ओम कुमार
जानलेवा कोरोना वायरस के भारत में भी बढ़ते मरीजों के चलते पूरे देश में कल से 21 दिन का लाक डाउन कर दिया गया है। सरकारी अस्पतालों में उपचार में लगे मेडिकल कर्मियों को शाबाशी देने के लिये लोगों ने शंख ध्वनि के साथ थाली भी बजा दी।लेकिन मेडिकल स्टाफ कितना सुरक्षित है क्या,इस पर किसी ने कुछ कहा या विचार किया।
बिना सुरक्षा किट के उपचार करने को है मजबूर है यूपी का मेडिकल स्टाफ
उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों मे कोरोना वायरस के मरीजों के उपचार में लगे मेडिकल कर्मियों मे करोना वायरस के संक्रमण का खतरा बना हुआ है,जिसके कारण अन्य सम्पर्की भी चपेट में आयेंगे। कोरोने से संक्रमित मरीज के उपचार में लगाये गये स्टाफ नर्सों आदि को संक्रमण से बचाव के लिये किट के बिना ही काम करने के लिये मजबूर करने का मामला आया है।
राम मनोहर लोहिया अस्पताल(अब राम मनोहर लोहिया इन्स्टीट्यूट)की स्टाफ नर्स शशि सिंह ने सरकारी अस्पतालों में कोरोना से बचाव की पोल खोल कर रख दिया है।स्टाफ के लिये आवश्यक N-95मास्क और PP kit सरकारी अस्पतालों में हैं ही नहीं।
मेडिकल कार्पोरेशन दवा और सर्जिकल सामान की सप्लाई में है फिसड्डी
अस्पताल से जुडे़ चीफ फार्मेसिस्ट बताते हैं कि कई जिलों में आश्यक दवायें और सामग्रियां दिसम्बर माह के बाद से ही नहीं भेजी गयीं हैं।सूत्र बताते हैं कि सर्जिकल आइटम के लिये 225करोड़ में से केवल 8करोड़ ही मेडिकल कार्पोरेशन अब तक खर्च कर पाया है।बिना दवा और जरुरी सामग्रियों के ही कोरोना वायरस का संक्रमण कैसे रूकेगा विचारणीय है।
(जुबली पोस्ट लगातार मेडिकल कार्पोरेशन की नाकामी और व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में लगातार बताता रहा है लेकिन मंत्री से लेकर अधिकारी मौन साधे हैं)।
अब करोना वायरस से संक्रमित मरीजों के उपचार में लगी स्टाफ नर्सों की वेदना अब मुखर हो रही है । अब सरकार के मुखिया को देखना है कि वह कोरोना से लड़ने में मेडिकल स्टाफ को कितनी सुरक्षा दे पाते हैं।
(जुबली पोस्ट अगले अंक में मेडिकल कार्पोरेशन में चल रहे खेल को विस्तार से बतायेगा)