राजीव ओझा
ग्लोबल वार्मिंग अपना असर दिखा रही लेकिन हमसब हैं बेखबर। ग्लोबल वार्मिंग का सबसे ज्यादा प्रभाव बैंककाक, एम्स्टर्डम और मेलबोर्न पर पड़ेगा। अन्टार्क्टिका में अब तक का सबसे अधिक तापमान 18.3 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया जो कि नया रिकॉर्ड है। आपको लग रहा होगा कि क्या फर्क पड़ता है, लेकिन अगर कहा जाये कि ग्लोबल वार्मिंग से विमान यात्रियों की जेबें हलकी हो जायेंगी तो आप सोचने को मजबूर होंगे।
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महंगाई की मार झेल रही आम जनता को अब एक और झटके के लिए तैयार हो जाना चाहिए। अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले दिनों में हवाई सफर और महंगा हो सकता है।
न..न, इसके लिए सरकार की नीतियाँ या खाड़ी देशों में बढ़ता तनाव जिम्मेदार नहीं है बल्कि बेईमान मौसम आप की जेबें हलकी करने की साजिश रच रहा है।
एविएशन साइंस से जुड़े वैज्ञानिकों की मानें तो दुनिया में जलवायु परिवर्तन के कारण एयरलाइंस को अपने जहाज़ों में यात्रियों की संख्या कम करनी पड़ सकती है। इसका सीधा असर विमान के किराये पर पड़ेगा।
एक अध्ययन में पाया गया है कि गर्म हवाएं और हावाओं के बदलते रुख के चलते विमानों को टेक-ऑफ में मुश्किल आ रही हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते विमानों को हल्का रखने के लिए यात्री संख्या में कटौती करनी पड़ सकती है।
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गर्म हवाओं के चलते फुल कैपेसिटी वाले विमानों को छोटे रनवे से टेकऑफ में दिक्कत आयेगी और इसके लिए रनवे की लम्बाई बढानी पड़ सकती है। विमान का वजन कम करने के लिए यात्रियों की संख्या कम करने के साथ ही ईंधन भी कम भरना पड़ेगा। ऐसे में एयरलाइन्स छोटे गंतव्य को प्राथमिकता देंगी।
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ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ़ रीडिंग के वैज्ञानिक और प्रोफेसर पॉल विलियम्स के अनुसार गर्म हवा और धीमी हवाएं विमानों को जमीन से उठने में कठिनाई पैदा करती हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसे हालत जल्दी जल्दी पैदा हो रहे हैं और इनका सीधा असर विमान किराये पर पड़ेगा क्योंकि कम यात्री ले जाने का मतलब है मुनाफे में कमी।
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इस समस्या से निपटने के लिए विकल्प के तौर पर एयरलाइन्स विमानों को हल्का रखने के लिए कम ईंधन ड़ाल रहीं हैं लेकिन इस कारण उनको कम दूरी का गंतव्य चुनना पड़ रहा है। एक और विकल्प है लंबे रनवे का। इसका सीधा मतलब होगा कि टूरिस्ट डेस्टीनेशन के एयरपोर्ट के रनवे की लम्बाई बढानी होगी।
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इस अध्ययन में यूरोप के 10 हवाई अड्डों के 60 वर्षों से अधिक के मौसम और विमान के आंकड़ों का विश्लेषण शामिल था। इस अध्ययन में मध्यम आकार के विमान एयरबस ए320 और छोटे डीएचसी 8-400 विमान शामिल हैं। अध्ययन बताता है की एयरबस-ए320 के लिए यूरोप के इन हवाई अड्डों पर प्रतिवर्ष रनवे की लम्बाई 2.7 मीटर तक और डीएचसी8-400 के लिए प्रतिवर्ष 1.4 मीटर बढानी पड रही है।
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यानी एक हवाई अड्डे पर 1988 और 2017 के बीच A320 के लिए आवश्यक टेक-ऑफ दूरी करीब 98.6 मीटर पड़ गई। शोध में पाया गया कि गर्म हवाओं के चलते टेकऑफ करने के बाद ऊंचाई पाने में भी विमानों को अधिक समय लगा।