जुबिली न्यूज़ डेस्क
देश की राजधानी से सटे उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में पुलिस के पराक्रम की ऐसी कहानी प्रकाश में आई है जिससे एक आम शहरी परिवार की जिंदगी अफरा-तफरी का शिकार होकर तिनका-तिनका हो गयी। उस भी तुर्रा यह है कि यह मामला उत्तर प्रदेश शासन से मान्यता प्राप्त पत्रकार से जुड़ा है। मान्यता प्राप्त पत्रकार के मामले में योगी सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि पूरी छानबीन के बाद ही कार्रवाई की जाये। लेकिन पुलिस इसे बेअसर साबित करने के लिए मामले में पूरा जौहर दिखाने के मूढ में रही।
गौतमबुद्ध नगर (नोयडा) में लगभग 20 वर्ष से दैनिक अखबार हिन्द की जमीन का प्रकाशन सलारपुर खार थाना सैक्टर 39 निवासी इशहाक सैफी कर रहे हैं। इशहाक सैफी 5 भाई थे जिनमें से एक उनसे छोटे तहसीन का इंतकाल हो चुका है। अन्य भाइयों में उनके अलावा उनसे बड़े यामीन और दो छोटे भाई जाकिर हुसैन जो कि विकलांग है व शाहिद हुसैन हैं। शाहिद और जाकिर के बीच पुस्तैनी प्रोपर्टी को लेकर झगड़ा मचा है जिसमें उनके अब्बू यासीन और शाहिद एक तरफ हैं जबकि अन्य भाइयों की सहानुभूति विकलांग जाकिर की तरफ है।
पहली घटना गत वर्ष 8 सितंबर को हुई जब भाइयों की उक्त तनातनी के चलते शाम को कुछ लोगों ने इशहाक के घर पर आकर कथित तौर पर उनके और उनकी पत्नी नसीम व बेटे शाजिद की प्लास्टिक के पाइप से उधेड़ते हुए बेरहम मारपीट कर डाली। बाद में इशहाक ने 100 नंबर डायल करके पुलिस बुला ली। पुलिस की गाड़ी से इशहाक थाने पहुंचे तो बजाय उनका मुकदमा दर्ज करने के उन्ही को पुलिस ने हवालात में धकेल दिया।
जब नोयडा के पत्रकार साथियों को यह खबर मिली तो वे सामूहिक रूप से थाने पहुंच गये। उनके प्रतिरोध करने पर पुलिस को इशहाक को हवालात से बाहर करना पड़ा और उनकी पत्नी व पुत्र का मेडिकल कराना पड़ा। यही नही पुलिस को मौके से लाये गये तीन लोगों का चालान भी करना पड़ा। इसी बीच मामले में पुलिस मुखबिर का कोण आ गया। इशहाक के भाई शाहिद के हिमायतियों में पुलिस का एक मुखबिर भी शामिल था जिसे उन्होंने आरोपित करना चाहा तो पुलिस अंदर ही अंदर उनसे खार खा गई।
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इसी कड़ी में 15 नवंबर 2019 को इशहाक के बड़े भाई यासीन पर उस समय हमला बोल दिया गया जब वे अपनी दुकान पर बैठे थे। इसमें उनका सीसीटीवी कैमरा, एलसीडी और अन्य सामान हमलावर लूट ले गये। इशहाक को जब इसकी खबर मिली तो उन्होंने पुलिस की मदद मांगने के लिए फिर 100 नंबर डायल किया पर बजाय हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई करने के पुलिस यासीन को ही थाने उठा ले गयी।
