न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। लॉकडाउन 2.0 में खरीददारी कैसे होगी, इसके लिए केंद्र सरकार ने दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं, लेकिन वे आदेश न तो विपक्षी दलों के गले उतर रहे हैं और न ही व्यापारिक संगठन इससे सहमत हैं।
व्यापारिक संगठनों का कहना है कि लॉकडाउन 1.0 में तमाम तरह की दिक्कतें झेलते हुए और कोरोना का जोखिम उठाकर हमने जरूरी वस्तुओं की सप्लाई चेन को जारी रखा है। लेकिन अब लॉकडाउन 2.0 में सरकार ने स्थानीय दुकानदारों को दरकिनार कर ई-कॉमर्स कंपनियों को व्यापार करने की छूट प्रदान कर दी है।
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महाराष्ट्र और उड़ीसा ने तो गैर-जरूरी वस्तुओं के कारोबार की इजाजत देकर स्थानीय व्यापारियों के हितों पर कुठाराघात किया है। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, शहरी विकास मंत्री और वाणिज्य राज्य मंत्री हरदीप पुरी, गृह सचिव अजय भल्ला और डीपीआईआईटी के सचिव गुरुदास माहपात्रा से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
कैट प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह महाराष्ट्र एवं उड़ीसा सरकार की तरफ से जारी उस आदेश को वापस लेने के लिए कहे, जिसमें ई-कॉमर्स कंपनियों को सभी वस्तुओं के व्यापार करने की मंजूरी दी गई है।
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खंडेलवाल के अनुसार, गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देश ई-कॉमर्स कंपनियों को केवल आवश्यक वस्तुओं के विक्रय की अनुमति देते हैं। इस बाबत केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भेजे गए अपने पत्र में कैट ने महाराष्ट्र और उड़ीसा सरकार की अधिसूचनाओं पर अत्यधिक आपत्ति जताई है।
यह अधिसूचनाएं केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से 15 अप्रैल को जारी दिशा-निर्देशों के खिलाफ हैं। इस तरह के आदेशों से बाजार में एक असमान स्तर बनेगा। अनावश्यक विवाद उत्पन्न होंगे।
बता दें कि लॉकडाउन के पहले चरण में में स्थानीय दुकानदारों ने जरूरी वस्तुओं की सप्लाई चेन जारी रखी थी। देश में कहीं भी खाने-पीने के सामान की दिक्कत नहीं होने दी गई। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल बताते हैं कि केंद्र सरकार ने अब लॉकडाउन 2.0 में ई-कॉमर्स कंपनियों को व्यापार करने की इजाजत दे दी है।
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हालांकि अभी तय नहीं है कि ई-कॉमर्स कंपनियां कितनी तरह की आवश्यक या गैर-आवश्यक वस्तुएं बेचेंगी। इस बाबत उत्पादों की संख्या/ सीमा तय करने के लिए संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है।
बतौर खंडेलवाल, केंद्र सरकार ने कहा है कि ई-कॉमर्स कंपनियां 20 अप्रैल से अपना काम शुरू कर सकती हैं। कितने घंटे कामकाज होगा, इस बाबत कुछ नहीं कहा गया है। केवल सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने की बात कही गई है।
साथ ही सरकार ने यह भी कह दिया कि राज्य सरकार अपनी सुविधानुसार ई कॉमर्स कंपनियों को कारोबार की मंजूरी दे सकती हैं। कई राज्यों ने ई-कॉमर्स कंपनियों को कारोबार की इजाजत भी दे दी है। इनमें यूपी, गोवा, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, उड़ीसा, तेलंगाना और कर्नाटक आदि राज्य शामिल हैं।
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कई राज्य केवल जरूरी वस्तुओं के कारोबार की मंजूरी देने की बात कह रहे हैं, तो कई प्रदेश जैसे महाराष्ट्र और उड़ीसा ने सभी वस्तुओं के कारोबार की इजाजत दी है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी भरतिया के अनुसार अगर ई-कॉमर्स कंपनियों को सभी प्रकार की वस्तुओं के व्यापार की अनुमति दी जाएगी और स्थानीय दुकानों पर लॉकडाउन का प्रतिबंध लगेगा, तो दुकानदार बर्बाद हो जाएंगे।
जब लॉकडाउन 1.0 में स्थानीय दुकानदारों ने कोरोना के जोखिम के बीच जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला जारी रखी थी, तो अब लॉकडाउन में केंद्र सरकार को उन दुकानदारों के हितों का ध्यान रखना चाहिए था।
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कांग्रेस पार्टी के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को कारोबार की इजाजत देकर सरकार ने छोटे दुकानदारों के साथ धोखा किया है। इन दुकानदारों ने पिछले एक माह के दौरान देश में जरूरी वस्तुओं की कमी नहीं होने दी। बहुत से दुकानें बंद हैं, वे बिजली का बिल भर रहे हैं, अपने कामगारों को सेलरी भी दे रहे हैं, टैक्स भी दे रहे हैं, मगर इसके बावजूद सरकार ने उन पर वार कर दिया।
3 मई तक ई-कॉमर्स कंपनियां टीवी, फ्रिज, मोबाइल, कपड़ा व ज्वेलरी आदि सामान बेचेंगी और स्थानीय दुकानदार लॉकडाउन 2.0 का पालन करेंगे। सरकार की इस भेदभावपूर्ण नीति का जमकर विरोध किया जाएगा।
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