जुबिली न्यूज़ डेस्क
आपरेशन कमल की आशंका के चलते मध्य प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम के सबसे अहम किरदार दिग्विजय सिंह का कहना है कि “चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि कमलनाथ सरकार के लिए कोई खतरा नहीं है।”
बता दें कि हरियाणा से एक बड़ी खबर आई कि मंगलवार को आधी रात भाजपा के कुछ पूर्व मंत्री एक होटल में कांग्रेस के चार, बसपा के दो और एक अन्य विधायक के साथ दिखे है।
इसकी भनक लगते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ हरकत में आए और अपने चार मंत्रियों को ताबड़तोड़ दिल्ली भेजा और विधायकों को भाजपा के कब्जे से मुक्त कराने की कोशिश की। कांग्रेस नेताओं ने जब विधायकों को छुड़ाने की कोशिश की तो भाजपा के एक पूर्व मंत्री ने हरियाणा पुलिस भी बुला ली।
दिग्विजय सिंह ने भाजपा के आपरेशन कमल की षड्यन्त्र की पूरी कहानी बताई। उन्होंने बताया कि बिसाहूलाल सिंह की पत्नी और बेटों का फोन आया। उन्होंने पूछा बिसाहूलाल सिंह जी कहां हैं, बात नहीं हो पा रही ? मैंने उनसे कहा कि हम बिसाहूलाल सिंह जी से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 2 मार्च को बीजेपी ने विधायकों को बैंगलोर ले जाने के लिए दो चार्टर्ड प्लेन किए। इनमें से 12 सीटर प्लेन में 4 विधायक थे जिसमें तीन कांग्रेस के थे बिसाहूलाल सिंह, रघुराज कंसाना, हरदीप डांग और एक निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह।’
यह भी पढ़ें : दिल्ली हिंसा पर ममता बनर्जी ने क्या कहा?
बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस के विधायकों के फोन छीन लिए थे जिसके चलते वो किसी से संपर्क नहीं कर पा रहे थे। इतना ही नहीं रघुराज कंसाना करीब दो घंटे तक प्लेन में नहीं बैठने पर अड़े रहे लेकिन उन्हें जबरदस्ती प्लेन में बैठाया गया। वहीं बिसाहूलाल सिंह भी बीजेपी नेताओं के साथ नहीं जाना चाहते थे पर उन्हें जीतू पटवारी और जयवर्धन के सामने धमकी देते हुए धक्का देकर नरोत्तम मिश्रा अपने साथ ले गए।
यह भी पढ़ें : सीएए के तहत मुसलमान को नागरिकता लेने के लिए कौन सी शर्त पूरी करनी होगी ?
दूसरा चार्टर प्लेन भी रात में ही जाने वाला था। लेकिन कोई एमएलए नहीं मिला। जो 9 सीटर चार्टर प्लेन था उसमें शिवराज सिंह सारे विधायकों को बेंगलुरु भेजकर मुख्यमंत्री बनने के लिए दावा पेश करने वाले थे।
दिग्विजय सिंह ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर गृहमंत्री अमित शाह और पूर्व सीएम शिवराज सिंह को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि, जबसे अमित शाह गृह मंत्री बने हैं तब से बीजेपी की दादागिरी बढ़ गई है।
यह भी पढ़ें : कमलनाथ सरकार के तारणहार बने दिग्विजय