न्यूज डेस्क
राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गुरुवार को दिए गए भाषण के एक शब्द को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया गया है। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने मोदी द्वारा गुरुवार को राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा के जवाब में दिये गये भाषण में से एक शब्द को कार्यवाही से निकाल दिया है।
राज्यसभा सचिवालय ने एक बयान में कहा, ‘सभापति ने राज्यसभा की छह फरवरी को शाम 6.20 से 6.30 के बीच कुछ अंश को कार्यवाही से निकालने का निर्देश दिया है।’
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर/एनपीआर (NPR) के संदर्भ में कांग्रेस के रुख बदलने को लेकर टिप्पणी करते हुए यह शब्द कहा था। नायडू ने गुरुवार को पीएम मोदी के भाषण समाप्त करने के बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद द्वारा मांगे गये स्पष्टीकरण के दौरान एक शब्द को भी सदन की कार्यवाही से निकाल दिया है। संसद की कार्यवाही से प्रधानमंत्री के भाषण के किसी अंश को निकाले जाने की घटना आमतौर पर बहुत ही कम देखने को मिली है।
गुरुवार को नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के विरोध पर विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरोप लगाया कि वे वोट बैंक की राजनीति के कारण विकास के बजाय विभाजन के रास्ते को पकड़ते हैं जिससे देश को निश्चित तौर पर हानि होती है।
राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब दे रहे पीएम मोदी ने कहा कि एनपीआर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार लेकर आई थी। किंतु आज वह इसे लेकर विरोध कर रही है और इसके नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है।
पीएम मोदी ने एनपीआर को उचित ठहराते हुए कहा कि इससे सही लाभार्थियों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। उन्होंने इसका विरोध कर रहे विपक्ष को आगाह किया कि वे संकुचित और भ्रामक विमर्श के कारण (एनपीआर का) विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने किसी विपक्षी दल का नाम लिये बिना कहा, ‘तुष्टीकरण का सवाल हो तो आप डंके की चोट पर विभाजन का रास्ता पकड़ते हैं। ऐसे अवसरवादी विरोध से किसी भी दल को लाभ या हानि तो हो सकती है, लेकिन इससे देश को निश्चित रूप से हानि होती है. देश में अविश्वास की स्थिति बनती है।’
मोदी ने सभी दलों से अपील करते हुए कहा, ‘मेरा आग्रह रहेगा कि हम सच्चाई और सही तथ्य को जनता के बीच ले जाएं. इस दशक में दुनिया की भारत से बहुत अपेक्षाएं हैं। इन अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए हम सभी के प्रयास 130 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं के अनुरूप होने चाहिए।’ प्रधानमंत्री के जवाब के बाद उससे असंतोष जताते हुए कांग्रेस, राकांपा और द्रमुक सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।