डॉ. प्रशांत राय
भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़े में तेजी से इजाफा हो रहा है, जबकि भारत अभी सिम्पटोमेटिक करोना से लड़ाई लड़ रहा है। भारत के लिए कोरोना से लड़ाई इतनी आसान नहीं है जैसी अभी दिख रही है।
देश में डॉक्टर, पुलिसकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी, बैंककर्मियों के साथ-साथ घर तक राशन-दवा पहुंचाने वाले योद्धा कोरोना से हिम्मत और दिलेरी के साथ जंग लड़ रहे हैं, लेकिन सिर्फ इनका लड़ना काफी नहीं है।
कोरोना महामारी की गंभीरता को समझना है तो अमेरिका, इटली और स्पेन जैसे देशों की तरफ देखना होगा। इन देशों के पास बेहतर हेल्थ केयर सिस्टम है और ढ़ेर सारा पैसा है, फिर भी ये देश कोरोना वायरस का मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं। और सबसे बड़ी बात यहां आबादी, भारत की तुलना में काफी कम है और शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा है ।
देश में लागू 21 दिन के लॉकडाउन की मियाद पूरी होने वाली है लेकिन इस दौरान देश में कई जगह लॉकडाउन का उल्लंघन हुआ। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हुआ। दिल्ली, अहमदाबाद, कोलकाता, पंजाब से भारी संख्या में प्रवासी मजूदरों के अपने गांवों की ओर लौटने में जिस तरह अफरा-तफरी देखने को मिली। राशन-सब्जी और दवा की दुकानों पर भी भारी भीड़ एक-दूसरे से भिड़ती नजर आई। जाहिर है इसका असर आने वाले दिनों में दिखेगा।
भारत में लाकडाउन के बाद करोना संक्रमण के मामले में तेजी आई है। समझने वाली बात तो यह है कि चीन को छोड़कर दुनिया के सारे देश अभी केवल सिम्पटोमेटिक करोना से लड़ाई लड़ रहे हैं, जबकि अगले स्टेज के बाद नानसिम्पटोमेटिक से करोना संक्रमितों से खतरा बहुत बढ़ जाएगा। ऐसी स्थिति में संक्रमण एक दूसरे से फैलेगा और संक्रमण फैलाने वाले का साधारण स्क्रीनिंग से पता लगाना मुश्किल होगा।
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हाल-फिलहाल अभी बैंकों के बाहर भारी भीड़ देखी जा रही है। पैसा निकालने के लिए धक्का-मुक्की करते इन लोगों को कोरोना के संक्रमण की कोई भय नहीं है। जब कोरोना का ही डर नहीं है तो सोशल डिस्टेंसिंग के पालन की उम्मीद करना बेमानी है। यदि ऐसे ही सब चलता रहा तो ये नान नानसिम्पटोमेटिक और सिम्पटोमेटिक दोनो तरह के करोना का फैलाव सोने पर सुहागे जैसा होगा।
इसके लिए हम किसी एक को दोष भी नहीं दे सकते। कौन दोषी है और ऐसी परिस्थितियां क्यों बन रही है, इसके संदर्भ में बात करेंगे तो बहस लंबी खिंच जायेगी। सरकार अपने स्तर पर संक्रमण को रोकने के लिए तमाम प्रयास कर रही है। इस प्रयास हम सभी को भागीदार बनना होगा तभी हम इस लड़ाई को जीत पायेेंगे। एक बात जान लीजिए कोरोना वायरस जाति-धर्म, अमीरी-गरीबी नहीं देखती। उसे सिर्फ मानव शरीर से मतलब है, चाहे वह किसी का भी हो। इसलिए अभी भी समय है संभल जाइये, नहीं तो कुछ और महीनों के लिए घर में रहने की तैयारी कर लीजिए।
(डॉ. प्रशांत राय, सीनियर रिचर्सर हैं। वह देश-विदेश के कई जर्नल में नियमित लिखते हैं।)
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