Tuesday - 29 October 2024 - 5:19 PM

झटका : इलेक्ट्रिसिटी टैक्स बढ़ाने की तैयारी में केजरीवाल

न्यूज डेस्क

राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने के बाद अब आम जनता को बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल दक्षिण दिल्ली के नगर निगम की स्थायी समिति ने एक प्रोफेशनल टैक्स लगाने का फैसला किया है। हालांकि ये टैक्स उनपर लगाया जायेगा जो अधिकार क्षेत्र के तहत 50,000 रुपए और उससे अधिक की मासिक सकल आय वाले हैं।

यही नहीं इसके साथ ही बिजली टैक्स पर एक प्रतिशत बढ़ोतरी के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी हैं। जाहिर है कि अभी साउथ दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में रहने वाले लोगों से फिलहाल 5 प्रतिशत बिजली कर वसूला जाता है। लेकिन अब इस टैक्स में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी गई है। उन्हें अब पांच की जगह 6 प्रतिशत टैक्स देना पड़ सकता है।

मिली जानकारी के मुताबिक, बिजली के बिलों में यह टैक्स कुछ ही दिनों में लागू किया जा सकता है। ये फैसला निगम के वित्तीय भार को कम करने के लिए लिया गया है। गौरतलब है कि दिल्ली में लोगों को 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त दिए जाने का फैसला केजरीवाल सरकार ने कुछ ही महीने पहले लागू किया था।

विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद एसडीएमसी द्वारा बिजली पर एक फीसदी टैक्स बढ़ाए जाने से इसका असर लोगों के बिजली बिल पर पड़ेगा।

दिल्ली नगर निगम की धारा 150 (1) एवं धारा 109 (2) के तहत पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करने के साथ ही बिजली कर में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है। साथ ही यह भी कहा गया कि दिल्ली सरकार ने साल 2018-19 से SDMC को दी जाने वाली वित्तीय सहायता में कमी कर दी है।

व्यापारी इस कर के दायरे से मुक्त

इसके अलावा दूसरी तरफ राजधानी दिल्ली में 50,000 रुपए तक की सकल आय वाले लोगों को पेशा कर यानी प्रोफेशनल टैक्स के रूप में प्रति वर्ष 1,800 रुपए या 150 रुपए का भुगतान करना होगा।

जबकि इससे अधिक की आय वालों को 2,400 रुपए सालाना या 200 रुपए मासिक शुल्क देना होगा। ये टैक्स उनको भी देना होगा जो व्यक्ति SDMC क्षेत्रों में नहीं रहता है, लेकिन वहां काम करता है, जबकि व्यापारी इस कर के दायरे से बाहर रहेंगे।

50 करोड़ रुपये कमाने की उम्मीद

पिछले चार दिसंबर को एसडीएमसी कमिश्नर ने वर्तमान बजट सहित चार लगातार बजटों में इस तरह के कर का प्रस्ताव दिया था। लेकिन बीजेपी-प्रभुत्व वाले विचार-विमर्श विंग ने हर बार इसे खारिज कर दिया।

जबकि स्थायी समिति ने शुक्रवार को यह तर्क दिया कि दिल्ली सरकार द्वारा निगम के अनुदान में भारी कमी के बाद इस कदम का उठाना आवश्यक हो गया, जिससे उसका वित्तीय बोझ बढ़ गया। एसडीएमसी इस कदम से 50 करोड़ रुपए कमाने की उम्मीद कर रही है।

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