न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच देश में सभी नागरिकों को कोविड-19 की जांच की मुफ्त सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई में कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। कोरोना टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कहा कि जांच फ्री में होनी चाहिए।
प्राइवेट लैब में कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच के लिए 4500 रुपये लेने के खिलाफ याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि प्राइवेट लैब को ज्यादा चार्ज नहीं करने दें। इसके लिए सरकार रिइंबर्स करने का कोई तंत्र विकसित करे।
Supreme Court observed & suggested that the tests should be conducted free of cost in the identified private laboratories also. The top court further said that it will pass an appropriate order in this regard. https://t.co/ZFvUwgSgRM
— ANI (@ANI) April 8, 2020
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल को सुझाव दिया और कहा कि निजी लैब को ज्यादा पैसे न लेने दें। आप टेस्ट के लिए सरकार से रिइंबर्स कराने के लिए एक प्रभावी तंत्र बना सकते हैं। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस मामले को देखेगी और जो भी इसमें अच्छा किया जा सकता है उसे विकसित करने की कोशिश करेगी।
सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि सरकार इस मोर्चे पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर कोरोना योद्धा हैं। उन्हें भी संरक्षित किया जाना है। उन्होंने कहा कि उनमें से कई होटलों में रखे जा रहे हैं।
Supreme Court suggested & asked Solicitor General, don’t let private labs charge high amount. You can create an effective mechanism for reimbursement from government for tests, SC asked and suggested him. SG replied that they’ll look into it & try to devise what can be done best. https://t.co/CoeZ6uNeDm
— ANI (@ANI) April 8, 2020
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि अभी 118 लैब प्रति दिन 15000 टेस्ट क्षमता के साथ काम कर रहे हैं। अब हम 47 प्राइवेट लैब को भी टेस्ट की इजाजत देने वाले हैं। यह एक विकासशील स्थिति है। हमें नहीं पता कि कितने लैब की जरूरत होगी और कब तक लॉकडाउन जारी रहेगा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि पीपीई किट समेत सभी मेडिकल उपकरण का तेजी से इंतजाम किया जा रहा है। साथ ही पॉजिटिव लोग किसी को प्रभावित न करें, इसका भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है। इसके अलावा सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया कि डॉक्टरों के वेतन से पैसे काटने की बात में कोई सच्चाई नहीं है।
बता दें कि अधिवक्ता शशांक देव सुधी ने यह याचिका दायर की है। इसमें अनुरोध किया गया है कि केन्द्र और संबंधित प्राधिकारियों को कोविड-19 की जांच की मुफ्त सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाए।
याचिका में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के 17 मार्च के परामर्श पर सवाल उठाये गये हैं जिसमे निजी अस्पतालों और लैब मे कोविड-19 की जांच के लिए अधिकतम मूल्य 4500 रुपए निर्धारित किया गया है। याचिका में कहा गया है कि आम नागरिक के लिए सरकारी अस्पताल या प्रयोगशाला मे कोविड-19 की जांच कराना बहुत ही मुश्किल काम है और इसका कोई अन्य विकल्प नहीं होने की वजह से लोगों को निजी अस्पतालों या प्रयोगशालाओं को जांच के लिये 4500 रुपए देने पड़ रहे हैं।
याचिका के अनुसार, कोरोना वायरस का खतरा बहुत ही ज्यादा गंभीर है और इस महामारी पर अंकुश पाने के लिए जांच ही एकमात्र रास्ता है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस मामले में प्राधिकारी आम आदमी की समस्याओं के प्रति पूरी तरह संवेदहीन है। आम आदमी पहले से ही लॉकडाउन की वजह से आर्थिक बोझ में दबा हुआ है।
याचिका में यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि कोविड-19 से संबंधित जांच एनएबीएल या आईसीएमआर से मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में की जाये। इसी तरह याचिका में कहा गया है कि आईसीएमआर को नियमित रूप से राष्ट्रीय टीवी चैनलों के माध्यम से जनता को कोरोनावायरस की स्थिति और इससे बचने के उपायों के बारे में जानकारी देने का भी निर्देश दिया जाए।