न्यूज डेस्क
आखिरकार झारखंड के बड़े आदिवासी नेता बाबू लाल मरांडी का वनवास खत्म हो ही गया। 14 साल बाद उनकी घर वापसी हो ही गई। जाहिर है अब जब वह अपने घर लौट आए हैं तो वह सत्ता हासिल करने के लिए मेहनत करेंगे और झारखंड की जनता की उम्मीदों को पूरा करेंगे।
भारतीय जनता पार्टी भी लंबे समय से उनकी घर वापसी का प्रयास कर रही थी। आखिरकार उसे सफलता मिल ही गई। बाबूलाल की घर वापसी से बीजेपी झारखंड की सियासत में आमूल-चूल बदलाव करने जा रही है। झारखंड में एक अदद आदिवासी चेहरे की तलाश कर रही बीजेपी को बाबूलाल मरांडी के रूप में एक ऐसा नेता मिल गया है जिसकी जड़ें संघ से जुड़ी हैं और जो झारखंड की राजनीति का जाना-माना नाम है।
झारखंड की राजनीति में सोमवार को बड़ा बदलाव दिखा। बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का भाजपा में विलय हो गया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में यह सब हुआ। इस मौके पर शाह के साथ-साथ मरांडी काफी खुश नजर आए। बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद उन्होंने कहा कि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व जो भी काम देंगे करूंगा, यहां तक कि झाड़ू लगाने का काम दें तो करूंगा।
झारखंड में नवंबर-दिसंबर 2019 में विधानसभा चुनाव हुआ था जिसमें मरांडी की पार्टी तीन सीट जीतने में सफल हुई थी। मरांडी ने सत्तारूढ़ हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले गठबंधन को समर्थन भी दिया था, लेकिन 24 जनवरी को मरांडी की पार्टी ने यह आरोप लगाते हुए समर्थन वापस लिया कि गठबंधन में शामिल कांग्रेस उसके विधायकों को खुलेआम तोडऩे की कोशिश कर रही है। उसी समय से ये कयास लगने लगा था कि मरांडी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
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दरअसल मरांडी और बीजेपी, दोनों को एक-दूसरे की जरूरत थी। मरांडी को अपना जनाधार वापस पाना है तो वहीं बीजेपी को हेमंत सोरेने के कद का नेता चाहिए था, जो उनके पास नहीं था। बीजेपी को इस बात का अंदाजा हो गया है कि उनके पास वर्तमान आदिवासी नेताओं में कोई भी मुख्समंत्री हेमंत सोरेन की बराबरी का नहीं है। इसीलिए आदिवासी समाज का विश्वास जीतने के लिए बीजेपी ने चौदह साल बाद मरांडी की घर वापसी कराई।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे बाबूलाल मरांडी का झारखंड के आदिवासी समुदायों के बीच काफी प्रभाव है। झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी को आदिवासियों का नेता कहा जाता है।
भाजपा ने इससे पहले वर्ष 2014 में राज्यसभा चुनाव के दौरान पूर्व सीएम बाबू लाल मरांडी को पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। उस समय उन्हें बीजेपी में लाने की खूब कोशिश हुई थी, लेकिन भाजपा में आने की बात बनते-बनते बिगड़ गई।
बताया जाता है कि 2014 में मोदी लहर के चलते झारखंड के पहले मुख्यमंत्री मरांडी लोकसभा और विधानसभा चुनाव हार गए थे, तब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें बीजेपी में शामिल होने के लिए राज्यसभा सीट की पेशकश करते हुए उनके पास चुनाव लडऩे के लिए संदेश भेजा था। शाह ने कोलकाता में मरांडी का पता लगाया, और उन्हें एक संदेशवाहक के माध्यम से बीजेपी में शामिल होने का प्रस्ताव भेजा था।
उस समय बीजेपी की ओर से मरांडी को राज्यसभा जाने की मंजूरी भी दे दी गई थी लेकिन उन्होंने भाजपा में लौटने से इनकार कर दिया था, लेकिन अमित शाह की कोशिशे जारी थी। अब जब मरांडी भाजपाई हो गए है तो इसका श्रेय शाह को जाता है। उनकी ही छह साल के लंबे प्रयास का परिणाम था जिसके कारण 14 साल बाद मरांडी की घर वापसी हुई।
सोमवार को जब रांची के जगन्नाथ मैदान में बाबू लाल मंराडी बीजेपी में शामिल हुए तब अमित शाह ने कहा कि बाबूलाल मरांडी के आने से भाजपा की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। शाह ने कहा कि आज मेरे लिए बहुत खुशी की बात है, क्योंकि मैं 2014 में भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद से बाबूलाल जी को पार्टी में वापस लाने की कोशिश कर रहा था।
मालूम हो कि वर्ष 2000 में झारखंड के गठन के बाद पहली बार मुख्यमंत्री बने मरांडी को बीजेपी में आंतरिक कलह के कारण 2003 में पद छोडऩा पड़ा था। बाद में असंतोष से उबरते हुए उन्होंने वर्ष 2006 में भाजपा से अलग होकर एक नया राजनीतिक संगठन बनाया।
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक वरिष्ठ भाजपा नेता ओम माथुर ने मरांडी को पार्टी में वापस लाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बैठक के दौरान मरांडी ने खुद इसकी पुष्टि की।
झारखंड विधानसभा चुनावों में सत्ता गंवाने के बाद अमित शाह के इशारे पर ओम माथुर ने एक बार फिर बाबूलाल मरांडी के साथ वार्ता शुरू की। जिसमें यह भी महसूस किया कि अब समय आ गया है कि बाबूलाल अपनी महत्वाकांक्षाओं को पंख दें और भाजपा में जाने के लिए नए राजनीतिक समीकरण को देखते हुए एकमात्र विकल्प को आजमाएं।
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मरांडी ने घर वापसी कार्यक्रम के दौरान जनमानस से सामने बीजेपी में आने के कारण भी गिनाए। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहेंगे कि झारखंड विधानसभा चुनावों में हार के कारण बीजेपी उन्हें पार्टी में ले रही है। लेकिन यह अचानक निर्णय नहीं था। बल्कि, बीजेपी नेता मुझसे कई सालों से बात कर रहे हैं। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने मुझे पार्टी में लाने का प्रयास जारी रखा था।
मरांडी ने कहा कि वह अपने जिद्दी स्वभाव के कारण पार्टी छोडऩे के बाद वापस आने के लिए तैयार नहीं थे, हालांकि, बाद में कार्यकर्ताओं की इच्छा का सम्मान करते हुए उन्होंने भाजपा में लौटने का फैसला किया।
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