न्यूज़ डेस्क
कुछ दिनों पहले बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग में एक मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति को लेकर घमासान मचा था। इसके बाद बीएचयू के छात्र सड़कों पर उतर आये थे। छात्रों की मांग थी कि संस्कृत विभाग में नियुक्त हुए मुस्लिम प्रोफेसर डॉ फिरोज खान को हटाया जाये और उनकी जगह पर किसी और को वहां नियुक्त किया जाए।
हालांकि छात्रों के रोष के आगे विश्विद्यालय प्रशासन को झुकना पड़ा। बाद में विश्विद्यालय प्रशासन ने डॉ फ़िरोज़ खान को संस्कृत विभाग से हटाकर कला संकाय विभाग में नियुक्त कर दिया था। अभी ये विवाद थमा ही था कि कर्नाटक के गडग जिले में एक न्य विवाद सामने आ रहा है।
दरअसल कर्नाटक के गडग जिले में स्थित एक लिंगायत मठ ने चली आ रही कई साल पुरानी परंपरा को तोड़ दिया है। लिंगायत मठ ने एक मुस्लिम युवक को अपना पुरोहित यानी की पुजारी बनाने का फैसला किया है। मुस्लिम युवक दीवान शरीफ रहमानसाब मुल्ला को आसुति गांव में स्थित मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वरा शांतिधाम मठ में पुजारी बनाया जाएगा।
शरीफ के पिता ने दी थी दो एकड़ जमीन
बताया जा रहा है कि 33 वर्षीय दीवान शरीफ 26 फरवरी को लिंगायत मठ के पुजारी के रूप में शपथ लेंगे। यह मठ कलबुर्गी के खजुरी गांव के 350 साल पुराने कोरानेश्वर संस्थान मठ से जुड़ा है। इस मठ के लिए कई साल पहले शरीफ के पिता ने दो एकड़ जमीन दान की थी। अब देखना ये है कि बीएचयू के तरह कहीं हिन्दू संगठन इस मुस्लिम युवक को पुजारी बनाये जाने का विरोध तो नहीं करते।
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वहीं, मठ का पुजारी बनाये जाने पर दीवान शरीफ रहमानसाब मुल्ला ने कहा कि वह बचपन से ही 12वीं सदी के सुधारक बसवन्ना की शिक्षाओं से प्रभावित रहे हैं। वह सामाजिक न्याय और सद्भावना के साथ उनके आदर्शों पर काम करेंगे। गौरतलब है कि लिंगायत मठ धर्म को प्राथमिकता देने के बजे सामाजिक सौहार्द को सर्वोपरि मानता है।
मठ के सभी लोग समर्थन में
जबकि खजूरी मठ के पुजारी मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वर शिवयोगी ने बताया कि हम अनुयायियों को जाति और धर्म की विभिन्नता के बावजूद गले लगाते हैं। बसवन्ना ने सामाजिक न्याय और सद्भावना को तरजीह दी है।उनकी शिक्षाओं का पालन करते हुए मठ ने सभी के लिए अपने दरवाजे खोले रखें हैं। मठ के सभी लोगों ने दीवान शरीफ को पुजारी बनाने का समर्थन किया है।