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नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने ग्रामीण युवाओं को रोजगार देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने कृषि मंत्रालय के अधीन मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना बनाई है।
इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण युवा एवं किसान जिनकी उम्र 18 से 40 वर्ष है, ग्राम स्तर पर मिनी मृदा परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना कर सकते हैं। प्रयोगशाला को स्थापित करने में 5 लाख रुपए का खर्च आता है, जिसका 75% यानी 3.75 लाख रुपए सरकार देगी।
इस योजना के तहत यदि स्वयं सहायता समूह, कृषक सहकारी समितियां, कृषक समूह या कृषक उत्पादक संगठन इस प्रयोगशाला को स्थापित करता है तो उनको भी यह सहायता मिलेगी।
सरकार द्वारा मिट्टी नमूना लेने, परिक्षण करने एवं सॉइल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराने के लिए 300 प्रति नमूना प्रदान किया जा रहा है। कृषि मंत्री ने मुताबिक लैब बनाने के इच्छुक युवा किसान या अन्य संगठन जिले के उपनिदेशक (कृषि), संयुक्त निदेशक (कृषि) या उनके कार्यालय में प्रस्ताव दे सकते हैं।
मिट्टी जांच प्रयोगशाला को दो तरीके से स्टार्ट किया जा सकता है। पहले तरीके में प्रयोगशाला एक दुकान किराए पर लेकर खोली जा सकती है। इसके अलावा दूसरी प्रयोगशाला ऐसी होती है जिसे इधर- उधर ले जाया जा सकता है। इसे अंग्रेजी में MOBILE SOIL TESTING VAN कहते हैं।
1. पहले तरीके में कारोबारी ऐसी मिट्टी को जांचेगा, जो उसकी प्रयोगशाला में किसी के द्वारा भेजी या लाई जाएगी और उसके बाद उसकी रिपोर्ट ई-मेल या प्रिंट आउट लेकर ग्राहक को भेज दी जाएगी। हालांकि पहले की तुलना में दूसरा विकल्प काफी फायदेमंद हो सकता है, इसलिए जहां तक इसमें निवेश का भी सवाल है वह पहले विकल्प की तुलना में अधिक ही है।
2. मिट्टी जांच प्रयोगशाला में सेवाओं की एक विस्तृत शृंखला पेश की जा सकती है। इस बिजनेस को कोराबारी छोटे से स्तर से शुरू कर सकता है और जब उसे पूरा आत्मविश्वास हो जाय तो इस बिज़नेस को उसी आधार पर बढ़ा भी सकता है।
3. कृषि के अलावा कारोबारी खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को भी टारगेट कर सकता है। जो कंपनियां बीज, जैव ईधन, उर्वरक, कृषि मशीनरी इत्यादि का मैन्युफैक्चरिंग करते हैं ऐसी कंपनियों को भी बाद में कारोबारी द्वारा सर्विस दी जा सकती है।