सुरेंद्र दुबे
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 फरवरी को भारत की यात्रा पर आने वाले हैं, जिनके स्वागत के लिए मोदी सरकार ने पलक पावड़े बिछा दिए हैं।
अहमदाबाद एयरपोर्ट से लेकर मोटेरा स्टेडियम तक की गरीबी छिपाने के लिए तमाम झोपड़ी वालों को बेघर कर दिया गया है और पूरे रास्ते पर सड़क के किनारे दीवार बना दी है, जिससे ट्रंप भारत की गरीबी देख कर नाराज न होने पाए। दुनिया के इस सबसे बड़े स्टेडियम का डोनाल्ड ट्रंप को उद्घाटन भी करना है।
ऐसा लगता है जैसे इस देश के वायस रॉय आने वाले हैं, जिनके स्वागत के लिए 75 लाख लोग सड़क के किनारे खड़े होकर तालियां बजाएंगे। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी का यह बयान भी ठीक ही लगता है कि क्या डोनाल्ड ट्रंप भगवान हैं, जिनके लिए 75 लाख लोग ढो कर लाए जाएंगे।
पहले ऐसा लगता था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के लिए कुछ बड़ा फायदा लेने के लिए यह तमाशा कर रहे हैं। परंतु अब तो स्वयं डोनाल्ड ट्रंप ने कह दिया है कि वह भारत के साथ इस दौरे में कोई बड़ी ट्रेड डील नहीं करने वाले हैं। अगर कुछ करेंगे तो बाद में वह भी निश्चित नहीं है कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव के पहले या बाद में।
डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत पर करोड़ों रुपए ऐसे समय में भारत खर्च कर रहा है, जब उसकी अर्थव्यवस्था एक गंभीर दौर से गुजर रही है। सभी क्षेत्र में उत्पादन लगातार गिर रहा है और बेरोजगारी 45 वर्ष में सबसे ऊंचे पायदान पर है।
राष्ट्रपति ट्रंप एक तरह से अपने चुनावी दौरे पर आ रहे हैं। अमेरिका में लगभग 40 लाख इंडो-अमेरिकन वोटर हैं, जिन्हें वह मोदी के साथ अपनी दोस्ती दिखा कर रिझाना चाहते हैं।
दूसरी ओर नरेंद्र मोदी भी अपने भक्तों को यह बताना चाहते हैं कि देखो दुनिया का सबसे शक्तिशाली नेता उनका दोस्त है। इसे आने वाले चुनावों में मतदाताओं के बीच भुनाया भी जा सकता है। रही बात डोनाल्ड ट्रंप के भारत को नापसंद करने की तो इससे क्या होता है। हमारे देश में पहले भी नेता देश से बड़े हो चुकें हैं। कभी इंडिया इज इंदिरा था तो आज मोदी इज इंडिया क्यों नहीं हो सकता।
इस साल के अंत में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप भी एक प्रत्याशी होंगे। कायदे से इस चुनावी यात्रा पर तो अमेरिका का ही पैसा खर्च होना चाहिए, जैसा की हाउडी मोदी कार्यक्रम में भारत सरकार का खर्च हुआ था। राष्ट्रपति ट्रंप ने आज अपने बयान में कहा कि मोदी उनके बहुत अच्छे मित्र हैं, पर भारत सरकार ने अमेरिका के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया है।
यह बयान बड़ा विचित्र है अगर भारत से ट्रंप नाराज है तो मोदी से खुश किस लिए हैं। नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री की हैसियत से ही ट्रंप के दोस्त हैं। अन्यथा उन्हें आज भी अमेरिकी विजा मिलना दुश्वार हो जाता।
डोनाल्ड ट्रंप ने एक तरह से मोदी को ठेंगा दिखा दिया है। भारत के साथ कोई ट्रेड डील नहीं करेंगे और भारत से अच्छे संबंध न होने का ढिंढोरा भी पिटेंगे। निर्यात के मामले में अमेरिका पहले ही भारत को विकासशील देशों की सूची से अलग कर चुका है, जिससे हमारा समान प्रतिद्वंदिता में अमेरिका में नहीं टिक पाएगा। क्योंकि अब हमारे उत्पादों को ट्रेड शुल्क से छूट नहीं मिलेगी।
यह किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष का पहला भारत दौरा होगा, जो हमें हमारी हैसियत बता रहा है और हम बेशर्मी से उसकी अगवानी के लिए बेताब हैं। हो सकता है कि ट्रंप जानबूझकर अमेरिकियों को ये संदेश दे रहें हों कि वह वोटों के खातिर मोदी से हाथ मिलाने जरूर जा रहे हैं, पर उनका दिल अमेरिका के ही साथ है। इसलिए वह भारत को कोई व्यापारिक तोहफा नहीं देने वाले हैं क्योंकि उनका शुरू से ही नारा रहा है कि अमेरिका फर्स्ट।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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