न्यूज डेस्क
सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने होर्डिंग मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को लेकर अमर्यादित टिप्पणी करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। नूतन ठाकुर ने गोमतीनगर थानाध्यक्ष और पुलिस आयुक्त को दिये गये शिकायती पत्र में कहा कि हाईकोर्ट ने लखनऊ शहर में जिला एवं पुलिस प्रशासन द्वारा कथित दंगा आरोपियों के सार्वजनिक होर्डिंग लगाए जाने के संबंध में नौ मार्च को इन होर्डिंग को विधि विरुद्ध बताते हुए तत्काल हटाने के आदेश दिये थे।
उन्होने कहा कि इस आदेश के पारित होते ही ट्विटर सहित सोशल मीडिया में आदेश देने वाले हाई कोर्ट के दोनों जज तथा पूरी न्यायपालिका के खिलाफ कई तरह की अत्यंत अमर्यादित, अनुचित तथा अभद्र टिप्पणियां की जाने लगीं। ये टिप्पणियां अत्यंत व्यक्तिगत किस्म की थीं, जिसमे जजों द्वारा यह आदेश देने के कई प्रकार के भ्रामक तथा मनगढ़ंत कारण बताये गए।
आप नेता ने कहा कि ऐसा दिखता है कि ये टिप्पणियां सोची-समझी षडयंत्र के तहत सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उसे वायरल किया गया। इसलिये गंभीर आपराधिक कृत्य बताते हुए अविलंब एफआईआर दर्ज की जानी चाहिये।
गौरतलब है कि 19 नवम्बर को सीएए के विरोध करने के दौरान लखनऊ में खूब हिंसा हुई थी। इस मामले में कई उपद्रवियों को चिन्हित कर एफआईआर करवा दी गई थी। इसमें जिन उपद्रवियों से नुकसान की भरपाई करनी थी और वह फरार चल रहे थे, उनकी फोटो वाली होर्डिंग शासन ने कई जगह चस्पा करवाई थी। इसका स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने 16 मार्च से पहले ही इन होर्डिंग को उतरवाने का आदेश दिया था।
डॉ. नूतन ठाकुर ने तहरीर में लिखा है कि नौ मार्च को सुबह 10:30 बजे हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि 16 मार्च तक शासन इन होर्डिंग को हटवा दे। कुछ देर बाद ही इस आदेश के खिलाफ सोशल मीडिया पर लोगों ने न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ कई तरह की टिप्पणियां शुरू कर दी। अपशब्द लिखे गए। हैशटैग ट्रेंड करने लगा।
इस तहरीर पर गोमती नगर पुलिस ने एफआईआर नहीं लिखी तो विरामखंड निवासी नूतन ठाकुर ने कोर्ट में अर्जी दे दी। इस अर्जी पर कोर्ट ने मुकदमा लिखने का आदेश दिया था। इस पर गोमती नगर थाने में गुरुवार को अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 507, 500 और आईटी एक्ट-66 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
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