जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोनावायरस के संक्रमण काल में सबसे ज्यादा कोई अपनी जान जोखिम में जान डाल कर कोविड-19से सीधा मुकाबला कर रहा है तो वह है चिकित्सा विभाग। डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ अपने घर परिवार से दूर रह कर रात दिन कोरोना से ग्रसित मरीजों का इलाज करने में लगे हैं और इनमें से कुछ तो मरीजों के सम्पर्क से स्वयं की जान तक गवां दे रहे हैं।
इस बीच मुख्यमंत्री सहायता कोष में सरकारी विभागों द्वारा अपने कर्मचारियों के एक दिन का वेतन एकत्र कर के देने की होड मची हुई है। पुलिस, बेसिक शिक्षा से ले कर पंचायत राज विभाग जैसे कई विभागों के तरफ से इस कोश में अपना योगदान दिया जा चुका है।
अब सीएमओ बस्ती ने आदेश जारी किया है कि पैरामेडिकल स्टाफ और डाक्टरों के अप्रैल माह के वेतन से 1 दिन के वेतन की कटौती की जायेगी। यह धनराशि मुख्यमंत्री के राहत कोष में दिया जायेगा।
सीएमओ बस्ती द्वारा इस संबंध में एक प्रारूप जारी किया है जिसमें यूनिट प्रभारी को कटौती की धनराशि अंकित करने को कहा गया है। आदेश में यह भी जिक्र है कि डीआरडीए के आशुलिपिक के दूरभाष से कहा गया है कि स्वास्थ विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन से 1 दिन की कटौती करना सुनिश्चित करें।
सीएमओ के इस आदेश के बाद बस्ती के स्वस्थकर्मियों में रोष है। उनका कहना है कि सभी सरकारी कर्मियों से कटौती तो समझ में आती है लेकिन चिकित्सा कर्मियों के वेतन से एक दिन के वेतन की कटौती किया जाना न्याय संगत नहीं लगता है। कुछ चिकित्सा कर्मी कह रहे हैं कि हम सब अपनी जान जोखिम में डाल कर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं इसके बावजूद हमारे वेतन से भी कटौती करना कहीं से न्यायसंगत नहीं है।
इस संबंध में अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि चिकित्सा कर्मियों के वेतन से कटौती का यह आदेश शासन के स्तर पर दिया गया है या फिर जनपदीय अधिकारी स्वयं के सतार से यह पहल कर रहे हैं ।