न्यूज डेस्क
भारत में बीते चार दशक में पहली बार उपभोक्ता खर्च में गिरावट देखने को मिली है। एक महीने पहले राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की रिपोर्ट में यह बात कहीं गई थी और राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के चेयरमैन बिमल कुमार रॉय ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने की बात कहीं थी। फिलहाल अब यह रिपोर्ट रिलीज नहीं की जायेगी।
यह फैसला संस्थान ने किया है। रिपोर्ट जारी न किए जाने के सवाल पर आयोग के चेयरमैन बिमल कुमार रॉय ने कहा कि ‘मैंने इसे रिलीज करने की कोशिश की थी। सर्वे को रिलीज करने प्रस्ताव दिया था, लेकिन मुझे समर्थन ही नहीं मिला। मैंने चेयरमैन के तौर पर यह प्रस्ताव रखा था, लेकिन यह आगे नहीं बढ़ा। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कह सकता।’
बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपनी रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से कहा कि मीटिंग में चीफ स्टैटिसियन प्रवीण श्रीवास्तव ने डेटा को रिलीज करने का विरोध किया। हालांकि एक सदस्य ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि डेटा को रिलीज किया जाना चाहिए। सदस्यों के बीच जारी किए गए मीटिंग के मिनट्स में सदस्यों की राय को शामिल नहीं किया गया है।
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फिलहाल राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने अब वित्त वर्ष 2021 और 2022 में नई तकनीक के साथ रिपोर्ट तैयार किए जाने का आदेश दिया है। सरकार ने पिछले महीने ही पूर्व चीफ स्टैटिसियन प्रणब के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था, जिसे उपभोक्ता खर्च पर एक नया सर्वे करने का आदेश दिया गया।
विशेषज्ञों की मानें तो उपभोक्ता खर्च में कमी का अर्थ यह है कि देश में गरीबी के अनुपात में दशकों बाद इजाफा हुआ है। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के मीटिंग के मिनट्स में कहा गया है, ‘यह सिफारिश की जाती है कि इस सर्वे के नतीजों को मौजूदा स्वरूप में जारी न किया जाए और न ही इसे देश की समग्र-अर्थव्यवस्था के संकेतक के तौर पर देखा जाए।’
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