कुमार भवेश चंद्र
विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ रहे बिहार का सियासी पारा राज्य सभा चुनावों ने बढ़ा दी है। राज्य सभा की चार सीटों के लिए होने वाले चुनावों में गठबंधन की गांठों को हिला दिया है। पहले सत्ताधारी पक्ष की बात कर लेते हैं। बिहार में राज्यसभा की पांच सीटों के लिए चुनाव होने हैं।
मौजूदा समीकरण के हिसाब से सत्तापक्ष के हिस्से में तीन सीटें आएंगी जिसमें से दो सीटों पर जेडीयू का दावा है जबकि तीसरी सीट बीजेपी के लिए सुरक्षित मानी जा रही है। जेडीयू ने अपने कोटे से राज्यसभा के उपाध्यक्ष हरिवंश की सीट पक्की कर ली है। बाकी एक सीट पर उसने राम नाथ ठाकुर को ही दोबारा राज्य सभा भेजने का फैसला किया है।
राम नाथ ठाकुर बिहार में मुख्यमंत्री रह चुके समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं। अपनी दोनों सीटों के जरिए जेडीयू ने अगड़ा-पिछड़ा का समीकरण भी साध लिया है। लेकिन बीजेपी के लिए राज्य सभा की महज एक सीट होना मुश्किलें बढ़ा रहा है। इस एक सीट के लिए दो दावेवार हो गए थे। ये दावेदार थे, डॉ सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर और आर के सिन्हा के बेटे ऋृतुराज।
भाजपा के लिए दो विकल्पों में एक को चुनना बेहद चुनौती भरा था। विवेक ठाकुर बिहार के भूमिहार समाज से आते हैं जबकि ऋृतुराज कायस्थ समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। जातियों में बंटी सियासत ने बीजेपी के लिए यहां मुश्किल खड़ी कर दी है। विवेक ठाकुर को टिकट देने से भूमिहार समाज में तो खुशी की लहर है लेकिन बिहार का कायस्थ समाज अचानक बीजेपी से बिफर गया है।
यह भी पढ़ें : कांग्रेस में ज्योतिरादित्य के रहते यह थी असली समस्या
हालांकि केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद इसी समाज से आते हैं और पटना से ही लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं। लेकिन कायस्थ समाज ने ऋृतुराज को टिकट नहीं मिलने को लेकर अपने मान सम्मान से जोड़ लिया है। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ने तो इसे कायस्थ अस्मिता का सवाल बताते हुए बीजेपी को कायस्थ विरोधी तक कह दिया है। महासभा ने इस पर महासंसद में फैसला करने की बात भी कही है।
विरोधी पक्ष के भीतर भी टिकटों की मारामारी ने खूब घमासान मचाया है। आरजेडी के हिस्से में आने वाली दो सीटों में महागठबंधन की साथी कांग्रेस अपने लिए एक सीट चाहती थी। लेकिन पार्टी ने कांग्रेस की मांग अनसुना करते हुए दोनों ही टिकट उद्योगपतियों के लिए सुरक्षित कर दी है। आरजेडी ने अपने पुराने सांसद प्रेम गुप्ता को ही पहला टिकट सौंप दिया है। गुप्ता मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं और केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं।
आरजेडी ने दूसरा टिकट जिन्हें दिया है वह नाम जरूर चौकाने वाला है। वह नाम है अमरेंद्रधारी सिंह। इस सज्जन का नाम आरजेडी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए नया है। अमरेंद्रधारी बड़े कारोबारी हैं और रियल स्टेट के अलावा खाद और केमिकल आयात के काम से जुड़े हैं। जाहिर है उनके पास अपार संपत्ति है लेकिन 55 साल के ये शख्स अभी तक सियासत से दूर ही रहे हैं। इन दोनों नामों को लेकर पार्टी के भीतर तो विरोध नहीं है लेकिन कांग्रेस में इसको लेकर कसक है। और यह कसक आगे सतह पर आ सकती है।
यह भी पढ़ें : सजग माताओं की वजह से डाउन सिंड्रोम बच्चे हो रहे सामान्य
तेजस्वी इस सियासी तपिस को समझ भी रहे हैं। वे कह रहे हैं कि साथ चलेंगे, साथ बढेंगे और मिलकर नया बिहार गढ़ेंगे। लेकिन कांग्रेसी खेमे में इसको लेकर उदासी साफ दिख रही है। ये उदासी केवक कांग्रेस में ही नहीं है बल्कि लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव के समर्थक भी इसको लेकर नाराज बताए जा रहे हैं।
शरद यादव खेमे का दावा है कि उनसे वादा किया गया था कि राज्यसभा की एक सीट पर वे उनका साथ देंगे लेकिन पैसे की लालच में यह वादा तोड़ दिया गया। शरद यादव की पार्टी के प्रदेश नेता अब आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका बदला लेने की बात करने लगे हैं। उनका कहना है कि वे विधानसभा में सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। यह स्थिति आरजेडी के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण तो नहीं है लेकिन जीत की संभावनाओं को लेकर शंका ही पैदा करेगी।
इसी तरह कांग्रेस की नाराजगी को लेकर भी तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि कन्हैया कुमार को शह देने की वजह से नाराज आरजेडी ने अपना वादा नहीं निभाया और टकराव बढ़ा तो विधानसभा चुनाव में कन्हैया कुमार के जरिए कांग्रेस आरजेडी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख में उनके निजी विचार हैं)
यह भी पढ़ें : तो ऐसे कैसे योगी राज में खत्म होगा भ्रष्टाचार
यह भी पढ़ें : Corona Virus से बचने के लिए ऑफिस में रखें ये सावधानियां
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Jubilee Post उत्तरदायी नहीं है।)