रूबी सरकार
मध्य प्रदेश में दो दिन पहले तक मात्र 13 जिलों में कोरोना पॉजिटिव थे, लेकिन अब ये बढ़कर 20 जिलों तक फैल चुकी है। सरकार का इरादा इस महामारी को 20 जिलों तक ही रोकना है। हालांकि सरकार के सामने यह बहुत बड़ी चुनौती है। क्योंकि इससे ज्यादा जिलों में संक्रमण के फैलने से इसे रोकना मुष्किल हो जायेगा। कोरोना एक सप्ताह में ही 6 जिलों से बढ़कर 20 जिलों तक पहुंच गया।
प्रदेश में इस समय वेंटिलेटर और बिस्तरों की भारी कमी है। राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े आंकड़ों के मुताबिक राज्य में वेंटिलेटर और आईसीयू में बिस्तरों की स्थिति विकट हो सकती है, यदि संक्रमितों के आंकड़ों में कमी लाने को लेकर गंभीर प्रयास नहीं किए गए।
मध्य प्रदेश सरकार के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि मध्य प्रदेश में प्रति 75,000 लोगों के लिए केवल एक वेंटिलेटर है और प्रति 47,000 लोगों के लिए मात्र एक आईसीयू बेड उपलब्ध है।
हालांकि राज्य सरकार के लिए यह संतोष की बात है कि इस महामारी से लड़ने के लिए कारगर मानी जा रही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की गोलियां वर्तमान में प्रति व्यक्ति करीब 30 (गोलियां) उपलब्ध हैं। असलियत में यह दवा मलेरिया के उपचार में काम आती है, लेकिन फिलहाल कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में दुनियाभर में इसका प्रयोग हो रहा है।
मध्य प्रदेश में अब तक कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या लगभग साढ़े 4 सौ पर पहुंच गयी है, जिनमें से लगभग तीन दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है।
इस महामारी ने प्रदेश के जबलपुर में 20 मार्च को दस्तक दी थी और मात्र 21 दिन में इस बीमारी ने प्रदेश के 20 जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है. प्रदेश में इन्दौर में सर्वाधिक कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं, दूसरे पायदान पर मध्यप्रदेष की राजधानी भोपाल है, जहां 112 मरीज संक्रमित पाये गये हैं।
प्रति 47,000 लोगों के लिए एक आईसीयू बेड
सरकारी आंकड़ों के अनुसार साढ़े सात करोड़ से अधिक आबादी वाले मध्य प्रदेश में सरकारी एवं निजी अस्पतालों को मिलाकर मार्च 2020 तक कुल 993 वेंटिलेटर और गहन चिकित्सा विभाग (आईसीयू) के 1,598 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं।
प्रदेश की साढ़े सात करोड़ से अधिक आबादी के साथ इन वेंटिलेटरों और आईसीयू बेडों की तुलना करने पर पता चलता है कि करीब प्रति 75,000 लोगों के लिए एक वेंटिलेटर है और प्रति 47,000 लोगों के लिए एक आईसीयू बेड है, लेकिन, इन वेंटिलेटरों एवं आईसीयू बेडों में से अधिकांश पर पहले से ही अन्य बीमारियों से जूझ रहे अति गंभीर मरीज हैं, जिससे मुसीबत और बढ़ सकती है।
प्रदेश सरकार ने दिया 200 वेंटिलेटर खरीदने का ऑर्डर
आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के अस्पतालों में कुल 29,914 बेड हैं, जिनमें से 9,492 आइसोलेशन (पृथक) वार्ड हैं। आबादी के अनुसार वेंटिलेटर और आईसीयू बेड का अनुपात बहुत ही कम होने पर पूछे गये सवाल पर मेडिकल शिक्षा के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने बताया, कि अस्पतालों सहित चिकित्सा से जुड़े हर चीज को सुधारने के साथ-साथ आवश्यक हेल्थकेयर उपकरणों को खरीदने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, कि प्रदेश सरकार ने 200 वेंटिलेटर खरीदने के लिए आर्डर दे दिया है, लेकिन हमें इनके प्राप्त होने में कुछ समय लग सकता है, क्योंकि विश्वभर में चल रही कोरोना वायरस की महामारी के चलते इस जीवन रक्षक उपकरण की पूरी दुनिया में ही भारी मांग है।
मेडिकल शिक्षा के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने कहा कि राज्य सरकार के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के ढांचे को विकसित करने पर वक्त लगता है।
इसके अलावा, इन वेंटिलेटरों का संचालन करने के लिए हमें विशेषज्ञों की जरूरत भी होगी. फंड तो उपलब्ध है. उन्होंने बताया, कि वर्तमान में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हमारे पास 29,380 पीपीई किट्स हैं. एन-95 मास्क की संख्या डेढ़ लाख तथा थ्री लेयर मास्क की संख्या साढ़े 7 लाख है।
वहीं, प्रदेश सरकार के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में वर्तमान में करीब 24-25 लाख हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की गोलियां उपलब्ध हैं. इस दवाई को मलेरिया सहित अन्य रोगों में उपयोग किया जाता है. इसे इस महामारी से लड़ने के लिए कारगर माना जा रहा है।