Friday - 25 October 2024 - 3:43 PM

बाल विवाह : हरियाणा सरकार की राह पर चलेंगे अन्य राज्य ?

न्यूज डेस्क

मनोहरलाल खट्टर सरकार ने बाल विवाह को पूरी तरह से अवैध घोषित करने वाला कानून हरियाणा विधानसभा में पारित कर दिया गया है। इस कानून का उद्देश्य नाबालिग लड़कियों को विवाह और जबरदस्ती यौन संबंधों से बचाना है।

भारत में बाल विवाह एक बड़ी समस्या है। देश के कुछ राज्यों में यह प्रथा आज भी बदस्तूर जारी है। पूरी दुनिया में भारत में सबसे ज्यादा बाल विवाह भारत में होता है जिसमें राजस्थान, बिहार व पश्चिम बंगाल में यह संख्या सबसे अधिक है। यूनीसेफ के आंकड़ों के मुताबिक इन तीनों राज्यों में अब भी बाल विवाह के प्रचलन से करीब 40 फीसदी परिवार प्रभावित हैं।

कभी कन्या भ्रूण हत्या के लिए जाने जाने वाला हरियाणा का नाबालिग बच्चियों की सुरक्षा से संबंधित एक त्रुटि को दूर करने की दिशा में एक सराहनीय कदम है।

हरियाणा विधान सभा ने तीन मार्च को बाल विवाह को पूरी तरह से अवैध घोषित करने वाला एक कानून, बाल विवाह निषेध (हरियाणा संशोधन विधेयक, 2020) सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इस बिल का उद्देश्य भारतीय दंड संहिता की धारा 375 और पोक्सो कानून के अनुच्छेद छह के बीच सामंजस्य बनाना है।

आईपीसी 375 के तहत पुरुष और उसकी 15 वर्ष से 18 वर्ष तक की उम्र की पत्नी के बीच यौन संबंध वैध हैं, जबकि पोक्सो कानून के अनुच्छेद छह के तहत 18 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ यौन संबंध बनाना बलात्कार माना जाता है।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसका आधा समाधान अक्टूबर 2017 में कर दिया था। कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा था कि एक विशेष कानून होने की वजह से पोक्सो आईपीसी के ऊपर है और दोनों में विरोध होने पर पोक्सो के प्रावधानों को माना जाएगा।

यह भी पढ़ें : दिल्ली हिंसा पर निलंबित सांसदों के साथ राहुल का हल्‍ला बोल

उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा था कि इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान कर्नाटक राज्य ने निकाला है, जिसने बाल विवाह निषेध कानून में ही संशोधन कर के बाल विवाहों को पूरी तरह से अवैध घोषित कर दिया है। ऐसा करने से किसी भी पुरुष द्वारा 18 साल से कम उम्र की बच्ची से विवाह करने को अपराध माना जाएगा और उससे यौन संबंध बनाने को अपने आप ही बलात्कार माना जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने देश की सभी विधानसभाओं को हिदायत दी थी कि वे इसी तर्ज पर बाल विवाह कानून में संशोधन करें, लेकिन दो साल बाद भी किसी विधानसभा ने इस दिशा में कदम नहीं उठाया। फिलहाल हरियाणा विधानसभा ये संसोधन लाने वाली पहली विधानसभा बन गई है। अब सवाल उठता है कि क्या देश की अन्य विधानसभाएं इस दिशा में कदम उठायेंगी।

यूनिसेफ के अनुसार सिर्फ भारत में दो करोड़ से भी ज्यादा बाल वधुएं हैं। दुनिया में जितनी बाल वधुएं हैं उनमें हर तीन में से एक भारत में ही हैं। यूनिसेफ के अनुसार भारत में बाल विवाह के आंकड़े दशक दर दशक गिर रहे हैं और दक्षिण एशिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत ने इस मामले में अच्छी तरक्की की है।

यह भी पढ़ें : नंबर गेम में फंसे कमलनाथ करेंगे मंत्रिमंडल का विस्‍तार

यूनीसेफ के 2019 में आई रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2006 से 2019 तक बाल विवाह में करीब 20 फीसदी कमी आई है। इसके बावजूद अभी देश में औसतन 27 फीसदी बाल विवाह हो रहे हैं।

गौरतलब है कि साल 1929 के बाद शारदा अधिनियम में संशोधन करते हुए 1978 में महिलाओं की शादी की आयु सीमा बढ़ाकर 15 से 18 साल कर दी गई थी। अब भारत सरकार विवाह की न्यूनतम उम्र सीमा को और भी बढ़ाने के बारे में विचार कर रही है।

बजट 2020-21 को संसद में पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक टास्क फोर्स बनाने का प्रस्ताव दिया जो लड़कियों की शादी की उम्र पर विचार करेगा और छह महीने में अपनी रिपोर्ट देगा।

यह भी पढ़ें :  क्या यस बैंक बचाने का बन गया है प्लान

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com