न्यूज़ डेस्क
राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET 2020) का आयोजन मई में होने है। ये परीक्षा देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में अंडरग्रेजुएट कोर्सेज (MBBS, BDS) में एडमिशन के लिए आयोजित की जाती है।
अन्य परीक्षाओं की तरह नीट में भी एससी, एसटी, आर्थिक कमजोर वर्ग, दिव्यांग, ओबीसी जैसी श्रेणियों के लिए आरक्षण पहले से ही दिया गया है।
मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ के आरक्षण नियमों में तमिलनाडु सरकार इस साल बड़ा बदलाव करने जा रही है। सरकार नीट में एक नया आरक्षण देने की तैयारी कर रही है। ऐसा होने पर कई अन्य स्टूडेंट्स को भी फायदा मिलेगा। इस बारे में सरकार ने सदन में जानकारी भी दी है।
इस बारे में सरकार ने कहा कि ‘मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लेने वालों में सरकारी स्कूलों से पढ़े स्टूडेंट्स की संख्या काफी कम हो गई है। खासतौर पर नीट के शुरू होने के बाद से। सरकार इस ट्रेंड को खत्म करना चाहती है।
इसलिए रिटारयर्ड हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में, स्वास्थ्य एवं विधि विभागों के सचिव सदस्यों के साथ मिलकर एक समिति बनाई गई है। ये समिति सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की मेडिकल कॉलेजों में स्थिति, उनकी सामाजिक परस्थितियों का अध्ययन करने के बाद एक महीने के अंदर अपनी सिफारिश पेश करेगी।’
दरअसल, सरकार नया आरक्षण उन स्टूडेंट्स के लिए लाना चाहती है जो सरकारी स्कूलों से पढ़े हैं या पढ़ रहे हैं। सरकार के अनुसार, इससे उन स्टूडेंट्स को लाभ होगा जिन्होंने पहली से 12वीं कक्षा तक किसी सरकारी, निगम, कॉर्पोरेशन या वन विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में पढ़ाई की हो। ये बदलाव करने का फैसला तमिलनाडू सरकार का है। ये सभी बातें मुख्यमंत्री इडापड्डी के. पलानीस्वामी ने विधानसभा में कही हैं।
गौरतलब है कि ये राज्य शुरू से ही नीट के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। मामला अब भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में आरक्षण की ये नई व्यवस्था लाकर सरकार अपने राज्य के कई बच्चों को लाभ देने की योजना पर काम कर रही है।