ओम दत्त
दुनिया भर में कोरोना के संक्रमण का आंकड़ा 20 लाख के पार हो गया है जबकि अकेले अमेरिका में 6 लाख मामलों की पुष्टि हुई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का विश्व स्वास्थ्य संगठन “डब्ल्यूएचओ”को दिए जाने वाले फंड पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा ने वैश्विक मानवता के प्रति गंभीर अपराध है। जब अदृश्य वायरस से लड़ने में विश्व के छोटे बड़े देशों की अस्मिता दांव पर लग गयी है।
तब वैश्विक एकजुटता दिखाने के समय पर राजनीतिक दुश्मनी साधने के ट्रम्प के इस कदम को अराजक प्रतिक्रिया ही कहा जायेगा। ऐसा लग रहा है कि इस वायरस के साथ ही अब एक जंग अमेरिका और चीन में लड़ी जाएगी।
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमितों की संख्या विश्व में सबसे ज्यादा अमेरिका में ही है। ऐसा लगता है कि कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को रोकने में मिल रही विफलता को छिपाने के लिए ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह कदम उठाया है।
कुछ दिन पहले ही डब्ल्यूएचओ पर चीन की तरफदारी करने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने फंड रोकने की धमकी दी थी। तब डब्ल्यूएचओ प्रमुख टीड्रास एधनोम घेब्रियेसुस ने कहा था कि,कृपया इसका राजनीतिकरण ना करें। यह वैश्विक राजनीतिक मतभेदों का उठाने का सही समय नहीं है। यदि चाइना और अमेरिका के मतभेद गहराते हैं तो कोविड -19 की लड़ाई की राह बहुत कठिन होती जाएगी।
गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ को अमेरिका सबसे ज्यादा फंड देता है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि यह समय वह नहीं है कि फंडिंग रोकी जाए या दोष निकाला जाए। हमें देखना होगा कि बीमारी पनपने की जड़ कहां पर है।
इस संकट के समय डब्ल्यूएचओ एकमात्र जीवन रेखा है जो अफ्रीकी एशिया प्रशांत देशों के पास है।इस लिये अमेरिका को अपने इस कदम पर पुनर्विचार करना चाहिये जिससे कि इस महामारी का वैश्विक संकट दूर हो सके।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख के ऊपर अमेरिका का मुख्य आरोप है कि, कोरोना संकट में चीनी एजेंडा को उन्होंने आगे बढ़ाया। 14 जनवरी को डब्ल्यूएचओ के ट्वीट में कहा गया कि चीन में प्रारंभिक जांच में मानव से मानव मानव में संक्रमण का कोई साक्ष्य नहीं है। जबकि डब्ल्यूएचओ ने दिसंबर 2019 में मानव से मानव संक्रमण होने के ताइवान की चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया था। अंततः डब्ल्यूएचओ ने 30 जनवरी 2020 को कोविड-19 को महामारी घोषित किया तब तक दस हजार लोग संक्रमित हो चुके थे।
(लेखक जुबिली पोस्ट मीडिया वेंचर में एसोसिएट एडिटर के पद पर कार्यरत हैं)