न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी झेल रहे जर्मनी में खाने-पीने के सामान के अलावा साबुन और सैनिटाइजर की किल्लत शुरु हो गई है। खाने के सामान में सबसे ज्यादा मांग पास्ता की है। यहां लॉकडाउन है भी और नहीं भी। दो से अधिक लोगों के एक साथ इकट्ठा होने पर पाबंदी है। केवल जरूरत का समान खरीदने और सैर के लिए बाहर जाने की अनुमति है। यहां अधिकतर बाजार बंद हैं। सिर्फ सुपर मार्केट और दवा की दुकाने खुली हुई हैं। इस बीच जर्मनी की सबसे बड़ी सुपर मार्केट चेन में से एक आल्डी ने दो सौ टन पास्ता मंगाया है और इसके लिए स्पेशन ट्रेनें चलाई जा रही है।
जर्मनी में इस समय पास्ता की कमी हो गई है और इसकी मांग सबसे ज्यादा है। दूसरे देशों की तरह यहां भी कोरोना वायरस के शुरुआती मामले आने के बाद लोगों ने लॉकडाउन के डर से घबराहट में जरूरत से ज्यादा सामाना खरीदना शुरु कर दिया था। स्टोर में कई सामान की किल्लत हो गई थी पर जिसमें टॉयलेट पेपर, सैनिटाइजर और साबुन शामिल है। इस समय भी स्टोर में सबसे ज्यादा मांग टॉयलेट पेपर, सैनिटाइजर और साबुन के साथ पास्ता की है।
खाने के सामान में सबसे ज्यादा कमी पास्ता की ही देखी जा रही है। इसकी वजह यह है कि यह जल्दी खराब नहीं होता। कई- कई महीनों तक संभाल कर रखा जा सकता है। इसके साथ ही पास्ता सॉस की बोतलों की मांग भी पिछले कुछ हफ्तों में काफी बढ़ गई है। लोगों की मांग को देखते हुए ही इस कोरोना संकट में जर्मनी की सुपरमार्केट चेन आल्डी ने इटली से पास्ता मांगने का फैसला किया है। इसके लिए स्पेशल ट्रेनें भी चलाई गई हैं।
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आल्डी ने अपने बयान में कहा, “पहली डिलीवरी के तहत कई स्पेशल टेंने पहले ही फ्यूसीली के 60,000 से ज्यादा पैकेट, पेने के 75,000 से ज्यादा पैकेट और स्पगेटी के 25,000 से ज्यादा पैकेट इटली से (जर्मनी के) न्यूरेम्बर्ग में पहुंचा चुकी हैं।” न्यूरेम्बर्ग से इन्हें दक्षिणी जर्मनी में मौजूद आल्डी के स्टोरों में पहुंचाया जाएगा।
फ्यूसीली, पेने और स्पगेटी पास्ता की अलग अलग किस्में हैं। आल्डी के बयान में कहा गया कि जर्मन रेलवे अब तक कुल मिला कर 300 पैलेट पास्ता इटली से जर्मनी ला चुकी है जिनमें कुल 200 टन पास्ता था। ऐसे ही 250 और पैलेट लाने पर काम चल रहा है।
वहीं रेलवे के प्रवक्ता का कहना है कि भविष्य में जरूरत पडऩे पर इस तरह की डिलीवरी के लिए नियमित रूप से रेल चलाई जा सकती है।
जर्मनी में भी कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। अमेरिका, इटली और स्पेन के बाद जर्मनी का नंबर है। चौथे नंबर पर जर्मनी में कोरोना के 91159 मरीज हैं। यहां अब तक 1275 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 24575 मरीज ठीक भी हुए हैं। यहां पर लगभग 4 हजार मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
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जर्मनी में 23 मार्च से प्रतिबंध शुरु हुआ था। यह प्रतिबंध 5 अप्रैल तक के लिए लागू किया गया था, लेकिन संक्रमण को देखते हुए इसे 19 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है। जब जर्मनी की चांसलर मैर्केल ने प्रतिबंध की घोषणा की थी तो उन्होंने देशवासियों से वादा किया था कि कोरोना संकट के बीच देश में खाने पीने के सामान की कमी नहीं होगी। इसीलिए यहां लगभग लॉकडाउन जैसी स्थिति है लेकिन सभी सुपरमार्केट खुले हैं। लोगों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए हफ्ते के सातों दिन इन्हें खोलने का प्रस्ताव भी दिया गया था लेकिन अधिकतर दुकानों ने रविवार को छुट्टी का फैसला लिया।
इस कोरोना संकट के बीच जर्मनी के लिए पास्ता मंगाना आसान नहीं था। आल्डी के मुताबिक इटली से सामान मंगाना काफी मुश्किल हो गया है क्योंकि ना ट्रक ड्राइवर मिल रहे हैं और ना ही ट्रांसपोर्ट के दूसरे माध्यम नियमित रूप से काम कर रहे हैं। इसी कारण स्पेशल ट्रेन चलाने का विचार आया।
जर्मनी में खाने-पीने के सामान के अलावा साबुन और सैनिटाइजर की किल्लत शुरु हो गई है। यहां की केमिकल कंपनी बीएएसएफ इस कमी को पूरा करने की कोशिशों में लगी है। हर हफ्ते कंपनी 35 टन सैनिटाइजर बनाकर अस्पतालों तक इसे नि:शुल्क पहुंचा रही है। अब तक 1000 अस्पतालों को इससे फायदा पहुंचा है।
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