न्यूज डेस्क
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। एक तरफ राष्ट्रपति के इस फैसले को कई लोग स्वागत कर रहे हैं तो वहीं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला समेत कई नेताओं ने राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं।
तो वहीं, गोगोई के पूर्व सहकर्मी और रिटायर्ड जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने भी सख्त टिप्पणी की है। रिटायर जज लोकुर ने कहा, ‘जो सम्मान जस्टिस गोगोई को अब मिला है उसके कयास पहले से ही लगाये जा रहे थे। ऐसे में उनका नामित किया जाना चौंकाने वाला नहीं है, लेकिन यह जरूर अचरज भरा है कि ये बहुत जल्दी हो गया। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और अखंडता को फिर से परिभाषित करता है।’
इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया कि आखिरी पिलर भी ढह गया है? दरअसल किसी भी लोकतांत्रिक देश के चार अहम पिलर बताए जाते हैं, जिनमें न्यायपालिका भी एक है. यहां लोकुर इसी का जिक्र कर रहे थे।
Is it “quid pro quo”?
How will people have faith in the Independence of Judges ? Many Questions pic.twitter.com/IQkAx4ofSf— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) March 16, 2020
असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले को रंजन गोगोई के लिए इनाम बताया है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘क्या यह इनाम है?’ लोग न्यायाधीशों की स्वतंत्रता पर यकीन कैसे करेंगे? कई सवाल हैं।
The Pictures say it all! pic.twitter.com/6oSutHSy8A
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) March 16, 2020
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने राज्य सभा का सदस्य नामित किए जाने की खबर को अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘यह तस्वीरें सब बयां करती हैं।’
Ranjan Gogoi nominated to Rajya Sabha.
No comments.
— Sanjay Jha (@JhaSanjay) March 16, 2020
वहीं कांग्रेस नेता संजय झा ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया गया। नो कमेंट्स।’
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा | (सुभाष चंद्र बोस )
तुम मेरे हक़ में वैचारिक फैसला दो मैं तुम्हें #राज्यसभा सीट दूंगा | ( #भाजपा ) #RanjanGogoi #ChiefJusticeofIndia #RajyaSabha— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) March 16, 2020
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने लिखा, ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा. (सुभाष चंद्र बोस )
तुम मेरे हक में वैचारिक फैसला दो मैं तुम्हें राज्यसभा सीट दूंगा।’
बता दें, ऐसा पहली बार हुआ है जब राष्ट्रपति ने किसी मुख्य न्यायाधीश को राज्यसभा के लिए नामित किया हो. रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने ही राम मंदिर मामले में फैसला सुनाया था। उन्होंने इस मामले में लगातार 40 दिनों तक सुनवाई कर केस का निपटारा किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन उन्हें दे दी। जबकि मुस्लिम पक्षकार (सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड) को अयोध्या में अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट गठित करने का भी आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में रंजन गोगोई का कार्यकाल करीब साढ़े 13 महीने का रहा। इस दौरान उन्होंने कुल 47 फैसले सुनाए।
18 नवंबर 1954 को जन्मे रंजन गोगोई ने साल 1978 में बतौर एडवोकेट अपने करियर की शुरुआत की थी। रंजन गोगोई ने शुरुआत में गुवाहाटी हाईकोर्ट में वकालत की। उनको संवैधानिक, टैक्सेशन और कंपनी मामलों का दिग्गज वकील माना जाता था। इसके बाद उनको 28 फरवर 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट का स्थायी न्यायमूर्ति नियुक्त किया गया। 9 सितंबर 2010 को उनका तबादला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में कर दिया गया।
इसके बाद 12 फरवरी 2011 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बना दिया गया। 23 अप्रैल 2012 को उनको प्रोमोट करके सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया। जब दीपक मिश्रा चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हुए तो उनकी जगह रंजन गोगोई चीफ जस्टिस बने।