जुबिली न्यूज़ डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को क्रिप्टो करेंसी से जुड़े एक मामले पर सुनवाई करते हुए इस पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। किप्टो करेंसी पर भारतीय रिजर्व बैंक RBI ने प्रतिबंध लगाया था। असल में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने 2018 के RBI सर्कुलर पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। असल में IAMAI के सदस्य एक दूसरे के बीच क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज करते हैं, लेकिन आरबीआई ने विनियमित संस्थाओं को क्रिप्टो करेंसी में व्यवसाय ना करने के लिए निर्देश जारी किया था।
आरबीआई ने 2018 में क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग से जुड़ी वित्तीय सेवाओं पर प्रतिबंध लगाया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान क्रिप्टो करेंसी पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की ओर से लगाए गए बैन को हटा दिया गया है।
विदित हो कि RBI ने 6 अप्रैल, 2018 को एक सर्कुलर से निर्देश जारी किया था कि इसके द्वारा विनियमित सभी इकाईयां वर्चुअल करेंसी में सौदा नहीं करेंगी या किसी व्यक्ति या इकाई को इससे संबंधित सेवाएं प्रदान नहीं करेंगी।
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क्या है क्रिप्टो करेंसी के खतरे
बता दें कि क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी मुद्रा है जो कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी होती है। यह एक स्वतंत्र मुद्रा है, जिसका कोई मालिक नहीं होता। यह करेंसी किसी भी एक अथॉरिटी के काबू में भी नहीं होती। डिजिटल या क्रिप्टो करेंसी इंटरनेट पर चलने वाली एक वर्चुअल करेंसी हैं।
इस सब में संभावित दुष्परिणामों को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने विनियमित सभी इकाईयों के इस वर्चुअल करेंसी में सौदा नहीं करने का निर्देश जारी किया था। 2013 से RBI क्रिप्टोकरेंसी के उपयोगकर्ताओं को सावधान कर रहा है और इसे भुगतान का एक डिजिटल साधन नहीं मानता है। इस पर कड़ाई से रोक होनी चाहिए ताकि देश में भुगतान प्रणाली खतरे में न पड़े।
असल में इसकी शुरुआत जनवरी 2009 में बिटकॉइन के नाम से हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में बिटकॉइन, रिप्लड, एथेरम और कार्डनो जैसे करीब 2,116 क्रिप्टो करेंसी प्रचलित हैं, जिनका बाजार पूंजीकरण 119.46 अरब डॉलर है।
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