न्यूज डेस्क
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भाजपाई नेता कहलायेंगे। सिंधिया के भाजपाई होने के बाद से मध्य प्रदेश का सियासी समीकरण कितना बदलेगा, यह कुछ ही दिनों में पता चल जायेगा, लेकिन एक बात तो तय है कि बीजेपी को यह सौदा घाटे का साबित नहीं होगा।
दरअसल सिंधिया के बहाने बीजेपी एक तीर से कई निशाने साधने की फिराक में हैं। सिंधिया का बीजेपी में आना इत्तेफाक से नहीं है। उन्हें बीजेपी में लाने के लिए प्रवक्ता जफर इस्लाम में महीनों मेहनत की। बीजेपी की पांच महीने की मेहनत का नतीजा है सिंधिया का कांग्रेस छोड़ना।
सिंधिया के भाजपाई होने के बाद से सवाल उठ रहा है कि बीजेपी को कितना फायदा मिलेगा? इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा कहते हैं सिंधिया को अपने पाले में लाकर भाजपा के पास दो मकसद पूरा करने का मौका है। पहला मध्य प्रदेश की सत्ता और दूसरा राज्य सभा की सीट।
वह कहते हैं, राज्यसभा चुनाव के लिए 13 मार्च तक नामांकन दाखिल होगा और 26 मार्च को चुनाव होना है। इसलिए भाजपा इस चुनाव को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती, क्योंकि कई राज्यों में चुनाव हारने के बाद सत्ताधारी एनडीए राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई है।
बीजेपी राज्यसभा में बहुमत से दूर है और इसकी वजह से बीजेपी को कई विधेयक पारित कराने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए सिंधिया का बीजेपी में शामिल होना पार्टी के लिए सोने पर सुहागा जैसा होगा।
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मध्य प्रदेश ही नहीं देश के कई राज्यों में कांग्रेस के भीतर फूट की स्थिति है। नेता नाराज हैं और उनकी नाराजगी दूर करना तो दूर उनसे बात करने वाला कोई नहीं है। नेतृत्व का अभाव होने की वजह से यह समस्या बढ़ती जा रही है। निश्चित ही मध्य प्रदेश में बीजेपी इसका फायदा उठायेगी।
वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र दूबे कहते हैं चूंकि सिंधिया अब भाजपाई हो गए है तो बीजेपी के लिए कांग्रेस के अन्य नेताओं को भी पार्टी की तरफ लाने का रास्ता आसान हो गया है। मंगलवार को मध्य प्रदेश में सिंधिया के इस्तीफे के बाद कई विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया। जाहिर है वह सिंधिया के साथ ही जायेंगे। इसके अलावा मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में सिंधिया की मजबूत पकड़ है। वहां भी आने वाले चुनाव में बीजेपी को फायदा मिलेगा।
वह कहते हैं, कांग्रेस नेताओं को अपने पाले में लाकर बीजेपी जो संदेश देती रही है वहीं संदेश वह सिंधिया के बहाने देना चाहेगी कि कांग्रेस कमजोर हो चुकी है और मोदी-शाह की रणनीति कारगर है।
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