न्यूज़ डेस्क
अभी तक स्कूली बच्चे भारी भरकम बैग के बोझ तले दबे रहते थे। अब उनके इसी बोझ को महाराष्ट्र सरकार कम करने की योजना बना रही हैं। महाराष्ट्र सरकार द्वारा संचालित होने वाले राज्यभर के 59 ब्लॉकों के मराठी माध्यम स्कूलों में आगामी शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत से ही पहली से सातवीं तक के छात्रों को अब मात्र एक किताब ही ले जानी होगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अब छात्रों को सभी विषयों के लिए केवल एक पाठ्यपुस्तक ले जानी होगी। राज्य सरकार की यह पहल स्कूल बैग को हल्का करने के प्रयासों का एक हिस्सा है। इस बारे में राज्य पाठ्यक्रम और प्रकाशन ब्यरो बाल भारती का मानना है कि पाठ्यपुस्तकों को विषयों और प्रत्येक वर्ग की जरूरतों के हिसाब से तीन या चार भागों में विभाजित किया जाएगा।
इसके बाद उन सभी भागों का एक ही पुस्तक में विलय कर दिया जाएगा। ऐसा करने से छात्रों को ‘शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम’ बनाया जा सकेगा।
इस बारे में बालभारती के निदेशक विवेक गोस्वामी का कहना है कि इस बारे में बच्चों के माता-पिता और शिक्षाविदों की लगातार शिकायत मिल रही थी इसके बाद इस योजना के बारे में सोचा गया।
भारी बैग बहुत कम उम्र में छात्रों में पीठ दर्द, मांसपेशियों में मरोड़, मोच, गर्दन में दर्द और मानसिक तनाव का कारण साबित हुए हैं। यह प्रयास सफल होने के बाद राज्य का अन्य स्कूलों में भी लागू किया जाएगा।
गौरतलब है कि पिछले साल, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने स्कूल सिलेबस को ‘तर्कसंगत’ बनाया था। इसमें विभिन्न वर्गों के लिए स्कूल बैग के वजन पर रोक लगाई गयी थी। कक्षा पहली से दूसरी कक्षा के लिए 1.5 किलो, कक्षा तीसरी से पांचवी के लिए तीन किलो, कक्षा छठी से सातवीं के लिए चार किलो और कक्षा आठवीं के लिए साढ़े चार किलोग्राम थी।