जुबिली न्यूज़ डेस्क
दिल्ली में ताजा बवाल उसी वक्त शुरू हुए जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत की यात्रा कर रहे थे। नमस्ते ट्रम्प नाम से पहचानी जाने वाली इस यात्रा के मकसदों में से एक ये भी बताया जा रहा था कि इसके जरिए ट्रम्प अमेरिका में मौजूद इंडो अमेरिका वोटों को प्रभावित करना चाहते हैं।
लेकिन अब जब दिल्ली की हिंसा पूरी दुनिया की मीडिया की सुर्खियां बन रही है तो क्या अमेरिका पर इसका असर नहीं होगा ? अमेरिकी अखबारों की सुर्खियां कुछ इस तरह बन रही है जो डोनाल्ड ट्रम्प को कभी पसंद नहीं आएंगी।
वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ये दंगे विवादित नागरिकता कानून पर महीनों तक चले प्रदर्शनों के बाद चरम पर पहुंचे तनाव को दिखाते हैं। साथ ही मोदी सरकार के समर्थकों और आलोचकों के बीच बढ़ रहे मतभेद को भी दिखाते हैं। जबकि न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि – राष्ट्रपति ट्रंप जब भारत यात्रा पर थे, उसी दौरान वहां हुए दंगों में कई लोग मारे गए।
अमेरिकी संसद में भी इस पर खूब बात हो रही है। भारतीय मूल की सांसद प्रमिला जयपाल कह रही हैं कि भारत में धार्मिक असहिष्णुता बढ़ना भयावह है। लोकतांत्रिक देशों को विभाजन व भेदभाव बर्दाश्त नहीं करना चाहिए या ऐसे कानूनों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए, जो धार्मिक स्वतंत्रता को कमजोर करते हों। इस मामले में अमरीकी संसद में एक रिजोल्यूशन भी भी शुरू कर दिया है।
सांसद एलन लोवेंथाल ने इसे नैतिक नेतृत्व की विफलता बताते हुए कहा, हमें भारत में मानवाधिकार पर खतरे के बारे में बोलना चाहिए। डेमोक्रेट पार्टी ने दिल्ली हिंसा को मुद्दा बना लिया है। उनके नेताओं की निगाहें भारत पर बनी हुई है और वे बहुत से सवाल खड़े कर रहे हैं।
लेकिन सबसे बड़ी चिंता अमेरिकी कारोबारियों की है। बड़े कारोबारियों के एक समूह का कहना है कि अगर भारत में स्थिरता नहीं है, तो निवेश पर फ़र्क़ पड़ेगा। लोग देखेंगे कि राजधानी दिल्ली में हिंसा हो सकती है और इतने बड़े दौरे के समय इस तरफ़ से हिंसा हो सकती है, तो इसका यही मतलब होगा कि कुछ चीज़ें ठीक नहीं हैं। भारत सरकार इस पर भले ही सफ़ाई पेशकर ले , लेकिन अमरीकी अपना निष्कर्ष ख़ुद निकालेंगे।
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इन सबके बीच भारत के साथ दोस्ती फिलहाल अमेरिका के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्यूंकी इस भू भाग में उसे चीन के साथ सकती संतुलन बनाए रखने के लिए भारत की जरूरत है। अमेरिकी इतनी जल्दी तो भारत के प्रति अपना रूख नहीं बदलेंगे , लेकिन अगर अस्थिरता की स्थिति आगे भी बनी रही तो फिर भारत अपना यह स्थान खो देगा।
अमेरिकी राजनीति की प्रमुख पार्टियां रिपब्लिकन और डेमोक्रेट ये जानती हैं कि चीन से अमेरिका की प्रतिद्वंदीता के वक्त भारत उसका महत्वपूर्ण साझीदार है। अमेरिका के लिए भ्रम की कोई स्थिति फिलहाल नहीं है, लेकिन दिल्ली हिंसा पर ट्रम्प की चुप्पी अमेरिकी चुनावों पर क्या असर डालती है ये देखना होगा।
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