यासीन का बेटा एलएलबी का स्टूडेंट है। जब उसने कोतवाल से इस अन्याय का विरोध किया तो पुलिस ने उसे भी बिठा लिया। इशहाक ने बताया कि चूंकि इस हमले में भी पुलिस का कथित मुखबिर आदिल शामिल था इसलिए जाहिर है कि पूरा घटनाक्रम पुलिस द्वारा पहले से तैयार पटकथा के अंतर्गत संचालित हो रहा था। कार्रवाई में भी पुलिस ने अपना रंग दिखाया जिसके चलते पीडि़त पक्ष की तरफ से कोई केस दर्ज नही किया गया। बाद में जब लगा कि पुलिस ने मामला रफा-दफा कर दिया है और यासीन घर चले आये तो आदिल की मां नगीना की तरफ से इशहाक और उनके भाई के परिवार के 20 लोगों के खिलाफ धारा 147, 323, 504, 326 और 120बी का केस दर्ज कर लिया गया। इसमें इशहाक और उनकी उन बेटियों को भी नामजद कर लिया गया जो बताई गई घटना के समय एक शादी में मौजूद थीं।
इतना ही नही यह धाराएं इतनी संगीन नही थीं जितनी बड़ी कार्रवाई पुलिस ने इसकी आड़ में इशहाक के घर कर डाली। पुलिस 16 नवंबर को तड़के साढ़े चार बजे अंधेरे में इशहाक के घर धावा बोलने पहुंच गई। उनके और उनके भाई यामीन के परिवार के कुल 11 सदस्य ताबड़तोड़ दबिश में गिरफ्तार कर लिए गये जिनमें नाबालिग लड़के और अविवाहित लड़कियां भी शामिल रहीं।
महिलाओं की गिरफ्तारी के लिए अंधेरे में दबिश डालने से बचने के मानवाधिकार आयोग के दिशा निर्देश की परवाह पुलिस ने नही की। हालांकि कागजों में मानवाधिकार आयोग को चकमा देने के लिए गिरफ्तारी के सुबह साढ़े चार बजे के वास्तविक समय को बदलकर 9 बजे कर दिया गया था।
महिलाओं की गिरफ्तारी के संबंध में जो एतिहात बरते जाने के निर्देश हैं उनकी अवहेलना में भी संकोच नही किया गया। महिला पुलिस साथ में तो थी लेकिन वह मकान के बाहर खड़ी रही। इशहाक के मकान में ऊपर के पोर्शन में परिवार रहता है जहां लड़कियों के कमरे में मर्द पुलिसकर्मी घुसे-घुसे तांडव करते रहे। 14 दिसंबर 2019 को पीडि़त परिवार जमानत पर बाहर आ सका। इस बीच 30 नवंबर को इशहाक के घर चोरी भी करा दी गयी जिसमें बदमाश पूरा जेवर उड़ा ले गये।
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हालांकि इशहाक के उक्त आरोप और सफाई जांच का विषय है। हो सकता है कि उन्होंने कई तथ्य तोड़-मरोड़ कर बताये हों लेकिन इतना तय है कि मामूली झगड़े में महिलाओं सहित एक परिवार को लंबे समय तक जेल में रखने का इंतजाम करते हुए पुलिस को मनुष्यता का थोड़ा ख्याल रखना चाहिए था। स्पष्ट रूप से इसमें ककड़ी चोर को सूली पर लटकाने का काम किया गया है। फिर भी इशहाक द्वारा इस संबंध में की गई शिकायतों की जांच उच्चाधिकारी तक नही कर रहे। उनकी करतूत से हर घटना को मुस्लिम विरोधी मानसिकता से जोड़कर सरकार को बदनाम करने वाले तत्वों को समर्थन मिल रहा है।
हालांकि इशहाक सरकार की मुस्लिम विरोधी मानसिकता की धारणा से सहमत नहीं हैं। उन्होनें कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक उनकी फरियाद नही पहुंची है। वे इसके लिए कोशिश में हैं। उनका यकीन है कि सीएम योगी को सही जानकारी हो गई तो उनके साथ इंसाफ अवश्य होगा। मानवाधिकार आयोग, प्रेस परिषद और महिला आयोग को भी उन्होंने इस बाबत शिकायतें की हैं।
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