ओम दत्त
एक सवाल सभी के मन में है कि क्या गर्मी में तापमान बढ़ने पर कोविड-19 का प्रकोप खत्म होगा और वह पहले की तरह अपनी दिनचर्या कर सकेंगे। विशेषज्ञ भी इस प्रश्न का जवाब तलाशने में लगे हैं ।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए आक्रामक उपाय किए जाएं तो प्राकृतिक महामारी को कम करने में मदद मिल सकती है इसका मतलब यह नहीं कि वायरस समाप्त हो जायेगा और वापस नहीं आयेगा।
कोरोना वायरस ग्रुप के अन्य वायरसों के प्रारंभिक अध्ययन में एक बात सामान्य है कि सर्दियों के दौरान गहनता से फ्लू का प्रकोप होता है और बसंत में गायब होने लगता है । इसके विपरीत गर्मियों में वायरस का कम संक्रमण होता है । अध्ययनों से पता चला है कि समशीतोष्ण जलवायु में इन कोरोना वायरसों का प्रभाव मौसमी ही रहा।
मौसम का क्या असर होता है इम्यून सिस्टम पर
ऋतु परिवर्तन न केवल एक वायरस के संक्रमण पर प्रभाव डालता है बल्कि यह मानव प्रतिरक्षा प्रणाली में परिवर्तन भी पैदा करता है।इम्यूनोलाजिस्ट नताली रिडेल बताती हैं “हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली एक दैनिक लय प्रदर्शित करती है,लेकिन यह पता करना मुश्किल है कि मौसम के अनुसार परिवर्तन किस प्रकार होता है।”
बढ़ते तापमान का कितना असर होगा
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों द्वारा अन्य कोरोना वायरसों- HCoV-NL63,HCoV-OC43 और HCoV-229E- का एक प्रमुख अध्ययन प्रकाशित किया गया था, जिसमें कई साल पहले एकत्र किए गए नमूनों के विश्लेषण से उन्हें फरवरी में कोरोना वायरस संक्रमण की उच्च दर का पता चला जबकि गर्मियों में इसके संक्रमण की दर बहुत कम थी।
“मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूटआफ टेक्नोलॉजी” के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शुरुआती विश्लेषण के अनुसार गर्म स्थानों पर रहने वाले समुदायों को कोरोना वायरस के संक्रमण के संचरण को धीमा करने के लिए तुलनात्मक लाभ होता है।
शोधकर्ताओं ने पाया है कि अधिकांश कोरोनावायरस का संक्रमण 37.4 और 62.6 डिग्री फारेनहाइट (या 3 और 17 डिग्री सेल्सियस)के बीच कम तापमान के क्षेत्रों में हुए थे, जबकि भूमध्य रेखीय जलवायु वाले देश और दक्षिणी गोलार्ध में ,जो वर्तमान में गर्मी के बीच में हैं, वहां भी कोरोना वायरस के मामलों की रिपोर्ट है । जिन क्षेत्रों में औसत तापमान से 64.4 डिग्री फॉरेनहाइट (या 18डिग्री सेल्सियस) से अधिक है ।वे अब तक वैश्विक मामलों के मुकाबले में 6% से कम हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार ,अगर अंटार्टिका को छोड़ दिया जाए तो करोना लगभग सभी महाद्वीपों में फैल चुका है। थाईलैंड और सिंगापुर में 27 से 37 डिग्री के तापमान के बीच भी कोरोनावायरस के केस सामने आ चुके हैं।
द स्टडीज लीड के प्रमुख लेखक,राब अल्ड्रीज ने सावधान किया है कि -गर्मियों में कोरोना वायरस का असर कम हो सकता है लेकिन सर्दियों में यह उल्टा हो सकता है और खासकर वहां जहां एक बड़ी अति संवेदनशील आबादी है।
उन्होंने कहा कि कोरोना एक “नोवल” वायरस(पहले कभी न पाये जाने वाले वायरस के कारण इसे नोवल नाम दिया गया ) है, जिसके बारे में हम नहीं जानते कि गर्मियों में आबादी में उच्च स्तर की संवेदनशीलता के कारण इसका मौसमी पैटर्न कहां तक बदलेगा।इस कारण से यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम सभी वर्तमान स्वास्थ्य सलाहों का पालन करें।
अन्य वैज्ञानिकों द्वारा भी कहा जा रहा है कि कोविड-19 वायरस पूरी तरह से नया संक्रामक एजेंट है और इसलिए आबादी के लिए किसी भी प्रतिरक्षा को बढ़ाने का मौका नहीं है ।नतीजन गर्मी की शुरूआत के बावजूद मौजूदा दरों पर इसका प्रसार जारी रहने की पूरी संभावना है।
यूनिवर्सिटी आफ मैरीलैंड स्कूल आफ मेडिसिन रिसर्च के दौरान पाया गया है कि यह मौसम के बदलने पर असर तो दिखाएगा लेकिन अभी कुछ बहुत स्पष्ट नहीं हो पाया।
गर्मी में भी सोशल डिस्टेंसिंग ही बचायेगा संक्रमण से
शोधकर्ताओं का मानना है कि ,यात्रा पर प्रतिबंध (ट्रवेल रिस्टिक्शन्स),सामाजिक दूरी (सोश डिस्टेंसिंग)करने के उपाय, परीक्षणों(टेस्टिंग)की उपलब्धता और अस्पतालों में समुचित सुविधा जैसे कारकों ने विभिन्न देशों के मामलों की संख्या को प्रभावित किया है।
वायरोलॉजिस्ट मिशेल स्किनर ने कहा -मुझे यकीन है कि वायरस के व्यवहार में मौसमी बदलाव, इसके प्रसार में भूमिका निभाएगा लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के कारण हम पर यह बहुत मामूली प्रभाव डाल पायेगा।
लंबे समय तक हवा में या सतह पर रहने वाले कोरोना वायरस के तापमान में गर्म रहने से कोरोना वायरस के लिए मुश्किल हो सकती है लेकिन फिर भी इससे घंटों तक संक्रमण हो सकता है।
इसलिये यदि आपको जान बचाना है तो इसके लिए आपको घर पर रहना होगा और यहां तक कि गर्म मौसम में भी सोशल डिस्टेंसिंग ही इस वायरस से बचने का सबसे प्रभावी तरीका रहेगा।
“द इंडियन एक्सप्रेस” में छपी खबर के मुताबिक “आईसीएमआर “के डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर डॉ बलराम भार्गव ने बताया है कि मौसम बदलने या तापमान के बढ़ने से कोरोनावायरस का प्रभाव कम होगा या नहीं इस बारे में अभी साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसे लेकर कोई भी डाटा या सबूत अब तक प्राप्त नहीं हुआ है ।उन्होंने भी फिजिकल डिस्टेंसिंग को ही इस वायरस से बचाव के लिए देशभर को बचने की सलाह दी है।
(लेखक जुबिली पोस्ट मीडिया वेंचर में एसोसिएट एडिटर के पद पर कार्यरत हैं)