प्रीति सिंह
लॉकडाउन के बाद से घरों में बैठे लोगों के बीच बहस के केंद्र में नशा करने वाले लोग हैं। इस बात पर जोरदार बहस चल रही है कि जो लोग नियमित शराब पीते हैं या अन्य कोई नशा करते हैं, वह कैसे मैनेज कर रहे होंंगे। सोशल मीडिया पर भी शराब की दुकान खोलने का अनुरोध करते, सिगरेट और खैनी मांगते लोगों की तरह-तरह के वीडियो वायरल हो रहे हैं। ये वीडियो देखकर हम आप लोटपोट हो रहे हैं लेकिन जिनको नशे की आदत है उनके लिए ये मुश्किल भरा दौर हैं।
पूरे देश को 24 मार्च की रात से 21 दिनों के लॉकडाउन कर दिया गया है। राशन, सब्जी और दवा की दुकानों के अलावा सभी बंद हैं। इसलिए नशा करने वालों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
बीते दिनों केरल की एक खबर चर्चा में थी। एक 38 साल के एक शख्स ने इसलिए अपनी जान दे दी, क्योंकि उसे तीन दिन तक शराब नहीं मिली।
ये भी पढ़े : कोरोना महामारी के बीच एक अनोखी प्रेम कहानी
त्रिशूर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफ़आईआर में कहा गया है कि इस शख्स ने एक सूसाइड नोट छोड़ा था जिसमें कहा गया था कि वह पिछले तीन दिन से शराब नहीं पी पा रहा था और वह इसे बर्दाश्त नहीं कर पाया।
बहुत सारे लोग जिन्हें शराब या किसी दूसरी तरह के नशे की लत है, वह इस तकलीफ से गुजर रहे हैं। फीजिशियन डॉ. चक्रपाणि पांडेय कहते हैं, नशा शराब का हो या सिगरेट का, समय पर न मिले तो इंसान उलझन में आ जाता है। वह कहते हैं, मेरे पास हर दिन कई जानने वालों का या मरीज का फोन आ रहा है। वह परेशान हैं। मैं ये कहना चाहता हूं कि जिस किसी के घर में यदि कोई नशा करता हो उसके परिवार को उसका खास ध्यान रखने की जरूरत है। जिन्हें शराब की लत है उनके परिजन खास लक्षणों पर नजर बनाकर रखें।
डॉ. पांडेय के अनुसार पहला लक्षण नींद न आना, एंग्जाइटी, बेचैनी, उबकाई आना, उल्टी होना और हाथों में झनझनाहट होना है। इसे माइल्ड विद्ड्रॉल स्टेटस कहा जाता है। इसके अलावा जो अन्य लक्षण हैं उनमें झटके लगना, समन्वय न होना, गुस्सा और चिड़चिड़ाहट होना शामिल है। इसे मॉडरेट विद्ड्रॉल स्टेटस कहा जाता है।
वह कहते हैं, इसके अलावा भी कई और लक्षण दिखता है। नशा न मिलने पर व्यक्ति समय, स्थान और लोगों को लेकर भ्रमित रहता है। उसे डर लगता है और संदेह भी होता है। उसे गुस्सा भी खूब आता है। इसे सीवियर विद्ड्रॉल स्टेटस कहा जाता है।
वह कहते हैं इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। साथ में वह यह भी कहते हैं कि जो लोग नशे से मुक्ति चाहते हैं उनके लिए यह सुनहरा अवसर है। वह अपनी इच्छा और संकल्पशक्ति से इसे छोड़ सकते हैं। तीन से चार दिन ही तकलीफ होती है। उसके बाद आदत में आ जाती है।
ये भी पढ़े : अमेरिका में कोरोना से दो लाख मौत की बात क्यों कही जा रही है?
डॉ. चक्रपाणि पांडेय कहते हैं कि जो बहुत ज्यादा नशा करते हैं उनके अैर उनके परिजनों के लिए यह मुश्किल वाला दौर है। परिवार को खास ध्यान रखने की जरूरत है। नशा न मिलने पर व्यक्ति की तबियत बिगड़ती है तो उसे डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है। वह कहते हैं विद्ड्रॉल लक्षणों वाले 80-90 फीसदी लोगों का दवाइयों से इलाज हो सकता है। ये माइल्ड और मॉडरेट लक्षणों वाले लोग होते हैं, लेकिन, करीब 10 फीसदी लोग ऐसे होते हैं जिनमें इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
लॉकडाउन की वजह से शराब, गुटखा और सिंगरेट की दुकाने बंद होने से महिलाएं बहुत खुश हैं। लखनऊ की सुनीता जो एक स्कूल में सफाईकर्मी हैं, वह लॉकडाउन से खुश है। उसे इस बात की चिंता नहीं है कि घर में खाने की किल्लत होगी, वह इसलिए खुश है कि पिछले पांच दिन से उसके पति ने शराब नहीं पी है। वह कहती हैं, मेरा पति हर रोज शराब पीकर घर आता था और हंगामा करता था। आधी कमाई शराब में चली जाती थी। शराब न मिलने से परेशान तो हैं लेकिन कुछ दिन में आदत में आ जायेगी।
सरकारी विभाग में कार्यरत ज्योति सक्सेना भी खुश है और उन्हें उम्मीद है कि लॉकडाउन खत्म होते-होते उनके पति की शराब पीने की लत छूट जायेगी। वह कहती है कि पति सरकारी सेवा अच्छे पद पर हैं। सबकुछ अच्छा है लेकिन उनकी शराब की लत ने जिंदगी को नर्क बना दिया है। हर दिन शराब पीकर आते हैं और घर में हंगामा मचाते है। बच्चे बड़े हो रहे हैं लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। खैर पांच दिन से घर में शांति हैं।