न्यूज डेस्क
देश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बाद जिस शहर में कोरोना से संक्रमित मरीज मिले हैं केन्द्र की मोदी सरकार और राज्य सरकारों ने वहां लॉकडाउन का ऐलान किया है। जनता सरकार के फैसले का समर्थन कर रही है। हालांकि, इसके बाद भी कई जगह देखने को मिल रहा है कि लोग घरों से निकल रहे हैं।
इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाराजगी व्यक्त की है। पीएम मोदी ने सोमवार को ट्वीट करके कहा है कि लॉकडाउन को अभी भी कई लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। कृपया करके अपने आप को बचाएं, अपने परिवार को बचाएं, निर्देशों का गंभीरता से पालन करें। राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि वो नियमों और कानूनों का पालन करवाएं।
लॉकडाउन को अभी भी कई लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। कृपया करके अपने आप को बचाएं, अपने परिवार को बचाएं, निर्देशों का गंभीरता से पालन करें। राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि वो नियमों और कानूनों का पालन करवाएं।
— Narendra Modi (@narendramodi) March 23, 2020
वहीं, दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो सिर्फ लॉकडाउन से कोरोना वायरस के संक्रमण पर काबू नहीं पाया जा सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य उपायों की जरूरत होगी।
एक रिपोर्ट के अनुसार, संगठन के आपातकाल विशेषज्ञ माइक रायन का कहना है कि अभी इस बात पर जोर देने की आवश्यकता होगी कि जो बीमार है, उन्हें आइसोलेशन में डाला जाए। ये लोग किनके संपर्क में आए थे, उनका पता लगाना चाहिए और उन्हें भी आइसोलेट करना चाहिए। अगर हम सख्त तौर पर इसका पालन नहीं करते हैं, तो लॉकडाउन के साथ भी खतरा बरकरार है।
गौरतलब है कि दुनियाभर में कोरोना वायरस की दहशत बढ़ती ही जा रही है। अभी तक यह वायरस 13 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। तीन लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में हैं। सिर्फ चीन और इटली में ही मरने वालों का आंकड़ा 8 हजार के पार पहुंच चुका है। कई देशों की सरकारों ने एहतियातन लॉकडाउन का ऐलान कर दिया है। भारत ने अलग अलग राज्यों के 75 जिलों में लॉकडाउन का एलान किया है।
माइक का कहना है कि जब लॉकडाउन या अन्य पाबंदियां हटेंगी तो यह बीमारी फिर से लोगों को अपना शिकार बना सकती है। माइक रायन ने इसके लिए चीन, सिंगापुर और साउथ कोरिया का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इन देशों ने सख्ती के साथ बचाव उपायों को लागू किया गया। हर संदिग्ध की जांच की। संक्रमण की समीक्षा की गई।
उन्होंने आगे कहा कि कई देशों में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दवा बनाने की कवायद जारी है। अभी तक सिर्फ अमरीका में ही इसका परीक्षण किया गया है। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन में इसपर काम जारी है और इसमें एक साल भी लग सकता है लेकिन लोगों को इससे बचने के जरूरी कदम खुद उठाने होंगे।