न्यूज डेस्क
मध्य प्रदेश के सियासी संकट ने होने वाले राज्यसभा चुनाव की लड़ाई को भी दिलचस्प बना दिया है। राज्यसभा की तीन सीटों के लिए होने वाले चुनाव में कांग्रेस और बीजेनी के बीच दिलचस्प लड़ाई देखने को मिलेगी। कांग्रेस के 22 विधायकों के बगावत के चलते कमलनाथ सरकार पर संकट मंडरा रहा है तो वहीं, राज्य में तीन सीटों के लिए दोनों पार्टियों ने दो-दो प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी विधायकों की संख्या बल के आधार पर आसानी से अपने एक-एक प्रत्याशियों को राज्यसभा भेज सकती है, लेकिन असल लड़ाई तीसरी सीट के लिए होनी है। पहले तीसरी सीट पर कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही थी लेकिन 22 विधायकों के बगावती तेवर ने कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया है।
इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के बागी विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं, जिन्होंने कांग्रेस से मंगलवार को इस्तीफा देने के बाद बुधवार को भाजपा की सदस्यता ले ली। मध्य प्रदेश की 228 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या आधिकारिक रूप से 114 है, जबकि पार्टी को चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी और एक विधायक का समर्थन भी हासिल है।
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बेंगलुरु में डेरा डाले अगर 22 विधायकों का इस्तीफा यदि स्वीकार कर लिया जाता है या राज्यसभा चुनाव में मतदान के दौरान वे अनुपस्थित रहते हैं तो विधानसभा में सदस्यों की संख्या 206 रह जाएगी। ऐसी स्थिति में कांग्रेस के पास सिर्फ 92 सदस्य होंगे, जबकि भाजपा के खेमें में 107 विधायक होंगे।
ऐसी उम्मीद है कि बीजेपी के सिंधिया और कांग्रेस के दिग्विजय सिंह आसानी से जीत दर्ज कर लेंगे क्योंकि वे संभवत: अपनी-अपनी पार्टियों की पहली पसंद है। तीसरी सीट के लिए भाजपा के सुमेर सिंह सोलंकी और कांग्रेस के फूल सिंह बरैया के बीच मुकाबला होगा। सोलंकी की उम्मीदवारी की घोषणा मंगलवार को की गई और वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे हैं। वह संघ की विभिन्न योजनाओं के तहत राज्य के आदिवासी इलाको में काम कर रहे हैं।
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