न्यूज डेस्क
दुनिया के 186 देशों में कोरोना वायरस पांव पसार चुका है। अधिकांश देश कोरोनो संक्रमण रोकने के लिए लगातार लॉकडाउन कर रहे हैं और इन देशों के लॉकडाउन का असर पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश की फैक्ट्रियों में काम करने वालों कर्मचारियों पर पड़ रहा है।
चीन के बाद बांग्लादेश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा सप्लायर है। बांग्लादेश में कपड़ा उद्योग में 40 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं। कोरोना वायरस को हराने के लिए कई देश एक के बाद एक कड़े प्रतिबंध लगा रहे है। उड़ानें रद्द हो रही हैं, मॉल और दुकानें बंद हो रही हैं। इसका असर बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग पर भी हुआ है।
दरअसल बांग्लादेश दुनिया के अधिकतर बड़े ब्रांड्स पर निर्भर रहता है। ऐसे में जब कोरोना महामारी से पूरी दुनिया में लॉकडाउन जैसी स्थिति आ गई है तो दुनिया के मशहूर फैशन ब्रांड अपना आर्डर रद्द कर दिया है या आगे बढ़ा दिया है।
वेब पोर्टल डी डब्ल्यू हिंदी के अनुसार बांग्लादेश कपड़ा उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि यह ऑर्डर करीब 138 अरब डॉलर के हैं। खुदरा बिक्री में तेजी से आई वैश्विक गिरावट के बाद 100 से अधिक बांग्लादेशी फैक्ट्रियों के आर्डर पहले ही रद्द हो चुके हैं। जारा, एच एंड एम ने अस्थायी तौर पर यूरोप में अपने स्टोर बंद कर दिए हैं।
मालूम हो कि कोरोना ने चीन के बाद सबसे ज्यादा यूरोप को प्रभावित किया है।
वेब पोर्टल डी डब्ल्यू हिंदी के अनुसार बांग्लादेश गार्मेंट मन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष रुबाना हक कहती हैं, “हम निर्यात से होने वाली आय पर पूरी तरह निर्भर होते हैं।” वह कोरोना वायरस को “सदी का अभिशाप” करार देती हैं। रूबाना कहती हैं, “हमारी सभी ब्रांड्स से अपील है कि जून तक ऑडर्स जारी रखे, किसी भी रूप में हमारा समर्थन जारी रखे ताकि कर्मचारी भूखे न रहे। ऑर्डर रद्द हो जाएंगे तो उनका जीवन कैसे चलेगा?”
गार्मेंट मन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के चार हजार से अधिक सदस्य हैं।
वहीं गार्मेंट ब्रांड एच एंड एम का कहना है कि वैश्विक मांग घटने से उसे भी चोट पहुंची है। हालांकि उसका कहना है कि वह अपने सप्लायर्स से संवाद बनाए हुए है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि “हमारे सप्लायर्स के लिए लंबे समय के लिए प्रतिबद्धता बरकरार रहेगी।इस कठोर स्थिति में हमें तेजी से प्रतिक्रिया देने की जरूरत है, हमारे व्यापारिक भागीदारों के साथ मिलकर, और ऐसे फैसले लेने चाहिए जो अल्पकाल में कड़े हों लेकिन लंबे दौर के लिए जरूरी हो। हमें समस्या का समाधान निकालना होगा जो सभी पार्टियों के लिए लाभदायक हो।”
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कर्मचारी संगठनों के मुताबिक अब तक किसी कर्मचारी को तो नौकरी से नहीं निकाला गया है लेकिन अब लोगों को नौकरी खोने का डर सता रहा है।
डी डब्ल्यू हिंदी के अनुसार बांग्लादेश सेंटर फॉर वर्कर सॉलिडेरिटी की संस्थापक कल्पोना अक्तर कहती हैं, “यह कर्मचारी इतना ही कमा पाते हैं कि उनका किसी तरह से गुजारा हो सके लेकिन उन्होंने सुना है कि ऑर्डर रद्द हो रहे हैं, इसलिए वे थोड़ा घबराए हुए हैं।” अक्तर कहती हैं कि कर्मचारियों को वायरस के संक्रमण का भी खतरा सता रहा है।
बांग्लादेश में भी कोरोना वायरस ने पांव पसारना शुरु कर दिया है। यहां अब तक कोरोना वायरस के 33 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं और 3 लोगों की मौत भी हो चुकी है। हालांकि 5 लोग ठीक भी हो चुके हैं।
बांग्लादेश सरकार कोरोना से निपटने के लिए सेना की मदद लेने का फैसला किया है। देश के स्वास्थ्य मंत्री जाहिद मलिक ने कहा कि कोरोना पीडि़तों की जांच और इलाज के लिए राजधानी ढाका के समीप तोंगी में सेना विशेष चिकित्सकीय निगरानी केंद्र का निर्माण करेगी।
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