अविनाश भदौरिया
दिल्ली में विधानसभा चुनाव 2020 के लिए शनिवार को मतदान होना है। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला नजर आ रहा है। हालांकि कांग्रेस नेताओं का दावा है कि दिल्ली में उनकी पार्टी हरियाणा की ही तरह कुछ आश्चर्यजनक प्रदर्शन कर सकती है। लेकिन राजनीतिक पंडित और सर्वे यही बता रहे हैं कि, देश की सबसे पुरानी पार्टी और लगभग 15 वर्षों तक दिल्ली में शासन में रहने वाली कांग्रेस इस चुनाव में कहीं लड़ाई में नहीं दिख रही। मजे की बात यह है कि कांग्रेस के लिए संकट सिर्फ दिल्ली चुनाव तक का नहीं है बल्कि असली संकट चुनाव परिणाम आने के बाद का है।
पार्टी के एक नेता ने बताया कि, आने वाले समय में बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़ सकते हैं। इसकी वजह है शीर्ष नेतृत्व से दिल्ली के नेताओं की नाराजगी। दरअसल चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की इस लचर हालत का जिम्मेदार पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को मान रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार नए और कम पैसे वाले प्रत्याशियों को भयंकर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि पैसे से कमजोर प्रत्याशियों को पार्टी ने चुनाव लड़ने में कोई आर्थिक मदद नहीं की है। कुछ कार्यकर्ता इसलिए भी नाराज है क्योंकि पार्टी ने उनकी अनदेखी कर किसी अन्य दल से आए या फिर किसी पैसे वाले को टिकट दे दिया है।
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बता दें कि दिल्ली चुनाव के लिए कांग्रेस ने 40 से ज्यादा स्टार प्रचारकों की एक सूची जारी की थी लेकिन इस विधानसभा चुनाव में बहुत सारे स्टार प्रचारक नदारद रहे। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व आखिरी सप्ताह में खाना पूर्ति करता नजर आया।
वर्तमान में पार्टी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक राहुल गांधी ने दो दिनों में चार रैलियां की। जबकि प्रियंका गांधी ने दो रैली की। पूर्व PM मनमोहन सिंह ने भी एक जगह प्रचार किया। इतना ही नहीं, पार्टी के 4 राज्यों के मुख्यमंत्री भी कहीं ना कहीं चुनावी प्रचार से दूर रहे।
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 2 से 4 जनसभाओं को संबोधित किया। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रोग्राम तय होने के बावजूद भी तबीयत खराब होने की बात कहकर चुनावी रैलियों को रद्द कर दिया। वहीं मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने भी दिल्ली में कोई जनसभा नहीं की है।
कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नवजोत सिंह सिद्धू भी चुनाव प्रचार से दूर रहे। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बीमारी के चलते प्राचर अभियान में शामिल नहीं हो सकी।
इस सबके बाद जो बची हुई कसर थी उसे पार्टी में चल रही गुटबाजी ने पूरा कर दिया। संगम विहार से कांग्रेस प्रत्याशी पूनम आजाद के पोस्टर और बैनरों पर प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा की फोटों गायब मिली तो पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अजय माकन चुनाव से ठीक पहले स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर विदेश चले गए।
कुल मिलाकर कांग्रेस उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से पहले ही अपनी पार्टी की गलतियों से ही हार मिल चुकी है, जिसका असर जल्दी ही देखने को मिलेगा।
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