स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में अक्सर काले धन को लेकर सियासी ड्रॉमा देखने को मिलता है। मोदी सरकार ने भी काले धन को लेकर कई बड़े-बड़े दावे किये हैं लेकिन अभी तक इसपर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उधर अमेरिकी शोध संस्थान ग्लोबल फाइनैंशल इंटिग्रिटी (जीएफआई) ने मंगलवार को एक रिपोर्ट सामने आई है। इस लिस्ट में काले धन को सफेद करनेको लेकर खुलासा किया है।
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इस रिपोर्ट पर गौर करे तो इसमें काले धन को सफेद करने के मामले में 135 देशों की सूची सामने आई है लेकिन सबसे रोचक बात है कि इस मामले में भारत तीसरे नम्बर पर काबिज है। मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों के तहत 83.5 अरब डॉलर की राशि पर टैक्स चोरी करने की बात भी सामने आ रही है। जीएफआई ने खुलासा करते हुए इसे वर्गीकृत किया है।
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इसके अनुसार गैरकानूनी तरीके से प्रवाह को अवैध तरीके से कमाई, धन को स्थानांतरित करना और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर इस्तेमाल करना शामिल है। इसके साथ ही गैर कानूनी तरीके से धन के प्रवाह के प्रमुख स्रोतों में बड़ा भ्रष्टाचार, वाणिज्यिक कर की चोरी और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अपराध माना जाता है।
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जीएफआई की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि काले धन को सफेद करने के मामले में चीन नम्बर वन पर है। चीन 457.7 अरब डॉलर की राशि पर कर चोरी के साथ पहले स्थान हासिल कर रखा है। इसके बाद मेक्सिको (85.3 अरब डॉलर), भारत (83.5 अरब डॉलर), रूस (74.8 अरब डॉलर) और पोलैंड (66.3 अरब डॉलर) का नंबर आता है।
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जीएफआई के वरिष्ठ अर्थशास्त्री रिक रावडन ने कहा कि ऐसी राशि जिस पर टैक्स नहीं चुकाया गया है, से आशय है कि आयातकों और निर्यातकों के देशों की सरकारों की ओर से उस पर उचित तरीके से कर नहीं लगाया गया है।
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रावडन ने कहा कि यही वजह है कि हमारा मानना है कि व्यापार में बिलों में मूल्य की सही जानकारी नहीं देना एक बड़ी समस्या है। इससे व्यापार में एक बड़ी राशि पर कर नहीं लगता। इससे देशों को अरबों डॉलर के टैक्स का नुकसान होता है।
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