के माध्यम से संयुक्त सचिवों के पद के लिये आमंत्रित आवेदन के आधार पर इन नौ संयुक्त सचिवों का चयन किया गया है-
1)अम्बर दुबे..नागरिक उड्डयन
2)अरूण गोयल..वाणिज्य
3)राजीव सक्सेना ..आर्थिक मामले
4)सुजीत कुमार बाजपेयी -.-पर्यावरण,जलवायु परिवर्तन
5)सौरभ मिश्रा–वित्तीय सेवा
6)दिनेश दयानन्द जगदाले..नवीनीकरण उर्जा
7)सुमन प्रसाद सिंह..सड़क राजमार्ग
8)भूषण कुमार…जहाजरानी
9)काकोली घोष..कृषि सहयोग और किसान कल्याण
इन सभी को सातवें वेतन आयोग में मैट्रिक्स लेवल 14 में नियुक्ति दी गयी है।
नौकरशाही में नए टैलेंट को लाने का मोदी सरकार द्वारा लेटरल एंट्री मोड को सबसे बड़े सुधारों में से एक माना जा रहा है।
आम तौर पर संयुक्त सचिव के पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा आईएएस, भारतीय पुलिस सेवा आईपीएस,भारतीय राजस्व सेवा आईआरएस, और भारतीय वन सेवा आईएफओएस के अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है, जिन्हें 3 चरणों वाली कठोर चयन प्रक्रिया के माध्यम से संघ लोक सेवा आयोग यूपीएससी, द्वारा चुना जाता है।
शीर्ष नौकरियों के लिए सरकार में पहली बड़ी प्रविष्टि से लोगों में बेचैनी बढ़ गई है,क्योंकि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा कुछ उम्मीदवारों की पसंद पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने चयन प्रक्रिया पर उंगली उठाई है, कहा कि हितों के टकराव का मुद्दा सलाहकारों के मामले में आना तय है।जिन्होंने पहले कारपोरेट घरानों को सलाह दी थी और नीति में उनके अनुकूल बदलाव के लिए पिच की थी लेकिन अब मंत्रालय में संयुक्त सचिव बन जाएंगे।
वे अब नीतिगत फैसले करेंगे, जबकि उन्हें सरकार में काम करने का कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं है, बाकी आठ और को भी बिना परीक्षा के नौकरशाही में लाया गया, सरकार तमाम हदें पार करती जा रही है…!!
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पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में सुजीत कुमार बाजपेई की नियुक्ति ने भौवें चढ़ा दी हैं,क्योंकि एनएचपीसी में एक वरिष्ठ प्रबंधक के रूप में सरकार में महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले पद के लिए वह बहुत जूनियर हैं और दिग्गज फिल्म स्टार मनोज बाजपाई के छोटे भाई हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में कंसल्टेंसी फर्म केपीएमजी के पार्टनर अंबर दुबे का चयन भी उनके हितों के संभावित टकराव के कारण हुआ है।क्योंकि वह विमानन क्षेत्र में कई निजी कंपनियों को सलाह दे रहे हैं। जिनमें एयरपोर्ट प्रमुख GMR इन्फ्रास्ट्रक्चर और विस्तारा हैं।
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