न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बादलपुर में महाविद्यालय आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) की ओर से एकदिवसीय ऑनलाइन सेमिनार अर्थात Webinar का आयोजन किया गया। जिसका विषय था ”Lock down as an opportunity for humanity”।
इस अत्याधिक प्रासंगिक विषय के वेबिनार संयोजक डॉ. दिनेश चंद शर्मा ने वेबिनार का विषय प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह समय उच्च शिक्षा में नवोन्मेष और नवाचार का है। शिक्षक होने के नाते हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि हम किसी भी प्रकार विद्यार्थियों का हित बाधित ना होने दें और शिक्षा के गुणात्मक उन्नयन हेतु प्रयास करते रहें।
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वेबिनार की मुख्य वक्ता डॉ. दिव्या नाथ ने विषय पर व्यापक प्रकाश डालते हुए कहा कि लॉकडाउन के सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रभाव है। हमे सकारात्मक पक्ष भी देखना चाहिए। यह समय अपनी क्रियात्मक क्षमताओं को बढ़ाने का है। नवीन तकनीकियों से अवगत होने का है और उसके माध्यम से अपने व्यक्तित्व मे गुणात्मक परिवर्तन लाने का है।
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पारिवारिक संबंधों को सुदृढ़ बनाना और अपनी प्राथमिकताओं के पुनर्निर्धारण का यह समुचित अवसर है। हमें यह देखना है कि कैसे हम स्वयं, समाज और सृष्टि के मानकों पर खरे उतरते हैं।
साथ ही इस समय की सबसे महत्त्वपूर्ण बात पर्यावरणीय समृद्धता के रूप में देखी जा सकती है। आस-पास के वातावरण का जो उज्ज्वल रूप हम आज देख रहे हैं वह आज तक कल्पनातीत था, हमे प्रकृति का यह स्वरूप बनाए रखना है अन्यथा हम सृष्टि को ही खो देंगे।
इस क्रम में डॉ. दीप्ति वाजपेयी ने अपने वक्तव्य में कहा कि एक शिक्षक के रूप में यह वक़्त अध्ययन के असीमित अवसर ले कर आया है। शिक्षा और ज्ञान बंधनों से मुक्त होता है, पढने- पढ़ाने के लिए कोई लॉक डाउन नहीं है। अपने शिक्षक दायित्व का निर्वहन करने के बहुत से माध्यम और तकनीकें है जिनके प्रयोग द्वारा हमारे महाविद्यालय के प्रत्येक प्राध्यापक ऑनलाइन शिक्षण कार्य मे रत है यह प्रसंशनीय है।
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डॉ. शिवानी वर्मा ने समाज के श्रमजीवी वर्ग की दयनीय अवस्था के प्रति सबका ध्यान आकृष्ट किया और सभी को उनके प्रति संवेदनशील होने के लिए प्रेरित किया। अगले वक्ता के रूप में डॉ. मीनाक्षी लोहानी ने सारगर्भित प्रस्तुतीकरण देते हुए क्रमबद्ध रूप से लॉक डाउन के विभिन्न सकारात्मक पक्षों पर प्रकाश डाला, जिससे प्रतिभागी अत्यंत लाभान्वित हुए।
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डॉ. कनकलता यादव ने अपने प्रस्तुतिकरण में इस बात पर बल दिया वर्तमान परिस्थितियां हमे यह शिक्षित करने का प्रयास कर रही है कि प्रकृति की अपनी एक गति होती है यदि हम इस गति मे बाधक बनेंगे तो अपना सर्वस्व खो देंगे।
डॉ. संजीव कुमार ने भारतीय संस्कृति के उदात्त विचारो और परंपराओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इस अवसर पर जो नियम निर्धारित किए जा रहे हैं वह हमारी संस्कृति का अविभाज्य अंग रहे है, जिसे प्रगति के जुनून में हम कहीं विस्मृत कर बैठे थे, अब वक़्त पुनः उनसे जुड़ने का है।
डॉ. वकार रज़ा ने कहा कि मानवता और सद्भाव सबसे बड़ा धर्म है और आज इसी की सर्वाधिक आवश्यकता है किन्तु यह क्षणिक ना होकर सर्वकालिक होना चाहिए।
वहीं डॉ रमाकांति ने कहा कि अगर समाज सुरक्षित है तो हम सुरक्षित है। इस विपदा ने हमे सिखाया कि आत्महित ही नहीं सर्वहित सोचना चाहिए वरना सभी का अहित होगा। स्वतंत्रता का मतलब दूसरों को क्षति पहुंचाना नहीं है।
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वाणिज्य संकाय के प्राध्यापक डॉ. अरविंद यादव ने कहा कि वक़्त की नजाकत को देखते हुए हमे सोच विचार कर निवेश करना चाहिए। सभी को हेल्थ पोलिसी एवं टर्म प्लान पॉलिसी अवश्य लेनी चाहिए। इसके पश्चात स्नातकोत्तर स्तर और वी वॉक की छात्राओं ने विषय से संबंधित शोध पत्र प्रस्तुत किए।
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इसके अतिरिक्त कई छात्रा प्रतिभागियों ने वर्तमान समय परिलक्षित होने वाली प्राकृतिक वातावरण की शुद्धता को भी लॉकडाउन के सकारात्मक पक्ष के रूप में परिभाषित किया।
वेबिनार के अंत में आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. किशोर कुमार ने कहा कि वेबिनार का विषय अति प्रासंगिक और सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने वाला है। निसंदेह यह संकट का समय है किन्तु आज के वक़्त की सबसे बड़ी सीख यह है कि हमारी इच्छाएं असीमित है पर हम प्राप्त वही करते है जो हम deserve करते है। हमने प्रकृति को exploit किया है तो हम बेहतर पर्यावरण की अपेक्षा नहीं कर सकते।
डॉ. किशोर कुमार ने प्राचार्या डॉ. दिव्या नाथ एवं ऑनलाइन संगोष्ठी के सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस वेबिनार में लगभग 73 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। अलिस्बा, सुम्बुल, आस्था यादव और जया को क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ बेस्ट पेपर प्रेजेंटर अवार्ड दिया गया।
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