न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। ‘कोरोना वायरस’ आज ऐसा खतरनाक शब्द बन गया है, जिसे सुनकर ही इंसान कांप जाता है। विश्व भर में ये वायरस भय के गंदे साजिश को अंजाम दे रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री ने इसके चेन रिएक्शन को तोड़ने के लिए देश में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की है।
साथ ही उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग की भी अपील की है। ऐसे में जरूरी है कि सतर्क रहें सावधान रहें, कोरोना से जुड़े कुछ सवाल हैं जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लेकर हर इंसान के दिमाग में चल रहे हैं। ऐसे ही कुछ प्रश्न हैं जिनके जवाब आपके पास होने चाहिए, लेकिन नहीं है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल डिस्टेंसिंग की अपील देश भर के लोगों के साथ की है। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने वायरस को फैलने से रोकने के मकसद से सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर एडवाइज़री जारी किया है।
सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब होता है एक-दूसरे से दूर रहना ताकि संक्रमण के ख़तरे को कम किया जा सके। जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैल जाते हैं। इन कणों में वायरस के विषाणु होते हैं।
संक्रमित व्यक्ति के नज़दीक जाने पर ये विषाणुयुक्त कण सांस के रास्ते आपके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। अगर आप किसी ऐसी जगह को छूते हैं, जहां ये कण गिरे हैं और फिर उसके बाद उसी हाथ से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूते हैं तो ये कण आपके शरीर में पहुंच जाते हैं।
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कोरोना से बचने के लिए एक तरफ तो मास्क बेहद जरूरी बताया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ यह भी बहस चल रही है कि मास्क जरूरी नहीं है इसका जवाब सिंपल है एक अध्ययन के अनुसार इंसान एक दिन में अपने चेहरे को कम से कम 30 से 40 बार छू लेता है। इसमें मुंह, नाक, कान और आंखें शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कहता हैं कि मुंह छूने की आदत ख़तरनाक है। मास्क इससे हमारी रक्षा कर सकते हैं।
अभी ये ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता क्योंकि कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला मामला दिसंबर के आस-पास सामने आया था। हालांकि पहले के वायरसों के अनुभव से ये कहा जा सकता है कि एक बार संक्रमण के बाद वायरस के ख़िलाफ़ शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति एंटी बॉडीज़ बना लेती है। इससे भविष्य के लिए इस वायरस से बचाव हो जाता है।
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आज का युग मोबाइल युग है ऐसे में आपका फ़ोन दिन भर में कई घंटों के लिए आपके हाथों में ही रहता है। इससे संक्रमण का खतरा अधिक होता है। किसी भी सतह को छूने के बाद अपना मोबाइल फोन पकड़ना, जिसमें कोई भी वायरस हो, इससे वायरस फोन पर आ सकता है। वायरस के इस ट्रासफॉर्मेशन को रोकने के लिए, आपको अपने मोबाइल फोन को बार-बार कीटाणुरहित करना होगा।
बता दें कि कोरोना वायरस 60 से 70 डिग्री सेल्सियस के तापमान तक नष्ट नहीं हो सकता। इतना तापमान ना तो भारत में है और ना किसी के शरीर के भीतर कुछ वायरस तापमान बढ़ने के बाद नष्ट होते हैं लेकिन कोरोना वायरस पर बढ़ते तापमान का क्या असर होगा?
वायरस पर शोध करने वाले डॉक्टर परेश देशपांडे का कहना है कि अगर कोई भरी गर्मी में छींका तो थूक के डॉपलेट सतह पर गिर कर जल्दी सूख सकते हैं और कोरोना फैलने का संक्रमण कम हो सकता है। लेकिन गर्मी में कोरोना नष्ट होगा इसका कोई ठोस सबूत नहीं है।
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